Ovulation kya hota hai, ovulation meaning in hindi

Ovulation Meaning in Hindi: ओवुलेशन क्या है और कब होता है?

Ovulation kya hota hai हर महिला के जीवन का सबसे सुखद अनुभव होता है माँ बनना और गर्भधारण का प्रयास करने वाली हर महिला को अपने मेंस्ट्रुअल साइकल के बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरुरी है क्यूंकि इसी की मदद से वो महीने के उन दिनों के बारे में जान सकती है जब सम्बन्ध बनाने से प्रेगनेंसी की सम्भावना सबसे ज्यादा होती है और उसी को ओवुलेशन पीरियड (ovulation period) कहा जाता है. इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से ओवुलेशन से जुड़ी सभी जानकारी आपके साथ साझा किया जायेगा।

ओव्यूलेशन किसे कहते हैं? (ovulation kya hota hai)

चिकित्सा शास्त्र की भाषा में ओवुलेशन पीरियड का मतलब है किसी महिला के ओवरी से एग रिलीज होने की प्रक्रिया. हर महिला के मेंस्ट्रुअल साइकल का एक बेहद जरुरी हिस्सा होता है, ओवुलेशन पीरियड इस दौरान कोई भी महिला सबसे ज्यादा फर्टाइल होती है और प्रेगनेंसी की सम्भावना अत्यधिक होती है।

ओवुलेशन के दौरान जब किसी महिला का एग फॉलोपियन ट्यूब में जाता है और वहां स्पर्म के साथ कांटेक्ट में आता है तो फर्टिलाइजेशन की सम्भावना बढ़ जाती है लेकिन अगर वह एग फर्टिलाइज़ नहीं हो पाता है तो वह पीरियड्स के दौरान यूटेराइन लाइनिंग के टूटने पर ब्लड के रूप में शरीर से बाहर आ जाता है।

ओवुलेशन कब होता है? (ovulation kab hota hai) 

किसी महिला का ओवुलेशन कब होता है? इसका पता चलता है उनके शरीर में फॉलिकल स्टिमुलेटिन हॉर्मोन के स्तर से. यह एक ऐसा हॉर्मोन है जो महिला के एग को मैच्‍योर होने में सहायता करता है। जब अंडे मैच्‍योर हो जाते हैं तो शरीर में एलएच का स्तर बढ़ जाता है और यह बढ़ा हुआ स्तर इस बात की ओर संकेत करता है कि अगले 28 से 36 घंटों के बाद आपका ओवुलेशन शुरू हो सकता है।

ओवुलेशन पीरियड क्या होता है? (ovulation period kya hota hai)

सामन्यतः किसी भी महिला के पीरियड्स का चक्र एक जैसा नहीं होता है. किसी के लिए यह चक्र 28 दिनों का, किसी के लिए 35 दिनों का तो किसी के लिए 21 दिनों का भी हो सकता है. इसलिए ओवुलेशन कब होता है इसे जानने के लिए जरुरी है अपने मासिक चक्र (मेंस्ट्रुअल साईकल) को समझना। जिन महिलाओं का मासिक चक्र 28 दिनों का होता है प्रायः उनका ओवुलशन पीरियड्स (ovulation period) 14वें दिन के आस पास होता है।

वहीँ जिनका मेंस्ट्रुअल साइकल 21 दिनों का होता है उनका ओवुलेशन का समय पीरियड्स के 7वें दिन से आरम्भ होता है और जिनका साईकल 35-36 दिनों का होता है उनका ओवुलशन पीरियड 21वें दिन होता है। ओवुलेशन पीरियड के दौरान जो मैच्‍योर एग रिलीज होता है वह अगले 12 से 14 घंटों तक फर्टिलाइजेशन के लिए रेडी रहता है और अगर इस टाइम पीरियड में वह स्पर्म के संपर्क में आता है तो महिला के प्रेग्नेंट होने की सम्भावना बढ़ जाती है. इसलिए डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि जो कपल्स कन्सीव करना चाहते हैं उन्हें ओवुलेशन पीरियड्स (ovulation period) के समय में आपसी सम्बन्ध जरूर बनाना चाहिए। (और पढ़े : बच्चेदानी में रसौली का इलाज)

ओवुलेशन को कैसे ट्रैक करें?

गर्भधारण का प्रयास करने वाली हर महिला के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने ओवुलेशन को ट्रैक करे और मासिक चक्र को ध्यान में रखे।

ओवुलेशन कैलेंडर : इस कैलेंडर में आप अपने इस महीने के पीरियड्स के फर्स्ट डे से लेकर अगले महीने पीरियड्स के फर्स्ट डे के बीच के दिनों की काउंटिंग कर लें, इससे यह पता चल जायेगा कि आपका मेन्स्ट्रुअल साईकल कितने दिनों का होता है। आप किसी कैलेंडर या अपने फ़ोन में इसको मार्क कर सकती है। आमतौर पर ओवुलेशन पीरियड मेंस्ट्रुअल साइकिल के बीच के दिनों में या उसके आस पास होता है. 

