गर्भनाल की समस्या और समाधान – Umbilical Cord in Hindi
प्रेगनेंसी के दौरान गर्भनाल महिला के शरीर का सबसे अहम अंग होता है। एक गर्भनाल महिला और बच्चे को जोड़े रखती है। इसका काम बच्चे को पोषण और सुरक्षा देने का है। बच्चा इसी के सहारे मां के पेट में जिंदा रहता है। प्रेगनेंसी के दौरान गर्भनाल अपनी जगह बदलती रहती है।
हालांकि, प्रेगनेंसी के शुरुआती दिनों में यह यूटरस के निचले हिस्से में स्थित हो सकती है। लेकिन जैसे-जैसे प्रेगनेंसी के दिन बढ़ते जाते है, गर्भनाल (Umbilical Cord) यूटरस (Uterus) के ऊपरी हिस्से में पहुंच जाती है। कई बार गर्भनाल की लंबाई छोटी ओर बड़ी भी हो सकती है। कई मामलों में यह प्लेसेंटा से सही से नहीं जुड़ी होती या तो कई बार देखा गया है की गर्भनाल में गाठें लगी होती हैं। गर्भनाल की समस्या में मां और बच्चे दोनों को खतरा रहता है। आज इस आर्टिकल में गर्भनाल (Umbilical cord in hindi) क्या है और इसकी समस्या और समाधान के बारे में बात करेंगे।
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गर्भनाल क्या होता है? – Meaning of Umbilical Cord in Hindi
गर्भनाल एक ट्यूब होती है जो आपको गर्भावस्था के दौरान आपके बच्चे से जोड़ती है। इसमें तीन रक्त वाहिकाएं होती हैं:
- ट्यूनिका एक्सटर्ना (Tunica Externa)- यह सबसे बाहरी परत होती है जो कॉर्ड की सुरक्षा के लिए घने इलास्टिक जैसे फाइबर से बनी होती है।
- ट्यूनिका मीडिया (Tunica Media)- दूसरी परत में गर्भनाल में ज्यादातर रक्त वाहिकाएं होती हैं। यह आपके बच्चे के रक्त प्रवाह और रक्तचाप (Blood Pressure) को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- ट्यूनिका इंटर्ना (Tunica Interna)- तीसरी और आखिरी परत में ऊतक में रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने वाले वाल्व (valve) जुड़े हुए होते हैं। जो यह सुनिश्चित करते है कि डीऑक्सीजेनेटेड रक्त (Deoxygenated Blood) प्लेसेंटा (Placenta) में चला जाए है और ऑक्सीजन युक्त रक्त आपके बच्चे में वापस चला जाए है।
आमतौर पर समान्य स्थिति में गर्भनाल लगभग 4 सप्ताह की गर्भावस्था में बनने लगती है और लगभग 22 इंच लंबी हो जाती है। लेकिन अंबिलिकल कॉर्ड की स्थिति में कॉर्ड का बहुत लंबा या बहुत छोटा होना, प्लेसेंटा से अच्छी तरह से कनेक्ट न होना या गांठ या निचोड़ा हुआ होना शामिल है। ये स्थितियां गर्भावस्था (Pregnancy), प्रसव (Labor) और जन्म (Birth) के दौरान समस्याएं पैदा कर सकती हैं।
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गर्भनाल प्रोलैप्स क्या है? – Umbilical Prolapse in Hindi
अंबिलिकल कॉर्ड या गर्भनाल प्रोलैप्स तब होता है जब प्रसव (Labor) और जन्म के दौरान गर्भनाल आपके बच्चे के आगे योनि (Birth Canal) में फिसल जाती है। गर्भनाल में जकड़न हो सकती है, इसलिए हो सकता है कि आपके बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिले। यह लगभग 300 में से 1 प्रेगनेंसी में होता है। इन निम्नलिखित में आपको गर्भनाल के आगे बढ़ने का खतरा हो सकता हैं:
- आपका बच्चा समय से पहले पैदा हो गया हो। इसका मतलब है कि उसका जन्म गर्भावस्था के 37 सप्ताह से पहले हुआ है। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे को जन्म के समय और बाद में जीवन में समय पर जन्म लेने वाले बच्चों की तुलना में अधिक स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
