प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के लक्षण, कारण और उपचार – PMS Causes, Symptoms and Ayurvedic Treatment in Hindi
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) महिलाओं में मासिक धर्म के दौरान होने वाले लक्षणों का एक संयोजन है जो कई महिलाओं को पीरियड्स से लगभग एक या दो सप्ताह पहले होता है। 90% से अधिक महिलाओं का कहना है कि उन्हें मासिक धर्म से पहले के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे कि सूजन, सिरदर्द और स्वभाव में बदलाव देखने को मिलता है।
कुछ महिलाओं के लिए, ये लक्षण इतने गंभीर हो सकते हैं कि वे काम या ऑफिस जैसे महत्वपूर्ण कार्य पीरियड़्स के दौरान नही कर पाती है। लेकिन अन्य महिलाएं हल्के लक्षणों से परेशान नहीं होती हैं। औसतन, 30 वर्ष की महिलाओं में PMS होने की सबसे अधिक संभावना होती है।
पीएमएस के लक्षण प्रत्येक 20 महिलाओं में से 1-2 महिलाओं को इतने ज्यादा गंभीर होते है। कि उनके सामान्य जीवन को बहुत बुरी तरह से प्रभावित कर देते हैं। यह गंभीर लक्षण PMS की वजह से ही होते हैं। मासिक धर्म से पूर्व महिलाओं को बेचैनी की समस्या भी होती है। जिसे मेडिकल की भाषा में पीएमडीडी कहते हैं।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) क्या होता है ?
मासिक धर्म के दौरान या उससे पहले जब महिलाओं के शरीर में हार्मोन परिवर्तन होता है। इस दौरान उनका शरीर कुछ इस प्रकार के लक्षण प्रकट पीएमएस शारीरिक और भावनात्मक लक्षणों का एक संयोजन है। जो कई महिलाओं को ओव्यूलेशन के बाद और उनके मासिक धर्म की शुरुआत से पहले होता है।
महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य से जुडे विशेषयों का मानना है कि पीएमएस ओव्यूलेशन के बाद के दिनों में होता है क्योंकि अगर आप गर्भवती नहीं हैं तो एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर नाटकीय रूप से गिरने लगता है। पीएमएस के लक्षण एक महिला की अवधि शुरू होने के कुछ दिनों के भीतर दूर हो जाते हैं । क्योंकि हार्मोन का स्तर फिर से बढ़ना शुरू हो जाता है।
कुछ महिलाओं को पीएमएस के किसी भी लक्षण के बिना या केवल बहुत ही हल्के लक्षणों के बिना उनके पीरियड्स आते हैं। दूसरी महिलाओं के लिए, पीएमएस के लक्षण इतने गंभीर हो सकते हैं कि इससे काम या स्कूल जाने जैसी रोजमर्रा की गतिविधियों को करना मुश्किल हो जाता है।
गंभीर Premenstrual Syndrome (PMS) लक्षण प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (पीएमडीडी) का संकेत हो सकते हैं। पीएमएस समाप्त हो जाने के बाद महिलाओं को मासिक धर्म नहीं होता है। जैसे कि रजोनिवृत्ति के बाद। गर्भावस्था के बाद, पीएमएस वापस आ सकता है, लेकिन हर महिला को पीएमएस के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं।
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क्या पीएमएस उम्र के साथ-साथ बदल सकता है ?
हर महिला में PMS होने की एक निश्चित उम्र होती है। इस उम्र के दौरान ही महिलाओं में सबसे ज्यादा पीएमएस के लक्षण देखने को मिलते है। PMS के लक्षण तब और खराब हो सकते हैं जब आप अपने 30 या 40 के दशक के अंत तक पहुंचती हैं और रजोनिवृत्ति के करीब पहुंचती हैं। जब महिलाएं रजोनिवृत्ति के दौर में होती हैं। उसे जिसे पेरिमेनोपॉज कहा जाता है।
यह उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से प्रभावित करता है। जिनका मूड मासिक धर्म चक्र के दौरान बदलते हार्मोन के स्तर के प्रति संवेदनशील होता है। रजोनिवृत्ति तक आने वाले वर्षों में, महिलाओं के हार्मोन का स्तर भी अप्रत्याशित तरीके से ऊपर और नीचे जाता है।
क्योंकि महिलाओं का शरीर धीरे-धीरे रजोनिवृत्ति में बदल जाता है। इस दौरान महिलाओं के स्वभाव में बहुत ज्यादा परिवर्तन देखने को मिल सकता है। क्योंकि मूड में बदलाव होने पीरियड्स के दौरान एक आम बात होती है। रजोनिवृत्ति अर्थात 45 से 50 की उम्र के बाद भारतीय महिलाओं को पीएमएस बंद हो जाता है। क्योंकि इस उम्र तक पहुंचते पर महिलाओं को मासिक धर्म नहीं आता है।
महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के लक्षण – Symptoms of Premenstrual Syndrome in Hindi
पीएमएस के लक्षण हर महिला में अलग-अलग होते हैं। जैसे सूजन या गैस बनना, या भावनात्मक लक्षण, जैसे उदासी, या दोनों। महिलाओं के इन लक्षणों में बदलाव भी हो सकता है।
