PCOD Kya Hota h || पीसीओडी (PCOD) क्या होता है? – डॉ. चंचल शर्मा
आजकल लोगों की बदलती हुयी जीवनशैली, अनहेल्दी फ़ूड हैबिट्स और शारीरिक रूप से एक्टिव ना होने के कारण लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर पर अगर महिलाओं की बात करें तो उनके ऊपर घर – परिवार की जिम्मेदारी के साथ वर्क स्पेस की भी जिम्मेदारियां होती हैं जिसकी वजह से वो खुद को समय नहीं दे पाती हैं और धीरे धीरे उनके स्वास्थ्य पर इसका नाकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगता है। यही छोटो छोटी बातें जिसे वो नज़रअंदाज़ करती रहती हैं आगे चलकर बड़ी स्वास्थ्य समस्या का कारण बनता है। इन्ही में से एक है पीसीओडी (PCOD). आइये इस ब्लॉग पोस्ट में जानते हैं pcod kya hota h ? इसके कारण लक्षण और उपचार क्या होते हैं?
पीसीओडी (PCOD) क्या होता है? (PCOD kya hota h?)
पीसीओडी रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप (15 से 45) की किसी भी महिलाओं में होने वाला एक हार्मोनल विकार है। पीसीओएस और पीसीओडी का फुल फॉर्म PCOS and PCOD full form पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिजीज है। पीसीओडी क्या होता है (PCOD kya hota hai) इसे जानने के लिए इस बीमारी के बारे में ध्यान से अध्ययन करना होगा। इस बिमारी के अंतर्गत किसी महिला के ओवरी में छोटे छोटे सिस्ट बनने लगते हैं, जो आकार में किसी गाँठ जैसी दिखाई देती है।
पीसीओडी का इलाज अगर सही समय पर नहीं किया गया तो यह महिलाओं में बांझपन का कारण बन सकता है। पीसीओडी वाली महिलाओं के पीरियड्स नियमित नहीं होते हैं और पीरियड्स (periods) के दौरान उन्हें बहुत ज्यादा पेट दर्द, ऐंठन जैसी समस्या का सामना करना पड़ता है। पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं में पुरुष हॉर्मोन की मात्रा बढ़ जाती है जिसकी वजह से उनके चेहरे पर बाल आने लगते हैं, उनका वजन बढ़ने लगता है और कील मुहांसे जैसी समस्या भी हो सकती है।
पीसीओडी के कारण क्या होते हैं? (PCOD ke karan kya hote hain?)
- अनहेल्दी जीवनशैली (Unhealthy lifestyle): एक महिला के पीसीओडी प्रभावित होने की सम्भावना तब और बढ़ जाती है जब उनकी जीवनशैली बहुत व्यवस्थित और स्वस्थ नहीं होती है। आजकल जिस तरह का जीवन लोग जी रहे हैं ऐसे में घर और बाहर का संतुलन बना पाना मुश्किल होता है। कई महिलाएं इसलिए फ़ास्ट फ़ूड, प्रॉसेस्ड फ़ूड, या दूसरे अनहेल्दी खाद्य पदार्थों का सेवन करती हैं। जिससे उनके स्वास्थ्य पर नाकारात्मक असर पड़ता है।
- अनियमित पीरियड्स (Irregular periods): अगर किसी महिला का पीरियड्स नियमित नहीं होता है तो यह पीसीओडी का कारण बन सकता है।
- मोटापा (Weight gain): मोटापा हार्मोनल असंतुलन या खानपान की लापरवाही के कारण हो सकता है जो पीसीओडी का कारण भी है।
- अनुवांशिक कारण (Hereditary): अगर किसी महिला के परिवार में पीसीओडी का इतिहास रहा हो यानि उनके घर में माँ, बहन आदि को पीसीओडी की समस्या रही हो तो उन्हें भी PCOD की समस्या हो सकती है।
- अपरिपक्व अंडे (Immature egg): जब किसी महिला के अंडे अच्छे से मैच्योर नहीं हो पाते हैं तो वह सिस्ट बन जाते हैं जो पीसीओडी का एक कारण हो सकता है।
- एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ना (High androgen level): जब किसी महिला के शरीर में एंड्रोजेन का स्तर सामान्य से अधिक बढ़ जाता है तो उसे पीसीओडी होने की सम्भावना होती है।
पीसीओडी के लक्षण क्या हैं? (PCOD ke lakshan kya hote hain and what is PCOD problem?)
