ओवेरियन सिस्ट के लक्षण और आयुर्वेदिक उपाय – Ovarian Cyst in Hindi
महिलाओं को बहुत सी हेल्थ समस्या से अक्सर जूझना पड़ता है। परंतु ओवेरियन सिस्ट (Ovarian Cyst in Hindi) महिलाओं को होने वाली बहुत आम समस्या है जो समय के साथ बढ़ती ही जा रही है। इसकी वजह से उन्हें कई बार भिन्न प्रकार की परेशानियों से जूझना पड़ता है। ओवरी महिलाओं के शरीरीक संरचना और प्रजनन प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
ओवेरियन सिस्ट कई तरह के होते हैं और गर्भधारण करने में बाधा भी बनते हैं। सिस्ट की समस्या से जूझने वाली महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ का खतरा भी रहता है। आज इस आर्टिकल में ओवेरियन सिस्ट क्या होता है? और ओवेरियन सिस्ट का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में विस्तार से जानेगे।
(और पढ़े – जानिए क्यों और क्या होते हैं ओवेरियन सिस्ट)
ओवेरियन सिस्ट क्या है?- What is Ovarian Cyst in Hindi
ओवरी में सिस्ट होना महिलाओं में एक आम समस्या है। सभी स्त्रियों को उनके जीवनकाल में कभी न कभी यह समस्या जरूर आती है। ओवरी के भीतर थैलीनुमा रचनाएँ होती हैं जिनमें द्रव भरा होता है।
मासिक धर्म के दौरान प्रतिमाह इस थैली के आकार की एक संरचना उभर कर आती है, जो फॉलिकल के नाम से जानी जाती है। इन फॉलिकल्स से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन नामक हार्मोन निकलते हैं, जो ओवरी से मैच्योर अण्डे की निकासी में सहायक होते हैं।
कुछ मामलों में देखा गया है कि मासिक धर्म की निश्चित अवधि खत्म हो जाने के बाद भी फॉलिकल का आकार बढ़ता जाता है, जिसे ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है।
ओवेरियन सिस्ट क्यों होता है?- Why does an ovarian cyst happen?
ओवेरियन सिस्ट होने के सबसे आम कारणों में निम्न शामिल हैं:
- हार्मोनल समस्याएं (Hormonal Problems): आमतौर पर फंक्शनल सिस्ट बिना किसी इलाज के अपने आप ही चले जाते हैं। ऐसा हार्मोनल समस्याओं के कारण हो सकता है या आपको ओवुलेट करने में मदद करने के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं ओवेरियन सिस्ट होने के कारण बन सकती है।
- एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): इस समस्या से पीड़ित महिलाएं एक प्रकार का ओवेरियन सिस्ट विकसित कर सकती हैं जिसे एंडोमेट्रियोमा कहा जाता है। एंडोमेट्रियोसिस ऊतक (Endometriosis Tissue) आपकी ओवरी से जुड़ कर सिस्ट का बना सकता है। ये सिस्ट सेक्स के दौरान और मासिक धर्म के दौरान बहुत दर्दनाक हो सकते हैं।
- गर्भावस्था (Pregnancy): ओवेरियन सिस्ट आमतौर पर प्रारंभिक गर्भावस्था में विकसित होती है ताकि गर्भावस्था का समर्थन करने में मदद मिल सके जब तक कि नाल न बन जाए। कभी-कभी, गर्भावस्था के बाद तक सिस्ट ओवरी पर रहती है और इसे निकलने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
- गंभीर पैल्विक संक्रमण (Severe Pelvic Pain): गंभीर संक्रमण या इन्फेक्शन ओवरी और फैलोपियन ट्यूब में फैल सकता है और आपकी ओवरी में सिस्ट के गठन का कारण बन सकता है।
ओवेरियन सिस्ट के अन्य कारण भी हो सकते है। इन निम्नलिखित में कारण शामिल हैं-
- अनियमित मासिक चक्र
- पहले से ही ओवेरियन सिस्ट की मौजूद होना
- बांझपन की समस्या होना
- मोटापा बढ़ना
- श्रोणि में इन्फेक्शन होना
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ओवेरियन सिस्ट के लक्षण- Symptoms of Ovarian Cyst in Hindi
जब ओवेरियन सिस्ट छोटा होता है तो इसके लक्षण का पता नहीं चल पाता पर जैसे-जैसे यह बड़ा होने लगता है आपको अलग-अलग तरह के लक्षण दिखने लगेंगे। ओवेरियन सिस्ट और ओवेरियन कैंसर के लक्षण लगभग एक ही होते हैं।
- पेट में सूजन
- मासिक धर्म के पहले या बाद श्रोणि में दर्द होना
- कमर के नीचले हिससे में दर्द रहना
- जी मिचलाना और उल्टी
- पेट में भारीपन
- अपच की समस्या
- जल्दी सन्तुष्टता होना
- मूत्र तत्कालता
- थकान या तेज सांसे चलना
- अनियमित मासिक धर्म
- कब्ज रहना
- स्तनों में दर्द रहना
- बुखार रहना
- थकान और कमजोरी महसूस करना
