प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में आयुर्वेद – Second Trimester of Pregnancy in Ayurveda
(Second Trimester of Pregnancy) गर्भवस्था की दूसरी तिमाही – अर्थात 12 या 13 सप्ताह पूर्ण होने के बाद जैसे ही 14 सप्ताह प्रारंभ होता है तो गर्भवती महिला की दूसरी तिमाही (second trimester) शुरु हो जाती है। गर्भवती महिला के गर्भकाल को तीन चरणों में बाँटा गया है।
गर्भवती महिला की जब दूसरी तिमाही शुरु होती है तो पहली तिमाही में होने वाली काफी परेशानियों से निजात मिल सकती है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही पहली तिमाही की अपेक्षा सुखद अनुभव देने वाली होती है।
इस तिमाही में गर्भवती महिला स्वयं को ऊर्जावान महसूस करती है और सिकनेस दूर हो जाती है। सामान्यतः दूसरी तिमाही का समय 13 वें सप्ताह से लेकर 27 सप्ताह तक होता है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही को हनीमून पीरियड्स के नाम से भी जानते है।
Second Trimester of Pregnancy गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में गर्भ में पल रहे शिशु का विकास होता है और गर्भवती महिला का पेट हल्का सा बाहर की ओर आने लगता है।
दूसरी तिमाही में महिलाओं को कुछ परेशानियाँ भी हो सकती है – जैसे कि पीठ में दर्द, गर्भाशय तथा स्तनों में वृद्धि, मसूड़ों में सूजन तथा सफेद पानी आने की भी समस्या देखने को मिल सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार हर महिला में यह समस्याएं देखने को नही मिलती है। महिला की प्रकृति के अनुसार समस्याएं भिन्न-भिन्न भी हो सकती है।
आयुर्वेद के अनुसार प्रेग्रेंसी की दूसरी तिमाही में क्या खाना चाहिए
गर्भवती महिला को प्रतिदिन के हिसाब से 2000 कैलोरी ऊर्जा की आवश्यकता होती है। गर्भवती महिला को संतुलित आहार के अंतर्गत अपने खाने और पीने में कुछ ऐसी पौष्टिक चीजों को शामिल करना चाहिए जो खनिज एवं मिनिरल से भरपूर हो।
- आयुर्वेद के कहता है गर्भवस्था की दूसरी तिमाही में गर्भवती महिला को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जिसमें भरपूर मात्रा में आयरन हो। इन पदार्थों के सेवन से हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ता है।
- चुकंदर, पिस्ता, नींबू, अनार, सेब, पालक, सूखी किशमिश इत्यादि में पर्याप्त मात्रा में आयरन होता है जो गर्भवती महिला एवं उसके गर्भ में पल रहे शिशु के लिए बहुत अच्छा होता है।
- गर्भवती महिलाओं को प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का जरुर सेवन करना चाहिए। प्रोटीन युक्त पदार्थ के सेवन से बच्चे का विकास तेजी के साथ होता है।
- स्वास्थ्यवर्धक आहार माँ एवं शिशु दोनो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। संतुलित आहार का सेवन नियमित रुप से करना चाहिए।
- आयोडीन के सेवन से शिशु के मस्तिष्क का विकास तेजी के साथ होता है और आयोडीन का लेवल भी अच्छा बना रहता है।
- गर्भवती महिला के लिए विटामिन डी लेने की भी बहुत जरुरत होती है।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में देखभाल
गर्भवती महिला जब दूसरी तिमाही Second Trimester में प्रवेश करती है तो उसे खुद की देखभाल करना बहुत ही जरूरी होता है। इस दौरान गर्भवती महिला का बहुत सारी बातों के लेकर सावधानियाँ रखनी चाहिए। second trimester में क्या करना चाहिए और क्या नीच करना चाहिए यह सब कुछ नीचे बताया गया है।
- गर्भवस्था की दूसरी तिमाही में अपने मसूड़ों और दाँतों का खास ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि यदि आप अपने दाँतों को साफ नही रखते है तो समय से पूर्व ही बच्चा पैदा हो सकता है।
- गर्भवस्था के समय और गर्भावस्था के बाद विटामिन लेते रहना चाहिए।
- अपनी डाइट में फल, सब्ज़ियाँ, प्रोटीन तथा फाइबर को नियमित रुप से शामिल करते रहना चाहिए।
- मांसपेशियों को व्यायाम के द्वारा दुरुस्त रखना चाहिए तथा पैल्विक पैन से छुटकारा मिल सके।
- अपने शरीर की आवश्यकता के अनुसार पानी जरुर पीयें और कैलोरी एक निश्चित अनुपात में लेती रहें।
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में क्या नही करना चाहिए
गर्भवती महिलाओं की प्रत्येक तिमाही गर्भावस्था महत्वपूर्ण होती है। गर्भावस्था में कुछ ऐसे चीजें ऐसी भी होती है जिसके सेवन से बचना चाहिए अन्यथा यह आपकी गर्भावस्था को बुरी तरह से प्रभावित कर सकती है।
- धूम्रपान से हमेशा दूरी बनायें रखें।
- चाय-कॉपी का भी विशेष सेवन न करें।
- ऐसे योग एवं व्यायाम बिल्कुल भी न करें जिससे पेट में चोट लगने की संभावना बनी हो।
- दूध को हमेशा उबाल कर ही पियें कच्चा दूध आपकी सेहत बिगाड सकता है।
- कोशिश करें की इस दौरान आपको यात्रा न करनी पड़े लेकिन यदि आवश्यक हो तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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