PCOD महिलाओं में हार्मोनल विकार के कारण होने वाली एक सामान्य बीमारी है जिसके कई लक्षण होते हैं। पीसीओडी क्या होता है (PCOD kya hota h) इसे समझने के लिए जरुरी है पीसीओडी के लक्षण (PCOD ke lakshan) को अच्छे तरीके से जानना। पीसीओडी के लक्षण हर महिला में अलग अलग हो सकते हैं। यह उनकी शारीरिक स्थिति, जेनेटिक्स आदि पर निर्भर करता है। यहाँ पीसीओडी के कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में जानेंगे –
- चेहरे पर बाल आना: पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं में चेहरे पर बाल का आना एक सामान्य लक्षण है।
- कील मुहांसे आना: पीसीओडी का एक और सामान्य लक्षण है चेहरे पर कील मुहांसे का निकलना। वैसे तो यह लक्षण लगभग सभी बच्चों में किशोरावस्था में दिखाई देती है लेकिन पीसीओडी के मरीजों में यह 20 की उम्र के बाद भी देखा जा सकता है।
- वजन बढ़ना: महिलाओं में वजन बढ़ना पीसीओडी का एक सामान्य लक्षण है। अन्य महिलाओं की तुलना में पीसीओडी से ग्रसित महिलाओं का वजन तेजी से बढ़ता है और हॉर्मोनल असंतुलन के कारण बढे हुए वजन को कम करना उनके लिए सामान्य महिलाओं की अपेक्षा ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
- अनियमित पीरियड्स (irregular periods): अगर किसी महिला के पीरियड्स अनियमित हैं यानि अगर किसी महिला का मासिक चक्र कितने दिनों का होगा यह निश्चित नहीं है तो वह पीसीओडी से प्रभावित हो सकती है। ऐसी महिलाओं के पीरियड्स कई महीनों तक नहीं भी आते हैं।
- पीरियड्स में ज्यादा तकलीफ होना (painful periods): पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं को पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग, बहुत ज्यादा पेट दर्द, ऐंठन आदि जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं।
पीसीओडी का इलाज कितने दिनों तक चलता है / पीसीओडी कितने दिनों में ठीक होता है?
पीसीओडी आजकल बहुत सामान्य सी बात हो गयी है। यह एक हॉर्मोनल असंतुलन से सम्बंधित विकार है जिसका उपचार संभव है। लेकिन इसे पूरी तरह ठीक करने के लिए पेशेंट को अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव लाने की जरुरत हो सकती है। ऐसी महिलाओं को नियमित एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए। साथ ही अपने खान पान का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आयुर्वेदा में पीसीओडी के उपचार हेतु हर्बल औषधियों का प्रयोग किया जाता है। ऐसी स्थिति में नियंत्रण बनाये रखना जरुरी है।
पीसीओडी की जांच कैसे करें? (How to diagnose PCOD)
पीसीओडी का उचित इलाज करने के लिए पहले इसके कारणों को अच्छे से समझना होगा। पीसीओडी के कारणों को समझने के लिए आपको इसके लक्षणों पर ध्यान देना होगा। अगर उपर्युक्त कोई भी लक्षण दिखाई दे तो किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से अवश्य संपर्क करें। आपके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता निम्न जांच करवाने के लिए बोल सकते हैं :
- सम्पूर्ण शारीरिक जांच (Complete body test): इसके अंतर्गत डॉक्टर आपके पुरे शरीर की जांच करते हैं। आपके शरीर में फैट कितना है, कमर की साइज क्या है, बॉडी मास इंडेक्स (BMI) क्या है, आदि जानकारी द्वारा वो यह पता करने की कोशिश करते हैं कि आपको पीसीओडी है या नहीं।
- रक्त परीक्षण (blood test): डॉक्टर आपसे ब्लड टेस्ट के लिए बोलते हैं जिससे वह यह पता लगा पाते हैं कि आपके शरीर में एंड्रोजेन (androgen) का स्तर क्या है और ग्लूकोज (glucose) का स्तर कितना है?
