पेशाब में जलन (मूत्र नली) या रुकावट के आयुर्वेदिक उपचार – Peshab mein Jalan ke upay
आजकल के बदलते वातावरण और जीवनशैली से लोग तरह तरह के संक्रमणों से जूझ रहे है। इन संक्रमणों में से जाना माना संक्रमणडिस्यूरिया है। डिस्यूरिया एक बहुत ही आम समस्या है। ये समस्या महिला और पुरुष दोनों में ही देखी जाती है।
लेकिन महिलाओं में इसका ज्यादा असर देखा जाता है। डिस्यूरिया होने पर सबसे आम समस्या पेशाब करते समय महसूस किया जाता है। इस समस्या को बिल्कुल भी हल्के में न लें यह सामान्य से लेकर गंभीर हो सकती है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको Peshab mein Jalan ke upay और मूत्र नली में ब्लॉकेज के बारे में विस्तार से जानेगे।
पेशाब में जलन (मूत्र नली) या रुकावट क्या है?- Peshab mein Jalan ke upay
डिस्यूरिया यानी पेशाब के दौरान परेशानी, जलन और दर्द महसूस करना होता है। जब ट्यूब मूत्राशय से मूत्र को बाहर ले जाती है, यह जलन, दर्द आमतौर पर वहां महसूस होती है। यह कोई बीमारी नहीं होती है बल्कि यह बीमारी के लक्षण होते हैं।
ऐसे में डॉक्टर परीक्षण करके इस बात का पता लगाते हैं कि यह जलन किस कारण हो रही है। इस तरह की परेशानी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा होती है। साथ ही मूत्रमार्ग (Urethra) सिकुड़ जाए या पतली हो जाए, तो मूत्र के प्रवाह को रोक सकती है। इस समस्या को यूरेथ्रल स्ट्रीक्चर (Urethral Stricture in Hindi) यानी पेशाब की नली में ब्लॉकेज कहा जाता है।
(और पढ़े – बार-बार पेशाब आना (बहुमूत्रता) के कारण, लक्षण व उपचार)
पेशाब में जलन (मूत्र नली) या रुकावट के कारण- Peshab mein Jalan karan or upay
अगर UTI या मूत्र नली (पेशाब) रुकावट का सही समय पर इलाज ना किया जाए तो इन निम्नलिखित दिक्कतों का समना कर सकते है-
- जब यूरिन का रास्ता संकुचित हो जाता है या पुरुष ग्रंथि का आकार बढ़ने लगता है तब यूरिन करते वक्त रुकावट महसूस होती है। उस वक्क यूरिन के दौरान काफी दर्द या जलन पैदा हो सकती है।
- हर्मोनल बदलावों के कारण हो सकता है। पुरुष के मुकाबले महिलाओं में यह समस्या ज्यादा देखी गई है। ऐसी महिलाओं को मेनोपॉज के बाद योनी में सुखापन आ जाता है।
- पेशाब में जलन या पेनफुल यूरीनेशन के कई कारण हो सकते हैं. अगर व्यक्ति को पेशाब के रास्ते में कोई संक्रमण हो गया है।
- यौन जनित संक्रमण जैसे की क्लेमाइडिया, गोनोरिया, हर्प्स आदि संक्रमण के कारण भी पेशाब करते समय जलन हो सकती है।
- आमतौर पर प्रोस्टेट में इंफेक्शन पुरुषों को होता है। इसे प्रोस्टैटिस (prostatitis) कहते हैं। इसमें प्रोस्टेट में सूजन भी आ सकती है। सेक्शुअली ट्रांसमीटेड डिजीज के कारण भी प्रोस्टेट में सुजन आ सकती है।
- किडनी स्टोन के कारण भी पेशाब करते समय जलन और दर्द हो सकता है। इसमें पेशाव का रंग पिंक या ब्राउन हो सकता है। साथ ही बुखार, उल्टी और बैचेनी जैसी समस्या हो सकती है।
- कुछ केमिकल के इस्तेमाल से भी डिस्यूरिया की समस्या हो सकती है। जैसे की साबून या टॉयलेट पेपर का ज्यादा इस्तेमाल करना।
- यूरेथ्राइटिस की समस्या में बैक्टीरियल इन्फेक्शन के चलते मूत्रमार्ग में सूजन आ जाती है। इस समस्या में अक्सर पेशाब के समय दर्द होता है और बार बार पेशाब जाने की इच्छा होती है।
पेशाब में जलन (मूत्र नली) या रुकावट के लक्षण- Peshab mein Jalan (Mutra Nali) Ya Rukawat Ke Lakshan