ओवेरियन सिस्ट के प्रकार – Types of Ovarian Cyst in Hindi
इस समस्या में कई तरह के निम्न सिस्ट के प्रकार शामिल होते हैं-
1. फॉलिकल सिस्ट (Follicle Cyst)
महिलाओं के पीरियड्स के दौरान फॉलिकल थैली (Follicle Bag) में एक अंडे का विकास होता है। आमतौर पर यह थैली टूट जाती है और अंडा रिलीज हो जाता है। लेकिन कुछ मामलों में जब फॉलिकल नहीं टूटता और अंडा रिलीज नहीं होता तब उसके अंदर का फ्लूइड सिस्ट बना देता है। और यह समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाती है।
2. कार्पस लुटियम सिस्ट (Corpus Luteum Cyst)
अंडा निकलने के बाद फॉलिकल नष्ट हो जाते हैं। अगर यह फॉलिकल नष्ट नहीं होता तो इसका द्रव इकठ्ठा हो जाता है जिसकी वजह से कार्पस लुटियम नाम का सिस्ट बनने लगता है।
3. डरमोईड सिस्ट (Dermoid Cyst)
सिस्ट जिनमें बाल, चमड़ी या दांत जैसे टिशू होते हैं, जो दूसरे टिशू बनाने के लिए इस तरह के टिशू का विकास असामान्य तरीके से करते है।
4. सिस्टाडेनोमास सिस्ट (Cystadenomas Cyst)
यह ओवरी के बाहरी सतह पर बनता है। यह पानी या फिर म्यूकस मटेरियल से भरा हो सकता है।
5. एंडोमेट्रियमोमास सिस्ट (Endometriomas Cyst)
इस तरीके के सिस्ट में जब कोई टिशू गर्भाशय के अंदर बनता है तो वो गर्भाशय के बाहर भी विकसित होने लगता है और अंडाशय से जुड़ा होता है जो सिस्ट का कारण बनता है। और ऐसा तब होता है जब यूटरन एंडोमेट्रियल कोशिका गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है।
6. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome)
यह वह स्थिति है जब दोनों ओवरी में विभिन्न छोटे सिस्ट विकसित होने लगते हैं। यह समस्या भी कई सारे हार्मोनल समस्याओं से जुड़ा हुआ होता है।
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ओवेरियन सिस्ट का नेचुरल इलाज- Ayurvedic Treatment of Ovarian Cyst in Hindi
ओवेरियन सिस्ट को मैनेज करने का सबसे अच्छा तरीका है साइकिल-सिंकिंग (Cycle syncing) यानि आपका आहार होता है। अपको हार्मोनल चक्र के सही चरण के लिए सही खानपान से आपके हार्मोन नियंत्रण में रहेंगे और अतिरिक्त एस्ट्रोजन या कम प्रोजेस्टेरोन को रोका जा सकेगा। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ भी हैं जिन्हें आप अपने डाइट में शामिल कर सकते हैं। ताकि आयुर्वेद के इस प्रोटोकॉल को लंबे समय तक ओवेरियन सिस्ट को कम करने और रोकने के लिए और भी अधिक प्रभावी बनाया जा सके।
फंक्शनल ओवेरियन सिस्ट बादाम के आकार के तरल पदार्थ से भरी थैली होती हैं जो अंडाशय पर बढ़ती और विकसित होती हैं, जो अक्सर चक्रीय रूप से आपके मासिक हार्मोनल बदलाव से संबंधित होती हैं। इस तरह के ओवेरियन सिस्ट आ सकते हैं और जा सकते हैं, बड़े और छोटे हो सकते हैं, और एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेदिक तथा नेचुरल ट्रीटमेंट के द्वारा ठीक भी हो जाते हैं।
आयुर्वेद में गुगुल जैसे हर्ब में कोशिकाओं को पुर्नजीवित करने में सक्षम होता है। इससे लिपिड का उत्पादान सामान्य होता और आयरन का स्तर बढ़ाने में मदद करता है। विटामिन-मिनरल के सेवन से भी शरीर में इमयूनिटी बूस्ट होगी और एबनोर्मल सिस्ट को खत्म करने में मदद मिलेगी है। साथ ही चंद्रप्रभावटी के सेवन से महिला के शरीर में जो भी विकार है उसको दूर किया जाता है।
ओवेरियन सिस्ट का घरेलू उपाय- Home Remedies of Ovarian Cyst in Hindi
- डिब्बा बन्द भोजन का प्रयोग न करें।
- पिज्जा, बर्गर आदि खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- मैदे से बनी चीजों का सेवन न करें।
- ज्यादा तेल में तली चीजों का सेवन न करें।
- रात को सोने से पहले भारी भोजन का सेवन न करें।
- समय पर भोजन का सेवन करें।
- फास्ट फूड ना खाएं।
- कोल्ड ड्रिंक आदि पेय पदार्थों की बजाय फ्रेश जूस का सेवन करें।
- मिर्च, मसालेदार भोजन का सेवन न करें।
- आंवलें और अनार का सेवन
- चने और उड़द की दाल का सेवन ना करें।
- नींबू और दही का सेवन ना करें।
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इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।