पीसीओएस/पीसीओडी का घरेलू उपाय – PCOS/PCOD ka Gharelu Upaay
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD), जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) भी कहा जाता है। पीसीओएस की समस्या 12 से 45 वर्ष की आयु की महिलाएं 10% तक प्रभावित होती है। यह महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है जिससे फीमेल बॉडी के हार्मोन असंतुलित हो जाते है।
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज मासिक धर्म की समस्याओं का कारण बन सकता है। जिससे महिला को गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।
PCOS की समस्या से मासिक धर्म प्रभावित हो सकता है और साथ ही मुंहासे, चेहरे पर बालों का बढ़ना, वजन बढ़ना और आँखों के नीचे काले घेरे पड़ जाना, इसके लक्षण हैं। हार्मोन असंतुलन के कारण महिलाओं का स्वास्थ्य बहुत ही बुरी तरह से प्रभावित होता है।
इसके साथ-साथ महिलाओं के अंडाशय में छोटी-छोटी सी गांठे निर्मित होने लगती है जिनको सिस्ट के नाम से जाना जाता है।
सिस्ट का निर्माण तरल पदार्थ के द्वारा होता है तो कुछ समय के बाद बड़ा रुप धारण कर लेती है। इन सिस्टों का असर सीधा महिला के प्रजनन क्षमता पर पड़ता है जिसके कारण वह गर्भधारण करने में असमर्थ हो जाती है।
PCOS के प्रकार –
PCOS/PCOD को मुख्य रुप से तीन भागो में बांटा गया है
- 1. Insulin Resistant Polycystic Ovarian Syndrome
- 2. Immune-Related Polycystic Ovarian Syndrome
- 3. Polycystic Ovarian Syndrome Due To Contraceptive Drugs
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज को दूर करने के लिए कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर इससे छुटकारा पाया जा सकता है।
PCOS/PCOD में इनका सेवन करे –
1. दालचीनी – दालचीनी एक आयुर्वेदिक खाद्य पदार्थ है जिसके सेवन से पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज की समस्या से राहत मिल सकती है। दालचीनी को जब आप औषधि के रुप में लेते है तो यह आपके शरीर में इंसुलिन की मात्रा को नियंत्रित करता है और वजन कम करने में भी सहायक होता है।
2. पुदीना – पुदीना भी एक हर्बल औषधि है, जो आपके शरीर के टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है साथ ही शरीर में जो अनचाहे बाल उगते है उनको कम भी करता है।
3. मेथीदाना – मेथीदाना के सेवन से शरीर में ग्लूकोज के metabolism को बढ़ाती है और इंसुलिन को कम करती है। मेथीदाना का सेवन सबसे अच्छा घरेलू उपाय है इससे शरीर के दोष भी नियंत्रित हो जाते है।
4. मुलेठी – मुलेठी एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसके प्रयोग से Testosterone हार्मोन के स्तर में कमी आ जाती है और साथ ही Ovulation की प्रक्रिया में वृद्धि होने लगती है।
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