- आपके बच्चा जन्म के समय से ही कम वजन का हो। इसका मतलब है कि जन्म के समय उसका वजन 5 पाउंड से कम है।
- आपका बच्चा ब्रीच पोजीशन (Breech Position) में है। इसका मतलब है कि वह प्रसव (labor) और जन्म के लिए सिर झुकाए नहीं है।
- गर्भनाल बहुत लंबी हो सकती है।
- आपका डॉक्टर प्रसव (labor) शुरू करने या तेज करने के लिए आपकी झिल्लियों (Membranes) को तोड़ देता है। झिल्ली ऊतक (Membrane Tissue) होते हैं जो एमनियोटिक थैली (Amniotic Sac) को गर्भाशय से जोड़ते हैं।
- आपके पास बहुत अधिक एमनियोटिक द्रव (Amniotic Fluid) है। इस स्थिति को पॉलीहाइड्रमनिओस (Polyhydramnios) कहा जाता है।
- आपके जुड़वाँ या इससे अधिक बच्चे होने के कारण प्रोलैप्स हो जाते हैं।
ज्यादाकर मामलों में बच्चे के लिए अम्बिलिकल कॉर्ड या गर्भनाल प्रोलैप्स किसी भी तरह की समस्या पैदा नहीं करता है। लेकिन गर्भनाल में जकड़न के कारण आपके बच्चे को ऑक्सीजन नहीं मिल रही तो यह स्टिलबर्थ का कारण बनता है। स्टिलबर्थ तब होता है जब गर्भावस्था के 20 सप्ताह के बाद गर्भ में बच्चे की मृत्यु हो जाती है। अगर आपको अपनी योनि में कुछ महसूस होता है, तो तुरंत अस्पताल जाएं।
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गर्भनाल से होने वाली समस्या- Problems Related to Umbilical Cord in Hindi
बच्चे को ऑक्सीजन की कमी होना
गर्भनाल की लंबाई बड़ी होने से वजह से कंट्रेकशन के समय यह बच्चे के गले में अटक या उलझ जाती है। इस स्थिति में बच्चे को ऑक्सीजन की कमी हो जाती है और रक्त प्रवाह भी कम हो जाता है। जिसके चलते बच्चे की हार्ट रेट कम हो जाती है।
गर्भनाल का प्रोलैप्स होना – Umbilical Cord in Hindi
कई मामलों में गर्भनाल या अंबिलिकल कॉर्ड सामान्य से काफी ज्यादा लंबी होती है। ऐसे में यह प्रसव या डिलिवरी के दौरान नीचे खिसकर बच्चे के सिर या कंधे से सट जाती है। जिसके चलते बच्चे को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। और ऐसे में बच्चे की मृत्यु होने की संभावना रहती है। हालांकि, ऐसे मामले काफी कम देखे गाए हैं।
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गर्भ में ही बच्चे की मरने की संभावना
गर्भनाल बड़ी होने की वजह से गले में एक से बहुत ज्यादा लिपट जाती है, जिससे बच्चे को खतरा रहता है।’ क्लीनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल ओबस्टेट्रिक्स एंड गायनोकोलॉजी में उल्लेखित नतीजों में सुझाव दिया गया है कि गर्भनाल के मामलों पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए। शोध में सुझाव दिया कि डिलिवरी के वक्त एक बार अल्ट्रासाउंड से इसकी पुष्टि होने पर शिशु की हार्ट रेट की मॉनिटरिंग की जाना चाहिए। यह भी सुझाव दिया गया है कि किसी भी तरह की समस्या सामने आने पर सिजेरियन डिलिवरी की जाए।
गर्भनाल में गांठ होना – Umbilical cord knot in Hindi
जब बच्चा प्रेगनेंसी के दौरान पेट में हलचल करता है तो अंबिलिकल कॉर्ड या गर्भनाल में गांठे पड़ सकती है। गांठें सबसे ज्यादा तब पड़ती हैं जब गर्भनाल बहुत लंबी हो और गर्भधारण में समान जुड़वाँ बच्चे होते हैं। एक जैसे जुड़वां बच्चे एक एमनियोटिक थैली साझा करते हैं, जिससे बच्चों की गर्भनाल आसानी से उलझ जाती है। एमनियोटिक थैली जिसे पानी की थैली भी कहाते है जो गर्भाशय (गर्भ) के अंदर होती है और एमनियोटिक द्रव से भरी होती है। 100 में से लगभग 1 प्रतिशत मामलों में गर्भनाल में एक गाँठ पड़ जाती है।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।