- चिकित्सा इतिहास (medical history): इसके अंतर्गत डॉक्टर आपके मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानकारी एकत्रित करते हैं जिसमे आपके पीरियड्स से जुड़ी जानकारी, वैजाइना सम्बंधित जानकारी, मेंस्ट्रुअल साइकिल कितने दिनों का होता है? ये सभी जानकारी पीसीओडी को समझने में मददगार साबित होती हैं।
पीसीओडी का इलाज कैसे किया जाता है?
पीसीओडी का उपचार (PCOD ka upchar) सभी महिलाओं के लिए अलग अलग हो सकता है। यह इन बातों पर निर्भर करता है कि किसके अंदर इसके कौन से लक्षण दिखाई देते हैं। क्यूंकि पीसीओडी का इलाज पूर्णतः संभव नहीं है यह लक्षणों को देखते हुए ही तय किया जाता है ट्रीटमेंट कैसे किया जाये। आप एक स्वस्थ लाइफस्टाइल अपनाकर और हेल्दी भोजन करके इसके लक्षणों को नियंत्रित कर सकते हैं। यहाँ कुछ लाइफस्टाइल चेंजेज दिए जा रहे हैं जिन्हे अपनाकर आप पीसीओडी को ठीक कर सकते हैं:
- आप ताजे फल और सब्जियों का सेवन कर सकते हैं यह आपके शरीर में हॉर्मोन्स को संतुलित रखने में सहायता करता है।
- आप अपने शरीर में ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने के लिए उचित मात्रा में फाइबर को अपने आहार में शामिल करें।
- पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं का वजन बढ़ जाता है इसलिए आप अपने आहार में प्रोटीन को शामिल कर सकती हैं। इससे आपका पेट भरा भरा रहता है और आप ओवरईटिंग से बचते हैं जिससे आपका वजन कम होता है।
- आप एक बार में बहुत सारा खाना खाने से परहेज करें और उसकी जगह हल्की हल्की मील लेते रहे।
- आप नियमित रूप से योगा, मैडिटेशन, एक्सरसाइज आदि जरूर करें। इससे आपका वजन नियंत्रित रहता है।
- आप सॉफ्ट ड्रिंक्स या एडेड शुगर से परहेज करें। साथ ही मैदे से बने खाद्य पदार्थ से आपको परहेज करना चाहिए, इससे वजन बढ़ता है।
- पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं को बाहर का अनहेल्दी खाना जैसे प्रोसेस्ड फ़ूड आइटम्स, फ़ास्ट फ़ूड आदि नहीं खाना चाहिए। यह उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
- स्मोकिं, शराब या अन्य नशीली पदार्थों के सेवन से परहेज करें।
क्या पीसीओडी से प्रभावित महिलाएं माँ बन सकती हैं? (Can women with PCOD become pregnant)
अक्सर महिलाओं के मन में यह सवाल होता है कि पीसीओडी से प्रभावित होने के बाद वो माँ बन सकती हैं या नहीं। यह सवाल मुनासिब है क्यूंकि यह हॉर्मोनल विकार आपके जीवनशैली को प्रभावित करता है। पीसीओडी से प्रभावित महिलाओं को अन्य महिलाओं की तुलना में गर्भधारण करने में अधिक समय लग सकता है। उन्हें प्रेगनेंसी में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए उन्हें विशेष रूप से अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करने की जरुरत होती है जिससे वो आसानी से माँ बनने का सपना पूरा कर सकें।
पीसीओडी से प्रभावित सभी महिलाओं में एक जैसे लक्षण नहीं होते हैं इसलिए कुछ महिलाओं के लिए गर्भधारण आसान होता है। पीसीओडी के कारण कुछ महिलाओं के पीरियड्स अनियमित होते हैं इसलिए उनका ओवुलेशन ट्रैक करना मुश्किल होता है। ओवुलेशन के दिनों का ट्रैक रिकॉर्ड ना होने के कारण उनके लिए यह जानना मुश्किल हो जाता है कि उनके लिए गर्भधारण के लिए सबसे फर्टाइल दिन कौन से हैं, जिस दिन सम्बन्ध बनाने से प्रेगनेंसी की सम्भावना सबसे ज्यादा होगी।
पीसीओडी के लिए आयुर्वेदिक उपचार (Ayurvedic Treatment of PCOD)
