पित्त दोष क्या है : असंतुलित पित्त से होने वाले रोग, लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय- Pitta Dosha kya hai
हमारे जीवन में जिस तरह सुख और दुख हमेशा लगा रहता है, ठीक उसी तरह कई तरह की बीमारियां भी साथ रहती हैं, जिसमें त्रिदोष भी शामिल है। आयुर्वेद के अनुसार,यह प्राणली ब्रह्मांड के संदर्भ में भावनात्मक प्रकृति और आध्यात्मिक दृष्टिकोण की जांच करती है। इन तीनों दोषों के कारण हमारा शरीर में रोग उत्पन होने लगते है। त्रिदोष के संतुलित होने से हम रोग मुक्त होते है लेकिन असंतुलित होने के कारण अनेकों बीमारियां के घेराव में आ जाते है। जिसमें से एक बीमारी है पित्त दोष।
अगर आपको छोटी सी बातों पर काफी ज्यादा गुस्सा आता है, या फिर गैस और एसिडिटी की समस्या है तो इसका मतलब आपका शरीर पित्त प्रकृति का है। आज इस आर्टिकल में बात करेंगे की पित्त दोष क्या होता है, पित्त दोष के कारण और पित्त दोष के लक्षण क्या है जिससे जानने से आपको फायदा मिल सकता है।
पित्त दोष- Pitta Dosha in Hindi
पित्त दोष तप से बना है जिसका अर्थ ऊष्मा है। पित्त दोष की परिभाषा की बात करें तो यह एक पतला तरल द्रव्य है जो अग्नि तथा जल तत्त्व से मिलकर बनता है।
वात की ही तरह यह पांच प्रकार का होता है और शरीर के अलग-अलग स्थानों में रहता है। ये पांच प्रकार हैं- पाचक, रंजक, साधक, आलोचक और भ्राजक। यह अग्नाशय, यकृत, प्लीहा, हृदय, दोनों नेत्र, संपूर्ण देह तथा त्वचा में रहता है। आमाशय में पाचक, यकृत और तिल्ली में रंजक, हृदय में साधक, दोनों नेत्रों में आलोचक तथा सारे शरीर में भ्राजक रहता है। जैसे वायु दोष का बढ़ना और घटना होता है, उसी प्रकार से पित्त भी बढ़ता एवं घटता है। जब पित्त कम होता है तो शरीर की गर्मी कम तथा रौनक घट जाती है।
जब इसकी वृद्धि होती है तो ठंडी चीजों की इच्छा होती है, शरीर पीला हो जाता है, नींद कम आती है, बल की हानि होती है। इसके कई कारण होते हैं। खासतौर पर भय, शोक, क्रोध, अधिक परिश्रम, जले पदार्थों का सेवन, अधिक मैथुन, नमकीन, तिल, तेल, मूली, सरसों, हरी सब्जियां, मछली, शराब तथा धूप आदि से पित्त कुपित होता है।
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पित्त दोष के प्रकार- Pitta Dosha ke Prakar
पित्त के अलग-अलग अंगों में उपस्थित होने पर भिन्न-भिन्न प्रभाव होते है –
- अगर पित्त एक व्यक्ति के हृदय में स्थित होता है। तो व्यक्ति के शरीर का तापमान, उसका रंग, और तेज का निंयत्रयण करता है। इस पित्त को साधक के रुप में जाना जाता हैं।
- जब पित्त त्वचा में मौजूद होता है। तो यह शरीर की नमी, त्वचा और गर्मी को कंट्रोल करता है। इस पित्त को आयुर्वेद में आलोचक कहा जाता है।
- जब पित्त छोटी आंत और पेट में होता है। तो ऐसे में यह शरीर के अग्नाशय और पित्त के रस के गठन को नियंत्रित करता है। यह पित्त का पाचक कहलाता हैं।
- पित्त जब किसी व्यक्ति की आँखों में मौजूद होता है। तो उसे भाजक पित्त कहते हैं। इस प्रकार के पित्त का कार्य आँखों की दृष्टि में सहायक होता है।
