PCOD in Hindi: पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर या PCOD हिन्दी में

PCOD in Hindi: पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर या PCOD हिन्दी में

हमारी बदलती जीवनशैली और खानपान के वजह से हम कई बिमारियों कि चपेट में आने लगे हैं। इन दिनों बदलती लाइफस्टाइल और पोषण संबंधी कमी से युवा वयस्कों में पीसीओडी (PCOD) के बढ़ते फैलाव का सीधा संबंध हो सकता है। व्यायाम की कमी, वजन बढ़ना और मोटापा चयापचय असंतुलन को जन्म देता है, जैसे कि इंसुलिन प्रतिरोध, जो भारतीय आबादी में अधिक है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्तर पर लगभग 10 मिलियन लोग पीसीओडी से प्रभावित हैं। दुनिया भर में 2.2 प्रतिशत से 26 प्रतिशत तक महिला पीसीओडी की समस्या से जुझ रही है। और भारत की बात करें तो नए आंकड़ों के अनुसार, हर चार में से एक महिला पीसीओडी का शिकार है।

आयुर्वेद के अनुसार आहार (खानपान), विहार (जीवन शैली) और औषध (दवा) के माध्यम से पीसीओडी का रोकथाम और इलाज किया जा सकता है। आज इस आर्टिकल में हम पीसीओडी (PCOD in Hindi) से संबंधित जानकारी को विस्तार में जानेगे। 

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पीसीओडी क्या है?What is PCOD in Hindi

PCOD यानि पॉलीसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (Polycystic Ovarian Disease) की समस्या आमतौर पर महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance) होने के कारण होती है। इसमें महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन एण्ड्रोजन (Male Hormone Androgen) का लेवल बढ़ जाता है और अंडाशय (Ovary) पर सिस्ट बनने लगते हैं।

सामान्य तौर पर शरीर में सभी प्रक्रियाओं को सही तरीके से काम करने के लिए महिला और पुरुष दोनों हर्मोन होना जरुरी होते है। लेकिन पीसीओडी की समस्या में पुरुष हर्मोन का स्तर ज्यादा होने लगता है। यह समस्या आपके प्रजनन क्षमती की उम्र के समय को परभावित करता है। 

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पीसीओडी के लक्षण – PCOD symptoms in Hindi

  • इस बीमारी के लक्षण (PCOD Symptoms pain in Hindi) दिखें तो अलर्ट हो जाए-
    • अनियमित पीरियड्स: इस बीमारी में ओव्यूलेशन की कमी हर महीने गर्भाशय (Uterus) की परत को बहने से रोकती है। पीसीओएस वाली कुछ महिलाओं को साल में आठ बार से कम पीरियड्स आते हैं या बिल्कुल भी नहीं आते है।
    • भारी रक्तस्राव: इस स्थिति में गर्भाशय की परत लंबे समय तक बनी रहती है, इसलिए आपके मासिक धर्म सामान्य से अधिक हो सकते हैं।
    • चेहरे पर मुंहासे: पीसीओडी में पुरुष हार्मोन त्वचा को सामान्य से अधिक तैलीय बना सकते हैं और चेहरे, छाती और पीठ के ऊपरी हिस्से पर मुंहासे होने लगते है। हार्मोन परिवर्तन के कारण ऐसा हो सकता है।
    • शरीर या चेहरे पर बालों का आना: इस स्थिति में अधिक महिलाएं अपने चेहरे और शरीर पर बाल आते हैं। जिसमें उनकी पीठ, पेट और छाती शामिल हैं। अत्यधिक बाल बढ़ने की समस्या को हिर्सुटिज़्म कहा जाता है।
    • वजन बढ़ना: ज्यादातर मामलों में पीसीओएस वाली महिलाएं अधिक वजन या मोटापे से परेशान होती हैं।
    • त्वचा पर काले धब्बे पढ़ना: त्वचा के काले धब्बे शरीर की सिलवटों के तरह होते है जैसे कि गर्दन पर, कमर में और स्तनों के नीचे आ सकते हैं।
    • बालों का पतला होना: इस स्थिति में सर से बाल कम होने लगते हैं या बिल्कुल गिरने लगते हैं।
    • गर्भवती होने में परेशानी: पीसीओडी के कारण बांझपन की समस्या हो सकती है, जिसे महिला को प्रग्नेंसी में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

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पीसीओडी होने के कारण- PCOD Problems in Hindi