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के शारीरिक लक्षण निम्नलिखित है –
- सूजे हुए या कोमल स्तन
- कब्ज या दस्त
- ऐंठन
- सिरदर्द या पीठ दर्द
- शरीर में भारीपन होना।
- शोर या प्रकाश को मासिक धर्म के दौरान महिलाए सहन नही कर पाती है। ऐसे माहौल में इनको चिड़चिड़ापन होने लगता है। ऐसा हर किसी महिला को नही होता है। परंतु अधिकांश महिलाओं में ऐसे लक्षण देखने को मिलते है।
- कुछ महिलाएं ईर्ष्या व शत्रुतापूर्ण व्यवहार भी इस दौरान करने लगती है। पर उन्हें खुद को इस बात का बिल्कुल भी अहसास नही होता है।
- नींद की समस्या (बहुत ज्यादा या बहुत कम सोना)
- भूख में बदलाव (कम या फिर ज्यादा)
- एकाग्रता या याददाश्त की कमी
- तनाव या चिंता
- डिप्रेशन, उदासी की भावना या रोने के जैसा मन होना।
- स्वभाव (मिजाज़) में बदलाव
- सेक्स में कम दिलचस्पी
ऐसे लक्षण महसूस होने पर महिलाओं को अपने चिकित्सक या नर्स से बात करनी चाहिए। और उनको अपने शारीरिक लक्षणों को बताना चाहिए।
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महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के कारण – Causes of Premenstrual Syndrome in Hindi
महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के संबंध मेें अधिकांश स्त्री रोग विशेषज्ञ बताते है। कि यह तो एक प्रकार स्वभाविक रुप से महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन के कारण होने वाली सामान्य स्वास्थ्य प्रजनन समस्या है। परंतु आयुर्वेद में कुछ ऐसे कारक है । जिन्हें प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का कारण माना जाता है।
- हार्मोन में परिवर्तन
- महिलाओं के मस्तिष्क में रासायनिक परिवर्तन
- जीवनशैली मेंं बदलाव
- तनाव
- डाइट
वैसे तो हर महिला के जीवन में यह पड़ाव आता है। जिसको हर महिला को गुजरना पड़ता है। परंतु यदि आपकी डाइट, जीवनशैली तथा तनाव का स्तर आपके जीवन में कम है। तो आपको इस समस्या को अधिक सामना नही करना पडेगा।
महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के घरेलू उपाय – Home Remedies for Premenstrual Syndrome in Hindi
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यदि महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के लक्षण ज्यादा गंभीर नही है। तो ये टिप्स आपको सामान्य रूप से स्वस्थ रहने में मदद करेंगे, और आपके पीएमएस के कुछ लक्षणों से राहत दिलाएंगे –
- महिलाओं को नियमित रुप से शारीरिक गतिविधियों जैसे कि व्यायाम एवं योग करना चाहिए। जो आपको अवसाद (डेप्रेशन) से बचाने में आपकी मदद करेंगे।
- महिलाओं को ध्यान करना चाहिए। जिससे थकान जैसे लक्षणों में को कम करने में मदद कर सकता है।
- स्वस्थ भोजन चुनें।
- आपके मासिक धर्म से पहले दो सप्ताह में कैफीन, नमक और चीनी वाले खाद्य पदार्थों और पेय से परहेज करने से पीएमएस के कई लक्षण कम हो सकते हैं।
- पर्याप्त नींद लो। हर रात लगभग आठ घंटे सोने की कोशिश करें। नींद की कमी अवसाद और चिंता से जुड़ी हुई है और इससे पीएमएस के लक्षण जैसे मूड खराब हो सकता है।
- तनाव से निपटने के लिए स्वस्थ तरीके खोजें। अपने दोस्तों से बात करें।
- धूम्रपान न करें। एक बड़े अध्ययन में, धूम्रपान करने वाली महिलाओं ने धूम्रपान न करने वाली महिलाओं की तुलना में अधिक पीएमएस लक्षण होते हैं।
महिलाओं में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic Treatment for Premenstrual Syndrome in Hindi
मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के स्वभाव में परिवर्तन होना एक सामान्य सी बात होती है। क्योंकि वह इस समय हार्मोन परिवर्तन के कारण शारीरिक बदलावों से गुजर रही होती हैं। इसलिए ऐसे में कुछ आयुर्वेदिक उपाय प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षणों को कम करने में मददगार साबित होते हैं।
- अच्छी जीवन शैली को अपनाना चाहिए। जिससे कम से कम प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के लक्षण हो।
- दिनचर्या, रात्रि चर्या और ऋतु चर्या का पालन करें।
- प्राणायाम को अपने जीवन का अनिवार्य हिस्सा बनाएं।
- दिन में एक बार धनिया का पानी पीएं।
- रात में जल्दी सोने की कोशिश करें और सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें।
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