- इस प्रकार का पित्त लिवर, पेट, अग्नाशय में स्थित होता है। और इसका काम पाचन तंत्र का मजबूत करना और रक्त कोशिकाओं का निर्माण करना होता है। इस पित्त को रंजक कहा जाता हैं।
पित्त दोष के लक्षण- Pitta Doshas ke Lakshan
- अधिक भूख-प्यास लगना
- सीने में जलन बनना जो एसिडिटी का कारण बन सकता है
- आँखे, हाथों व तलवों में जलन बने रहना
- सामान्य से बहुत गर्मी लगाना
- हर समय पसीने आना
- त्वचा से जुड़ी समस्याएँ जैसे चेहरे पर दाने, मुहाँसे, फुंसी होना
- पित्त की उल्टी होना
- प्रकाश के प्रति अति संवेदनशीलता
- शरीर से और मुह से तीक्ष्ण गंध
- बहुत ज्यादा सिर दर्द होना
- जी मचलाना या उलटी जैसा मन होना
- दस्त होने की समस्या
- मुख में कड़वा स्वाद बने रहना
- ज़्यादा गर्मी लगना और ठंडे वातावरण की चाह
- बोल चाल उग्र होना
- काम करने में चिड़चिड़ाहट होना
- हमेशा गुस्सा आना
- हर किसी के साथ आक्रामक होना
- विवाद करने के लिए हर समय तैयार रहना
- अधीरता और हड़बड़ाहट रहना
- हर समय निराशा का भाव रहना
- इनका मूड बहुत जल्दी बदलता है
पित्त दोष के कारण- Pitta Dosha ke Karan
- चटपटे, नमकीन, मसालेदार और तीखे खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन
- ज्यादा मेहनत करना, हमेशा मानसिक तनाव और गुस्से में रहना
- अधिक मात्रा में शराब का सेवन
- सही समय पर खाना ना खाने से या बिना भूख के ही भोजन करना
- ज्यादा सेक्स करना
- तिल का तेल,सरसों, दही, छाछ खट्टा सिरका आदि का अधिक सेवन
- गोह, मछली, भेड़ व बकरी के मांस का अधिक सेवन
- पीलिया की बीमारी भी है पित्त दोष का कारण
- नाभी के आसपास मरोड़ आना
- मधुमेह और पैनक्रियाज से जुड़ी बीमारी
- त्वचा में दाने, चक्कते और सफेद दाग होना
- सही समय पर खाना न लेना
- बिना भूख लगे खाना खाना या ज्यादा खाना लेने के कारण पित्त बढ़ना
- हर थोड़े दिनों में सेक्स करना
- तेल और घी का ज्यादा सेवन करना। सबसे ज्यादा तिल और सरसों के तेल का सेवन करना
- दही, खट्टी छाछ, सिरका और अन्य खट्टी चीजों का ज्यादा सेवन करना
- मांस का अधिक सेवन करना
- शारीरिक समस्या होना
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
- शरीर में जलन बने रहना
- महिलाओं के प्रजनन प्रणाली में समस्या होना
पित्त दोष को संतुलित कैसे रखें- Pitta Dosha ko Santulit Kaise Rakhein
पित्त के बारे में जानने के बाद सवाल आता है कि पित्त दोष कैसे ठीक करें। पित्त दोष का आयुर्वेदिक उपचार से बढ़ा हुए पित्त को ठीक कर सकते है। इन निम्नलिखित में आयुर्वेदिक उपचार इस तरह शामिल हैं-
- अत्यधिक गर्मी और भाप से बचें।
- ठंडा और बिना मसाला वाला खाना खाएं।
- घी एक त्रिदोष नाशक औषधि है। पित्त दोष के लिए इसका सेवन जरुर करें।
- आवंला खट्टा होने के बावजूद पित्त को खत्म करता है। इसके लिए हमें आंवले का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए।