पेशाब में जलन या डिस्यूरिया के लक्षणों में शामिल हैं:
- पेशाब करते समय जलन महसूस होना
- बुखार आना
- पेाशब में खून आना
- दस्त की समस्या होना
- कठोर गंध वाला और बदबू के साथ यूरिन आना
- पेट में दर्द महसूस करना
- उल्टी या मतली होना
- पीठ के आसपास तेज दर्द महसूस करना
- कंपन महसूस करना
- योनि को हाथ लगाने में दर्द महसूस करना
- योनि में खुजली होना
- सेक्स के दौरान दर्द या असामान्य परेशानी महसूस करना
- योनि में दर्द और जलन महसूस करना
पेशाब में जलन (मूत्र नली) या रुकावट का आयुर्वेदिक उपचार- Peshab mein Jalan ke upay
यूरीन के इंफेक्शन में मूत्र नली का आयुर्वेदिक उपचार इन निम्नलिखित तरीके से किया जाता है-
- बस्ती (Basti)
इस चिकित्सा में हर्बल काढ़े और तेलों से तैयार आयुर्वेदिक एनीमा को संदर्भ करती है। यह थेरेपी बड़ी आंत और मलाशय को साफ करने में फायदेमंद होती है। बस्ती करने के लिए उपयोग किए जाने वाले औषधीय काढ़े आमतौर पर तेलों को मिलाकर दिए जाते हैं। और यह कभी अकेले नहीं दिए जाते हैं। खाली करने वाले एनीमा वसा को कम करने में मदद करते हैं, जबकि एनीमा को शुद्ध करने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को खत्म किया जाता है।
निरुह बस्ती (Niruha basti) में दशमूल (10 जड़ें) क्वाथा (काढ़ा), अनुवासन बस्ती का उपयोग करके तिल का तेल और उत्तर बस्ती यूटीआई के लिए उपचार की एक सामान्य रेखा बनाती हैं। यह उपचार डिसुरिया (dysuria) और रुकावट से राहत प्रदान करते हैं।
- स्वेदन (Swedana)
स्वेदन या सूडेशन थेरेपी में विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके पसीने का निकलना शामिल है। यह थेरेपी शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैले विषाक्त पदार्थों के द्रवीकरण को बढ़ावा देती है। ये विषाक्त पदार्थ को बहार निकालने के लिए आहार नाल की ओर बढ़ते हैं।
स्वेदन शरीर में भारीपन और अकड़न को कम करता है। यह उन लोगों के लिए भी मददगार है जिन्हें लगातार ठंड लगती है। बस्ती में सिट्ज बाथ और तप स्वेड (सेंक) डिस्यूरिया के इलाज के लिए फायदेमंद होते हैं।
यूटीआई वाले लोगों में भोजन करने से पहले घृत (मक्खन) का सेवन करने के साथ कटी (कमर), पार्श्व (फ्लैंक), उदर (पेट) और वंक्षण (कमर) क्षेत्रों पर तेलों का उपयोग करके स्नेहन (तेल) से वतनुलोमाना (वात का नियमन) में सुधार होता है।
पेशाब में जलन की आयुर्वेदिक दवा के लिए इन निम्नलिखित का सेवन किया जाता है। इन आयुर्वेदिक दवाओं में शामिल है:
- चंद्रप्रभावटी
- गोकशुरादी गुगुलु
- गोक्षुरा
- शतावरी
- सिरप नीरी
- सिरप शिता सुधा
- पाथ्य आहार
आखिर में आपको यही सलाह दी जाती है कि पेशाब में जलन दूर करने के उपाय ये है कि ऐसे भोजन का सेवन करें जो असानी से पच सकें। धनिया के पानी और गिलोय के पत्ते का सेवन करें। ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।
खानपान के अलावा आप दिन में एक बार योगा जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। सुर्य नमस्कार, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम, तितली आसन, उत्कटासन, मलासन, त्रिकोणासन, प्राणायाम और 30 मिनट तक पैदल चले।
(और पढ़े – महिलाओं में क्यों होता है यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई)
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है तो सलाह लेने के बाद ही इस पर अमल करें। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।