निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान क्या है?
निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान की शुरुआत आशा आयुर्वेदा की स्थापान के साथ ही हुई थी, जो अब पूरी तरीके से फलीभूत हो रहा है। यह एक अभियान है जिसका लक्ष्य भारत से निःसंतानता को समाप्त करना है। निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान सही मायने में भारत में बढ़ रही इनफर्टिलिटी दर को कम करना है। आज हर 10 में से एक महिला अर्थात 10 प्रतिशत महिलाएं बांझपन की बीमारी का शिकार हो रही है। यह दर दिनप्रति-दिन बढ़ती ही जा रही है।
बांझपन की समस्या को दूर करने के लिए यदि समय रहते हुए कड़े कदम न उठाये गये तो स्थिति अधिक गंभीर होने की पूरी संभावना है। आशा आयुर्वेदा की संचालक और संस्थापक डॉ चंचल शर्मा ने निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान की शुरुआत महिलाओं में बढ़ती इनफर्टिलिटी रेट को कम करने के उद्देश्य से की है। निःसंतानता या बांझपन कोई अभिश्राप नही है इसका आयुर्वेद में सफल और प्रभावी उपचार उपलब्ध है।
इनफर्टिलिटी की दर बढ़ने का मुख्य कारण आजकल की जीवनशैली और खानपान को दोषी माना जाता है। कम उम्र में ही हार्मोन परिवर्तन होने की वजह से शरीर का संतुलन खराब हो जाता है। जिससे महिला एवं पुरुषों को प्रजनन संबंधी तरह-तरह की बीमारियाँ होने लगती है। प्रजनन संबंधी बीमारियां दंपत्य जीवन को बांझपन की ओर ले जाती है और संतान सुख छीन लेती है।
इन सभी प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं को मद्दे नजर रखते हुए डॉ चंचल शर्मा ने निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान की शुरुआत की और आज यह अभियान पूरी तरह से सफल होता हुआ नजर आ रहा है। आशा आयुर्वेदा और उसकी टीम पूर्ण ध्येय के साथ जोड़ो का उपचार करती है और निराश आये हुए जोड़ो को संतान सुख प्रदान करने की पूरी कोशिश करती है।
क्या है निःसंतानता होने के मुख्य कारण ?
वर्तमान समय में निःसंतानता के कारणों पर गौर किया जाये तो जीवनशैली प्रथम चरण में आती है। जीवनशैली इतनी ज्यादा प्रभावित हो गई है कि जिसकी कल्पना भी नही की जा सकती है। इस जीवनशैली में दिनचर्या जैसे शब्द की कोई जगह ही नही बची है। जीवनशैली हमारी दिनचर्या पर आधारित होती है। यदि आपकी दिनचर्या अच्छी है तो अधिक से अधिक स्वास्थ्य समस्याएं स्वतः ही समाप्त हो जायेगी।
अब अन्य कारणों पर चर्चा करें तो खानपान बहुत ही ज्यादा खराब हो गया है जो आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है। परिवारिक इतिहास अर्थात परिवार में पति या पत्नी दोनों में से किसी एक के परिवार में कोई ब्लड रिलेशन वाला इस बीमारी पीड़ित रहा है तो भी कुछ संभावना हो सकती है। यौन संक्रमण या यौन रोग भी निःसंतानता जैसी बीमारी को जन्म दे सकते है जो इसके प्रमुख कारण माने जाते है।
निःसंतानता भारत छोड़ो अभियान बांझपन के खिलाप एक आंदोलन है जो भारत एवं अन्य देश की महिलाओं को संतान सुख देने में पूरी मदद करता है।
कौन से लक्षण होते है जो बांझपन या निःसंतानता के संकेत देते है ?
बांझपन के कई प्रकार के लक्षण हो सकते है जो बहुत सारे स्वास्थ्य से सबंधिक परेशानियों के माध्यम से निःसंतानता की ओर इशारा करते है।
- अधिक बालों का झड़ना।
- चेहरे पर अनचाहे बाल उगना।
- मासिक धर्म में खराबी होना।
- ट्यूूब ब्लॉक की समस्या होना।
- पीसीओडी एवं पीसीओएस की परेशानी होना।
- यूट्रस की टीबी
- लो एएमएच
- यौन संक्रमण
- पुरानी सर्जरी
- अनुवांशिकी
आशा आयुर्वेदा केन्द्र कैसे निःसंतनता भारत छोड़ो अभियान को सफल कर रहा है ?
आशा आयुर्वेदा केन्द्र एवं डॉ चंचल शर्मा की सहयोगी टीम पूरी तरह से आयुर्वेद चिकित्सा पर आधारित उपचार की मदद से इनफर्टिलिटी को जड़ से खत्म करने का पूर्ण प्रयास करती है और इस प्रयास में उन्हें सफलता प्राप्त होती है । इस बात की पुष्ट अब तक इलाज करावा रहें जोड़े करते है।
निःसंतानता की समस्या महिला एवं पुरुष दोनों के लिए एक गंभीर समस्या है। बांझपन का उपचार महिला की स्थिति एवं कारण भर आधारित होता है। आशा आयुर्वेदा में बांंझपन को दूर करने के लिए आयुर्वेद की प्राचीन चिकित्सा के कई सारे विकल्प उपलब्ध है। निःसंतानता के उपचार के कुछ आयुर्वेदिक पद्धतियां इस प्रकार है जिन्हें नीचे दर्शाया गया है –
- उदाहारण के लिए यदि किसी महिला को ओव्युलेशन की परेशानी की वजह से गर्भधारण करने में दिक्कत आ रही है तो आशा आयुर्वेदा की टीम सर्व प्रथम ओव्युलेशन की परेशानी के कारण को जानकर इसे ठीक किया जाता है। ओव्युलेशन को हर्बल औयुर्वेदिक औषधि एवं पंचकर्म के द्वारा ठीक करके एलएच में वृद्धि करके हार्मोन संतुलन ठीक किया जाता है।
- लो एएमएच की समस्या से यदि किसी को संतान सुख नही मिल पा रहा है तो आयुर्वेदा मेें इसका भी पूरा समाधान है ।
- यदि किसी महिला की दोनों या फिर एक ट्यूब बंद है तो उसे आयुर्वेद की उत्तर बस्ती थेरेपी से ठीक किया जाता है ।
आशा आयुर्वेदा केन्द्र एवं पंचकर्मा टीम निःसंतानता को भारत से जड़ से मिटाने के लिए प्रतिबध्य है और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के माध्यम से बांझपन जैसी बीमारी को दूर करने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। आज आशा आयुर्वेदा केन्द्र एवं टीम की मेहनत रंग लाई है । एक ओर जहां पर आइवीएफ एवं लैप्रोस्कोपी की सक्सेस रेट 10 से 20 प्रतिशत है वहीं निःसंतानता के आयुर्वेदिक उपचार की सफलता दर 90 प्रतिशत से ऊपर है। अब तक आशा आयुर्वेदा ने हजारों महिलाओं के जीवन को संतान की खुशियों से भर दिया है और इस कार्य को आगे बढ़ाने में भी पूरा योगदान दे रहा है।