ओलिगोस्पर्मिया का आयुर्वेदिक उपचार – Oligospermia Ayurvedic Treatment
Oligospermia Ayurvedic Treatment ओलिगोस्पर्मिया का आयुर्वेदिक उपचार इसलिए जरुरी है क्योकि, आज के समय में स्पर्म काउंट कम होना एक गंभीर समस्या का विषय बनता जा रहा है। स्पर्म काउंट अर्थात संभोग के दौरान पुरुष से कम स्पर्म निकलना। कम स्पर्म की समस्या को ही Oligospermia कहते है।
जिन पुरुषों में ओलिगोस्पर्मिया जैसी परेशानी होती है वह गर्भ स्थापित करने में सक्षम नही हो पाते है और पुरुष बांझपन की समस्या का शिकार हो जाते है।
कुछ वर्षों से पुरुषों के वीर्य में काफी गिरावट देखने को मिली है कुछ अध्ययन के बाद यह बात निकल कर सामने आई है कि पहले की तुलना में “59% तक स्पर्म की क्वालिटी तथा क्वांटिटी दोनों में कमी देखने को मिल रही है”।
ओलिगोस्पर्मिया (Oligospermia) पुरुषों की प्रजनन क्षमता की समस्या है जिसमें पुरुषों के शुक्राणुओं की संख्या में (low sperm count) कमी होती है। ओलिगोस्पर्मिया के कारण पुरुषों का यौन स्वास्थ्य (sexual health) ठीक नही रहता है।
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ओलिगोस्पर्मिया के कारण – Oligospermia ke karan
पुरुष के शुक्राणुओं मे कमी के कई कारण हो सकते है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान पुुुरुष वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या में बहुत ज्यादा कमी आई है जिसके कई कारण हो सकते है।
आयुर्वेद के अनुसार शुक्राणुओं में होने वाली कमी का मुख्य कारण आज की भागदौड़ वाली दिनचर्या (लाइफस्टाइल) तथा खान पान का माना जाता है। आयुर्वेद में दिन चर्या तथा रात्रिचर्या का अपना एक अलग ही महत्व होता है।
Oligospermia Ayurvedic Treatment ओलिगोस्पर्मिया का आयुर्वेदिक उपचार, आयुर्वेद के अनुसार यदि आप पूरे नियम के साथ दिन चर्या तथा रात्रि चर्या के नियमों का पालन करते है और साथ ही अपने खान पान का पूरा ध्यान देते है तो पुरुष शुक्राणु से संबंधित बीमारियाँ जैसे ओलिगोस्पर्मिया से निजात पा सकते है।
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ओलिगोस्पर्मिया का आयुर्वेदिक उपचार – Oligospermia ka Ayurvedic Upchar
आयुर्वेद कहता है कि जब पुरुष शुक्राणुओं की संख्या वीर्य में कम होने लगती है तो इससे यौन संबंधी रोग जैसे कि अल्पशुक्राणुता की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। Oligospermia का आयुर्वेद में अल्पशुक्राणुता की बीमारी के नाम से जाना जाता है।
एक मिली लीटर वीर्य में लगभग 15 करोड़ शुक्राणु होने चाहिए तो कि एक स्वास्थ्य वीर्य को परिभाषित करता है परंतु यदि इससे कम होते है तो उसे अल्पशुक्राणुता के अंतर्गत गिना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार शुक्र धातु को शरीर की सातवीं धातु के रुप में उल्लेखित किया गया है।
जब शरीर में शुक्रधातु की कमी या फिर किसी कारण से खराबी हो जाती है तो पुरुष के वीर्य में समस्या आने लगती है। शुक्रधातु संतान प्राप्त के लिए सबसे अच्छा माना जाता है इसलिए इसका अच्छा होना बहुत ही अनिवार्य है।
आयुर्वेद में वीर्य को अच्छा करने के लिए बहुत सारे उपाय एवं औषधियाँ है जिसकी मदद के द्वारा वीर्य को ठीक करके ओलिगोस्पर्मिया की समस्या से छुटकारा मिल जाता है।
ओलिगोस्पर्मिया की आयुर्वेदिक दवा – Oligospermia ki Ayurvedic Dawa
1. सफेद मुसली – आयुर्वेद के अनुसार सफेद मुसली को वीर्य उत्पादन की सबसे अच्छी जड़ी मानी जाती है। सफेद मुसली के सेवन से वीर्य की मात्रा तथा गुणवत्ता दोनो में सुधार देखने को मिलता है। सफेद मुसली नपुंसकता जैसी बीमारी को जड़ से खत्म करने में पूरी तरह से सक्षम है यदि इसका सेवन किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में किया जाये।
2. अश्वगंधा – अश्वगंधा पुरुषों की कामेच्छा में वृद्धि करने का सबसे अच्छा उपचार माना गया है। अश्वगंधा के सेवन से स्पर्म काउंट बढ़ाने में मदद मिलती है।
3. शिलाजीत – शिलाजीत एक ऐसी औयुर्वेदिक दवा है जिसके सेवन मात्र से ही शुक्राणुओं की संख्या में तीव्र वृद्धि होती है। शिलाजीत में एंटी-एजिंग गुण पाये जाते है जो की पुरुषों की प्रजनन क्षमता में भी सुधार लाते है।
4. पंचकर्म चिकित्सा पद्धति – आयुर्वेद की पंचकर्म चिकित्सा भी Oligospermia जैसी बीमारी को दूर करने में बहुत ही लाभकारी है । पंचकर्म के द्वारा शरीर का शुद्धिकरण कर दिया जाता है जिससे उनके वीर्य में काफी अच्छा सुधार देखने को मिलता है।
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