- पित्त की समसया के लिए लहसुन को छोटे-छोटे टुकड़ों में करके घी से फ्राई करके इसका सेवन कर सकते है।
- हल्दी मेथी और सौंठ का पाउडर दरदरा पानी पिएं। इससे पित्त की समस्या से छुटकारा मिलेगा
- एलोवेरा, लौकी का जूस, व्हीटग्रास (Wheatgrass) पित्त के लिए सबसे बेस्ट।
- गुलाब की पंखुड़ियों का गुलकंद बनाकर सेवन करे।
- अगर आपको पित्त दोष है तो आपको मिर्च-मसाले वाले खाने से परहेज करना चाहिए। खाने में इस्तेमाल किये जाने वाले मसालों की तासीर गर्म होती है जिससे शरीर में पित्त ज्यादा बनता है।
- सूखे मेवा की तासीर बहुत गर्म होती है। इसलिए ऐसे लोगों को कम मात्रा में ड्राई फ्रूट्स खाने चाहिए। आप चाहें तो बादाम को भिगोकर खा सकते हैं।
- पित्त वाले लोगों को खट्टे फलों से भी परहेज करना चाहिए। इसकी जगह आप तरबूज, खीरा और सेब खा सकते हैं।
- पित्त वाले लोगों को कैफीन युक्त खाने से बचना चाहिए। कैफीन युक्त चीजें जैसे कॉफी, चाय, सोडा और चॉकलेट्स कम मात्रा में लेने चाहिए।
- गर्म तासीर की सब्जियों और दालों से भी परहेज रखना चाहिए। इसके साथ ही चिपचिपी सब्जियों जैसे बैंगन, अरबी, भिंडी, कटहल, सरसों और गर्म तासीर की दालों से भी परहेज करें। आप मूंग की दाल खा सकते हैं।
- तितली आसन से पित्त दोष से बचाव कर सकते है। इसे करने से पित्त कोमल और शांत होता है। इस आसन को करने से मन और शरीर दोनों शांत हो जाते हैं।
- नियमित रूप से शशांकासन करने से तनाव और चिंता दूर होती है। अगर आपको बहुत ज्यादा गुस्सा आता है, तो यह आसन आपके लिए भी फायदेमंद होता है। इससे पित्त दोष को शांत किया जा सकता है।
- पित्त से होने वाले रोगों को गोमुखासन दूर करने में मददगार होता है। अगर इसे रोज किया जाए तो इससे तनाव और गुस्सा कम होता है। साथ ही हाथ-पैरों की मांसपेशियां मजबूत बनती है।
- धनुरासन और भुजंगासन जैसे आसनों से पित्त को कम करने में मदद करते हैं। और बैठकर ध्यान और बालासन करने से शरीर में ठंठक आती है और गर्म बहार जाती है।
- न ज्यादा देर काम करें और न ही ज्यादा देर आराम करें। नियमित रूप से मेडिटेशन और रोज योगाभ्यास करें।
पित्त दोष बैलेंस करने के लिए डाइट प्लान – Pitta Diet Plan in Hindi
- घी का सेवन जरूर करें। सबसे बेहतर गाय का घी हैं।
- गोभी, खीरा, गाजर, आलू, शिमला मिर्च और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
- सभी तरह की दालों का सेवन करें।
- एलोवेरा जूस, अंकुरित अनाज, सलाद और दलिया का सेवन करें।
- ठंडी चीजों का सेवन करें।
- पानी खूब मात्रा में पीना चाहिए
- पित्त दोष में गर्म तासीर वाले फलों के सेवन से परहेज करना चाहिए। इस समस्या से राहत पाने के लिए सेब, अनार, ताजे अंजीर, आम, खरबूजा, अमरूद और संतरे का सेवन कर सकते हैं।
- पित्त की समस्या में ब्रोकली, खीरा, हरी शिमला मिर्च, हरी पत्तेदार सब्जी, गोभी, हरी बींस, मशरूम, लौकी और भिंडी से बनी सब्जियों को डाइट में शामिल कर सकते हैं।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।
(और पढ़े – वात दोष क्या है)