ओवुलेशन प्रेडिक्टर किट :  ओवुलेशन से 24 से 48 घंटे पहले महिला के शरीर में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) का स्तर बढ़ जाता है, इस किट की मदद से आप अपने यूरिन सैंपल का इस्तेमाल करके ओवुलेशन का समय पता लगा सकते हैं. किट के अंदर लिखे निर्देशों का पालन करते हुए अगर आप नियमित रूप से यह टेस्ट करते हैं तो आपके लिए ओवुलेशन का सही समय पता करना आसान हो जायेगा।

आप ओवुलेशन को ट्रैक करने हेतु ये तरीके अपना सकती है लेकिन अगर लम्बे समय तक प्रयास करने के बाद भी गर्भधारण में सफलता नहीं मिल पा रही है तो आपको किसी फर्टिलिटी एक्सपर्ट से संपर्क करना चाहिए। (और पढ़े : मासिक धर्म-पीरियड क्या है)

ओवुलेशन पीरियड के लक्षण 

कुछ ऐसे लक्षण है जिसपे ध्यान देकर महिलाएं अपने ओवुलेशन पीरियड्स के लक्षण को पहचान सकती हैं: 

  • पेट के निचले हिस्से में दर्द होना ओवुलेशन पीरियड के लक्षण हो सकते हैं .
  • ओवुलेशन पीरियड के दौरान महिलाओं में सेक्स की इच्छा सामान्य से अधिक हो जाती है.
  • इस दौरान आपके ब्रैस्ट की सेंसिटिविटी बढ़ जाती है.
  • ओवुलेशन पीरियड के लक्षण में सर्वाइकल म्यूकस का सफेद, और चिकना होना शामिल है.
  • इस दौरान आपकी सर्विक्स कोमल होकर खुल जाती है.
  • सिर में दर्द होना और जी मिचलाना भी ओवुलेशन पीरियड के लक्षण हो सकते हैं.

गर्भधारण में ओवुलेशन का महत्त्व 

गर्भधारण की इच्छा रखने वाले हर दंपत्ति के लिए ओवुलेशन एक महत्त्वपूर्ण कारक है। ओवुलेशन के दौरान अंडाशय से मैच्योर एग रिलीज होता है और स्पर्म के संपर्क में आने से वह फर्टिलाइज़ हो जाता है जिससे कोई भी महिला गर्भधारण कर पाती है. यहाँ आपको एक बात समझनी होगी कि ओवरी से रिलीज होने के बाद अंडे का जीवनकाल 24 घंटे तक होता है जबकि स्पर्म किसी स्त्री के फॉलोपियन ट्यूब में 5 दिनों तक जीवित रह सकता है इसलिए आपको इन्ही 24 घंटों के दौरान सम्बन्ध बनाना है जिससे आपके गर्भवती होने की सम्भावना सर्वाधिक हो।

ओवुलेशन और जीवनशैली का अन्तर्सम्बन्ध 

आपके ओवुलेशन पीरियड का आपकी जीवनशैली से गहरा सम्बन्ध है. यदि आप स्वस्थ पौष्टिक आहार का सेवन करती हैं और नियमित रूप से योगा या व्यायाम करती हैं तो आपका पीरियड्स रेगुलर होता है और इससे ओवुलेशन को ट्रैक करना भी आसान रहता है. जीवनशैली में सुधार लाकर आप अपने वजन को भी नियंत्रित रख सकते हैं, जो रेगुलर पीरियड्स और स्वस्थ ओवुलेशन पीरियड के लिए जरुरी है।

जो महिलाएं गर्भधारण करना चाहती है उन्हें भरपूर नींद लेनी चाहिए और शराब, सिगरेट, कैफीन आदि के प्रयोग से बचना चाहिए. इससे आपका रिप्रोडक्टिव हेल्थ अच्छा बना रहता है और पीरियड्स नियमित रहते हैं जिससे कन्सीव करने में आसानी होती है।

ओवुलेशन के बाद क्या होता है?

ओवुलेशन का टाइम पीरियड बहुत ही कम समय का होता है इसलिए आपको ओवुलेशन के समय से पहले से ही थोड़ा सजग हो जाना चाहिए और गर्भधारण के लिए निरंतर सम्बन्ध बनाकर प्रयास जारी रखना चाहिए. ओवुलेशन के बाद जब महिला के ओवरी से मैच्योर एग रिलीज होता है तब वह फर्टिलाइजेशन के लिए बिलकुल तैयार होता है और इसकी अवधि इतनी कम होती है कि डॉक्टर्स आपको ओवुलेशन पीरियड के 1-2 दिन पहले से शारीरिक संबन्ध बनाने की सलाह देते हैं।

स्पर्म का जीवनकाल किसी महिला के ट्यूब में जाने के बाद भी 5 दिनों तक का होता है इसलिए अगर आप पहले से सम्बन्ध बनाते हैं तो पहले से मौजूद स्पर्म ओवुलेशन के दौरान रिलीज होने वाले एग को अतिशीघ्र फर्टिलाइज़ कर देगा और आपके गर्भधारण की सम्भावना बढ़ जाएगी।

निष्कर्ष : जो कपल गर्भधारण करना चाहते है उनके लिए ओवुलेशन की पूरी प्रक्रिया को समझना, उसे कैल्क्युलेट करने का तरीका जानना, अपने जीवनशैली में बदलाव लाना और सही समय पर सम्बन्ध बनाना बहुत जरुरी है जिससे प्रेगनेंसी की सम्भावना अत्यधिक हो।

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