कई बार तो PCOD से ग्रस्त महिलाओं को पता ही नहीं होता कि उन्हें इस प्रकार की कोई बीमारी भी है और PCOD किन्हे होता है? पीसीओएस से पीड़ित लगभग 60 प्रतिशत महिलाओं में मोटापा मौजूद है, 50 प्रतिशत में फैटी लीवर होता है, लगभग 70 प्रतिशत में उच्च इंसुलिन प्रतिरोध है और 60-70 प्रतिशत में पुरुष हार्मोन का उच्च स्तर होता है। वैसे तो पीसीओडी का कोई सही कारण तो नहीं पता चला, पर विशेषज्ञों के अनुसार कुछ कारक इसमें अहम भूमिका निभाते हैं. जैसे कि-

  • इनसुलिन की बड़ी हुई मात्रा: इंसान के शरीर में इंसुलिन (Insulin) की मात्रा तय करती हैं कि एण्ड्रोजन का उत्पादन कितना होगा। अधिक इंसुलिन की मात्रा होने का मतलब हैं कि एण्ड्रोजन का उत्पादन भी ज्यादा होगा। और अतिरिक्त एण्ड्रोजन के उत्पादन से ओव्यूलेशन में कठिनाई हो सकती है।
  • निम्न-श्रेणी में सुजन: हमारे शरीर में वाइट ब्लड सेल्स का उत्पादन इंफेक्शन से लड़ने के लिए होता हैं। और इस समस्या में वइट ब्लड सेल्स का उत्पादन करने में असमर्थ होता हैं। जिससे निम्न-श्रेणी में सुजन होने लगती है, जो अधिक एण्ड्रोजन के उत्पादन भी कारण होता है। 
  • जीन: विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं को पीसीओडी उनके परिवार से भी मिल सकता है। 
  • टेस्टोस्टेरोन का बढ़ा स्तर: सभी महिलाओं में एण्ड्रोजन की थोड़ी मात्रा होती है। परन्तु एण्ड्रोजन की बहुत ज्यादा मात्रा ओवुलेशन होने से रोकती है। ओवरी की थीका सेल्स से उत्पन्न अत्यधिक एण्ड्रोजन या तो हाइपरिन्युलिनिया (Hyperinsulinemia) या ल्यूटिनिज़िंग हार्मोन (Luteinizing hormone) के स्तर बढ़ने के कारण होता है।
  • सेक्स हार्मोन-बाइंडिंग ग्लोबुलिन (SHBG) का कम स्तर: हमारे ब्लड में एक प्रोटीन होता है, जो टेस्टोस्टेरोन से बांधता है और टेस्टोस्टेरोन के प्रभाव को कम करता है।

पीसीओडी में होने वाली जटिलताएं क्या हैं?- Complications in PCOD in Hindi

अगर इस बीमारी को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है, तो इससे कई तरीके की नई बीमारियां जन्म ले सकती है। पीसीओडी में होने वाली जटिलताएं शामिल हैं-

  • डायबिटीज की समस्या पैदा हो सकती है।
  • अंडेदानी से कैेसर का रिस्क बढ़ता है। 
  • ओवरी एग को रिलीज करने में सक्षम नहीं होता, जिसे गर्भपात का खतरा होता है।
  • प्रजानन क्षमता की कमी होना।
  • मेटोबोलिक सिंड्रोम का खतरा हो सकता है। 
  • दुर्लभ मामलों में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा होना।
  • चिंता या अवसाद की समस्या से ग्रस्त रहना।

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पीसीओडी का आयुर्वेदिक इलाज- PCOD Ayurvedic Treatment in Hindi

आयुर्वेद की मदद से पीसीओडी का इलाज हो सकता है। शरीर में हर्मोन को संतुलन रखने और गर्भवती होने के उपचार में पंचकर्म उपचार शामिल है। गर्भधारण करने के लिए ओव्यूलेशन होना बहुत जरूरी है। और इस समस्या को पंचकर्म उपचार से प्राप्त किया जा सकता है। पीसीओएस के लिए कौन सा उपचार सबसे अच्छा है इसका आयुर्वेद के साथ सबसे अच्छा उत्तर दिया गया है। होम्योपैथी में पीसीओएस का इलाज भी है लेकिन यह पक्का इलाज नहीं है और इसमें 1 साल से ज्यादा का समय भी लगता है।

  • स्नेहन/अभ्यंग- वात को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। 
  • स्वेदन- चर्बी को कम करने और श्रोतवृद्ध को कम करने के लिए किया जाता है।
  • शिरोधारा- तनाव प्रबंधन और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने के लिए किया जाता है।
  • नस्य- पिट्यूटरी और अन्य अंतःस्रावी ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।
  • बस्ती – विकृत वात का इलाज करने के लिए किया जाता है।

