Ovulation in Hindi – जानिए क्या और कब होता है ओवुलेशन?
किशोरावस्था में महिला के शरीर में कई तरीके के बदलाव नजर आते है। कहा जाता है कि लड़कियों में हार्मोन्स की वजह से मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और शारीरिक बदलाव होते हैं। और इस दौरान महिला के शरीर में बदलाव के साथ मासिक चक्र भी शुरु हो जाते है। ओवुलेशन भी मासिक चक्र का एक हिस्सा होता है। जब अंडाशय से अंडा रिलीज होता है जो शुक्राणु से मिलकर निषचेन प्रक्रिया को पूरी करता है। अगर अंडा ओवरी से गर्भाशय में जाकर इंप्लांट हो जाता है तो प्रेगनेंसी शुरु जाती है। ऐसा नहीं होता तो अंडा फर्टिलाइज न होकर टूट जाता है और पीरियड्स के दौरान यूट्राइन लाइनिंग गिरने लगती है। आज इस आर्टिकल में हम जानेगे की गर्भधारण करने के लिए ओवुलेशन (Ovulation in Hindi) कैसे और कब होता है।
ओवुलेशन क्या है?- Ovulation Kya Hai
हर महीने एक महिला के अंडाशय से मैच्योर अंडा रिलीज होने की प्रक्रिया को मेडिकल भाषा में ओवुलेशन कहते है।
पर सवाल आता है कि कब होता है ओवुलेशन? कहते है कि इस समय के आसपास एक महिला के गर्भधारण करने में सफलता मिलती है। आमतौर पर महिलाओं का मासिक चक्र 28 से 35 दिन तक का होता है। लेकिन इस साइकिल में कुछ विशेष दिन होते जो ओवुलेशन पीरियड्स में आते है। सामन्य तौर पर महिलाओं को 12 से 16 दिन तक का समय ओवुलेशन पीरियड्स कहलाते है।
ओवुलेशन कब होता है?- Ovulation kab Hota Hai
महिलाओं में जन्म से करीबन दोनों ओवरी में 2 करोड़ एग्स होते हैं। युवावस्था में आपके मासिक धर्म शुरु होने के समय तक 5 लाख एग्स ही बचते हैं। हर महीने मासिक चक्र के पहले भाग में अंडा विकसित होता है और धीरे-धीरे मैच्योर होने लगता है। पीरियड्स खत्म होने के बाद एस्ट्रोजन हर्मोन बनने लगता है जो यूटरस की लाइनिंग मोटा करने में मदद करता है। इससे स्पर्म के लिए अनुकुल वातावरण बना देता है।
धीरे धीरे एस्ट्रोजन में बढ़ने लगता है और यह एक अन्य हार्मोन ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) में बढ़ोतरी को ट्रिगर करता है। LH का बढ़ना एग के ओवरी से रिलीज होने का कारण होती है और महिला ओवुलेट करती है।
इस दौरान अगर एग को स्पर्म मिल जाता है और स्पर्म एग को निषेचित करने में सफल हो जाता है तो महिला गर्भ धारण कर लेती है। अगर एग फर्टिलाईज़ नहीं होता है तो यह यूटेरस की लाइनिंग में मिल जाता है और पीरियड्स के दौरान महिला के शरीर से निकल जाता है।
आमतौर पर ओवुलेशन 28 दिनों के मासिक धर्म चक्र में 14वें दिन के आसपास होता है। हालांकि, हर महिला का मासिक धर्म चक्र 28 दिनों का नहीं होता है। इसलिए ओवुलेशन का सटीक समय हर महिला में अलग-अलग हो सकता है। जिस महिला का मासिक चक्र 28 दिन का होता है, वह 14वें दिन ओवुलेट करती है, जिसका मासिक चक्र 21 दिन का होता है, वह 7वें दिन ओवुलेट करती है और जिस महिला का मासिक चक्र 35 या 36 दिनों का होता है, वह 21वें दिन ओवुलेट करती है।
अनियमित ओवुलेशन क्या है?- Ovulation in Hindi
हमने जाना की ovulation kya hota hai। अगर आपके पीरियड्स अनियमित हो तो क्या ओवुलेशन में बदलाव आ सकता है। ऐसा बिल्कुल मुमकिन है क्योंकि अनियमित पीरियड्स की वजह से ओवुलेशन नियमित रूप से नहीं होता है। इसके अलावा, पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस), पॉलिसिस्टिक ओवेरियन डिसऑडर (पीसीओडी), मोटापा, कम वजन और थायराइड जैसी समस्याओं के कारण ओवुलेशन में अनियमितता आ सकती है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए आपको डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए। आमतौर पर डॉक्टर आपको जीवनशैली और खान-पान में सकारात्मक बदलाव लाने का सुझाव देते हैं।
ओवुलेशन कैलकुलेटर- Ovulation Calculator
ओवुलेशन कैलकुलेटर (ovulation calculator) फर्टिलिटी का समय और मासिक चक्र का अनुमान दर्शाता है। इस तरीके से आप आने वाले महीनों के फर्टाइल दिनों का पता लगाकर उसके आधार पर गर्भधारण करने के लिए योजना बना सकते हैं। ओवुलेशन कैलकुलेटर की मदद से एक महिला अपने ओवुलेशन की अवधि का समय और फर्टाइल विंडो निर्धारित कर सकती है।
आमतौर पर यह माना जाता है कि ओवुलेशन से पांच दिन पहले से लेकर ओवुलेशन के दिन तक संबंध बनाने से महिला के गर्भधारण करने की संभावना बढ़ जाती है। पुरुष के स्पर्म 5 दिनों तक रहता है और महिला के अंडे का जीवनकाल 24 घंटों का होता है। इसलिए इस अवधि के दौरान संबंध बनाने से महिला के गर्भवती होने की सबसे अधिक संभावना होती है।
अगर आप लक्षणों के आधार पर अपना ओवुलेशन का समय पता नहीं लगा पा रहे हैं तब आप और भी कई तरीके अपना सकते हैं। जिसमें बेसल बॉडी टेम्परेचर, ओवुलेशन प्रेडिक्शन किट, ट्रैकिंग कैलेंडर या ओव्यूलेशन चार्ट बनाकर और ओवुलेशन इंडिकेटर एप्लिकेशन द्वारा भी ट्रैक किया जा सकता है।
ओवुलेशन के लक्षण- Ovulation Ke Lakshan
आप अपने ओवुलेशन के दौरान गर्भधारण करना चाहती हैं तो आप निम्नलिखित ओवुलेशन होने के लक्षण को महसूस कर सकती हैं:
- शरीर में तापमान का कम या ज्यादा होना
- पाचन सम्बन्धी समस्याएं
- पेट के निचले हिस्से में दर्द और ऐठन होना
- सेक्स करने की इच्छा बढ़ना
- मूड बदलते रहना या मूड स्विंग्स होना
- पेट फूलना या कब्ज की शिकायत होना
- सर्विक्सि का कोमल होकर खुलना
- सर्वाइकल म्यूकस का पतला, सफेद, साफ और चिकना होना
- जी मिचलाना
- हार्मोनल बदलाव
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल शर्मा की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।