आयुर्वेदिक उपचार के अंतर्गत किसी भी बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जाता है। उसके लिए पहले उसके कारणों को समझा जाता है फिर उसका इलाज करके हमेशा के लिए आपको रोग से मुक्त कर दिया जाता है। यह उपचार प्रायः व्यक्ति की क्षमता के अनुरूप किया जाता है जो सबके लिए भिन्न भिन्न हो सकता है। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि किसी भी थेरेपी या दवाई को ग्रहण करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से अवश्य संपर्क कर लें ऐसा करने से जोखिम की सम्भावना कम हो जाती है।
- शरीर में इन्सुलिन की बढ़ी हुयी मात्रा को संतुलित करना और बढे हुए वजन को भी नियंत्रित करना
- महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को मजबूती प्रदान करना
- होर्मोनेस को संतुलित करना
प्रजनन प्रणाली से विषाक्त पदार्थों को हटाकर और गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे विभिन्न अंगों को मजबूत बनाकर अंदरूनी कारण का इलाज करने के लिए पंचकर्म उपचार की सलाह दी जाती है। यह पंचकर्म उपचार शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में भी सहायता करता है।
निष्कर्ष (conclusion)
हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाला यह विकार रिप्रोडक्टिव एजग्रुप की किसी भी महिला को हो सकता है। इस विकार से प्रभावित महिलाओं में ओवरी में सिस्ट बनने की समस्या होती है। इनको पीरियड्स के दौरान काफी तकलीफ झेलनी पड़ती है। इनका उपचार संभव है लेकिन इसमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है लाइफस्टाइल में बदलाव लाना। आपको एक स्वस्थ जीवनशैली अपनानी होगी और नियमित रूप से एक्सरसाइज करना होगा। जिससे आप अपने हॉर्मोन्स को संतुलित बनाये रखें।
PCOD चेक करने के लिए कौन सा टेस्ट होता है?
पीसीओडी चेक करने के लिए डॉक्टर शारीरिक जांच, ब्लड टेस्ट और ब्लड में मौजूद एल एच (LH) ल्यूटिनाइजिंग हॉर्मोन के स्तर को मापने का कार्य करता है।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की वेबसाइट www.drchanchalsharma.com पर जाए या हमसे +91 9811773770 पर संपर्क करें।
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FAQs : अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
पीसीओडी हॉर्मोनल अंसतुलन के कारण उत्पन्न होने वाला एक विकार है जो 15 से 45 वर्ष की उम्र की किसी भी महिला को हो सकता है। पीसीओडी के कारण महिलाओं का पीरियड्स अनियमित हो जाता है और उन्हें पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा पेट दर्द या ऐंठन महसूस होता है। उनके चेहरे पर अनचाहे बाल और कील मुहांसे आने लगते हैं।
पीसीओडी (PCOD) ठीक होने के बाद आप पीरियड्स (periods) नियमित हो जायेंगे। वजन बढ़ना, अनचाहे बालों का आना कम हो जायेगा और सिर के बालों का झड़ना कम हो जायेगा। आपका स्ट्रेस लेवेल कम होने लगेगा और चेहरे पर पिम्पल्स भी कम होंगे।
PCOD से प्रभावित महिलाओं को एक स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए, जिसमे नियमित एक्सरसाइज, शुद्ध भोजन डॉक्टर द्वारा दी गयी दवाई शामिल होती है। इसके बाद उनका ओवुलेशन नियमित हो जाता है और वो आसानी से गर्भधारण कर सकती हैं।
पीसीओडी जिसका फुल फॉर्म (full form of PCOD) Polycystic ovary disease है यह एक आम समस्या है जबकि पीसीओएस (polycystic ovarian syndrome) की समस्या तुलनात्मक रूप से कम देखने को मिलती है। पीसीओडी के साथ माँ बनना संभव है लेकिन पीसीओएस की समस्या के साथ गर्भधारण कर पाना मुश्किल होता है।
पुरुष / महिला से सम्बंधित किसी भी समस्या के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. चंचल शर्मा से मिले जो की आयुर्वेद की पंचकर्मा पद्धति से निःसंतान दंपतियों का इलाज करती है।