पीसीओडी में रखें डाइट का ख्याल- PCOD Diet Chart in Hindi

पीसीओडी में आहार, सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ, हमारी कोशिकाओं के लिए ईंधन है। पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थों के साथ संतुलित आहार का सेवन करना चाहिए जो इंसुलिन प्रतिरोध से लड़ते हैं। आइए जानते है कि आयुर्वेद के अनुसार पीसीओडी ग्रस्त महिलाओं को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं- 

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पीसीओडी में क्या खाएं – PCOD Me kya Khana Chahiye?
  • अनार का सेवन करें जिससे शरीर उच्च एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि के साथ फाइटोकेमिकल्स का एक समृद्ध स्रोत, प्रोबायोटिक से समृद्ध पीसीओडी में सुधार कर सकता है।
  • आवला का सेवन भी कर सकते है।
  • डेयरी उत्पाद जैसे कि छाछ और दूध ले सकते है।
  • काली किशमिश और अलसी का सेवन कर सकते है। 
  • काले तिल और गुड़ का सेवन कर सकते है। लेकिन गर्मी में इसका सेवन कम करें क्योंकि तिल की तासिर गरम होती है। 
  • सब्जियों में लोकी, परवल और पेठे का सेवन कर सकते है। 
  • मौसमी फल का सेवन का आप जूस की तरह भी कर सकते है।

साथ ही डाइट में लीन प्रोटीन सोर्स को शामिल करना चाहिए। तीन बड़े भोजन के बजाय पांच छोटे भोजन करना चाहिए, इससे वजन घटाने में मदद मिलती है। उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स (खाद्य पदार्थों में कार्बोहाइड्रेट की एक सापेक्ष रैंकिंग) वाले भोजन से बचें। अपने आहार में ढेर हरी सब्जियों और फल शामिल करें।

पीसीओडी में क्या ना खाएं – PCOD Me kya Nhi Khana Chahiye?
  • चना दाल औऱ उड़द दाल का सेवन ना करें।
  • कच्चा टमाचर और पालक का सेवन ना करें।
  • साबुदाना और पालक का सेवन ना करें।
  • मैदा बेकरी पदार्थ का सेवन बंद करें। 
  • चाय या कॉफी का सेवन ना करें।
  • दही, मांस और गरम मसाले का सेवन ना करें।
  • नींबू, केला, मूंगफली और आचार का सेवन ना करें।
पीसीओडी में योग है सबसे कारगर – PCOD Me Yoga ke Fayde

खानपान के अलावा आप दिन में एक बार योगा जरुर करे जो पीसीओडी का इलाज फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। इनमें निम्नलिखित योग शामिल है-

  1. सुर्यनमस्कार: नियमित रुप से सूर्य नमस्कार करने से प्यूबिक एरिया की मसल्स, यूरिनरी ट्रैक्ट वेन्स और लोअर अबडॉमिन की मसाज होती है और मजबूती भी आती है। यह पीसीओडी को खत्म करने और साथ मेन्सट्रुअल साइकिल को रेग्युलर करने में भी फायदेमंद होता है।
  2. अनुलोम-विलोम: नियमित रुप से प्राणायाम करना जरुरी है, जिससे शरीर के सभी हिस्सों मेे ऑक्सिजन की भरपूर मात्रा रहती है। 
  3. कपालभाति: यह आसन आपके चयापचय को बढ़ाता है और आपके वजन को कम करने में मदद करता है। इससे आपके पेट की मासपेशियां सक्रिय होती है, साथ ही पाचन क्रिया को ठीक रखता है।
  4. तितली आसन: इस समस्या में महिलाओं के लिए यह आसान काफी लाभदायक होता है। यह आसन प्रजनन अंगो के साथ-साथ पैरों और जंघों को मजबूत करता है। साथ ही मानसिक स्वास्थ को भी अच्छा रखता है।
  5. भुजंगासन: पीसीओडी में भुजंगासन काफी फायदेमंद साबित होता है। बारी बारी अभ्यास करके प्रजनन प्रणाली को मजबूत करता है। पीरियड्स की अनियमिता को भी दूर करता है। 

(और पढ़े – Male Infertility: Symptoms and Causes – Dr Chanchal Sharma)

अगर आप पीसीओडी या पीसीओएस से पीड़ित हैं और नेचुरल ट्रीटमेंट से अपना इलाज करवाना चाहते है। तो दिल्ली के स्वश्रेत्र इनफर्टिलिटी क्लिनिक (Aasha Ayurveda) में डॉक्टर चंचल शर्मा से संपर्क करके अपना इलाज करवा सकते है । डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें। हमारी टीम आपके सभी सवालों का जवाब देने और परेशानी से संबंधित ज्यादा जानकारी देने के लिए हमेशा तैयार हैं।

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