करवा चौथ व्रत के फायदे और इसका आयुर्वेदिक महत्त्व
भारत में उपवास करने की परंपरा प्राचीनकाल से चलती आ रही है। इसके धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक महत्त्व हैं। उपवास करना भारतीय संस्कृति का वह हिस्सा है जिसे आज भी पूजा द्वारा देवताओं को समर्पित करने के रूप में अपनाया जाता है। वैसे तो सभी त्योहारों का अपना अलग महत्त्व होता है लेकिन भारत के लगभग हर हिस्से में मनाया जाने वाला सुहागिनों का महत्वपूर्ण पर्व करवा चौथ का व्रत है। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत महिलाएं अपने पति के लम्बे उम्र के लिए करती हैं। (और पढ़े: अपराजिता के माँ बनने की सक्सेस स्टोरी)
करवा चौथ कब है 2024 और हिन्दू तिथि के अनुसार करवा चौथ कब मनाया जाता है?
करवा चौथ का पर्व हिंदी महीनों के अनुसार कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष (karwa chauth 2024) में यह त्यौहार 20 अक्टूबर को मनाया जायेगा। इस त्यौहार में सुबह सूर्योदय से पूर्व महिलाएं सरगी करती हैं जिसे पारंपरिक रूप से नास्ता भी कहा जाता है। नास्ता करने के बाद महिलाएं पूरा दिन निर्जला उपवास रखती हैं और रात को चाँद देखने के बाद पूजा करके ही खाना खाती हैं।
इस वर्ष शाम को की जाने वाली पूजा का मुहूर्त शाम के 5 बजकर 46 मिनट से शुरू होकर 7 बजकर 2 मिनट तक रहेगी। इस दिन चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र में होगा जो बेहद फलकारी और शुभ माना जाता है। शाम को जब पारण का समय होता है तब महिलाएं चाँद की पूजा करके, उसे अर्घ्य देकर की व्रत खोलती हैं। इसलिए सभी व्रती महिलाएं बेसब्री से चाँद के निकलने का इंतजार करती हैं। इस करवा चौथ पर चाँद निकलने का समय 7 बजकर 54 मिनट है। यह समय अलग अलग शहरों में भिन्न भिन्न हो सकता है, इसलिए आप एक बार इसे चेक कर लें।
करवा चौथ मनाने के आयुर्वेदिक फायदे क्या हैं? Karwa Chauth Manane ke Ayurvedic Fayde
करवा चौथ का उपवास महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और लम्बे उम्र के लिए रखती हैं। लेकिन उपवास रखने से आपके स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है, जो इस प्रकार है:
स्मृति को बढ़ाता है: उपवास रखने से आपका शरीर डीटॉक्स हो जाता है और दिमाग में नए न्यूरॉन्स बनते हैं। यह आपकी स्मृति को बढ़ाता है और ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है। इससे आपके शरीर में साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है: अगर आप नियमित रूप से एक जैसा भोजन करती हैं तो धीरे धीरे वो चैनल्स ब्लॉक होने लगते हैं जो शरीर में धातु और पोषक तत्वों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए जिम्मेदार होती हैं। उपवास रखने से ये सभी विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं और आपका शरीर पहले से बेहतर काम करने लगता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि: उपवास करने से आपकी पुरानी कोशिकाएं रिसाइकल हो जाती हैं जिसे चिकित्सा भाषा में ऑटोफैगी भी कहते हैं। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमे नयी कोशिकाएं बनती हैं। इस पूरी प्रक्रिया में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।
करवा चौथ पर आयुर्वेदिक दृष्टिकोण
आयुर्वेदा के अनुसार करवा चौथ का व्रत सभी महिलाएं अपनी सेहत और शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए अलग अलग तरीकों से कर सकती हैं।
बिना पानी का उपवास: इस प्रकार के उपवास में महिलाएं पूरा दिन ना तो कुछ भी ठोस पदार्थ खाती हैं ना ही पानी पीती है इसे निर्जला उपवास भी कहा जाता है। इस दौरान आपकी अग्नि कम हो जाती है और शरीर में वात दोष की वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार से करवा चौथ का व्रत करने की सलाह केवल उन्ही महिलाओं को दी जाती है जो शारीरिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ हैं।
जूस वाला उपवास: जिन लोगों को वात दोष या पित्त दोष होता है उन्हें निर्जला उपवास ना करने की सलाह दी जाती है। ऐसी महिलाएं उपवास के दौरान जूस पी सकती हैं। यह एक ऐसा विकल्प है जिसमे आपका करवा चौथ का व्रत भी हो जायेगा और स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा।
फलाहार उपवास: आजकल ज्यादातर महिलाएं कामकाजी होती हैं। उनके पास घर और बाहर दोनों को सँभालने की जिम्मेदारी होती है जिसके लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में महिलाएं फल खाकर करवा चौथ का व्रत रख सकती हैं। क्यूंकि पूर्णतः निर्जला व्रत उनके शरीर में ऊर्जा की डिमांड को पूरा करने में असफल होगा।
खिचड़ी व्रत: जिन महिलाओं की उम्र अत्यधिक हो गयी है और स्वास्थ्य भी बेहतर नहीं रहता है उन्हें यह सलाह दी जाती है कि वो करवा चौथ का व्रत सात्विक खिचड़ी खाकर कर सकती हैं। आप चाहे तो इसमें मसाले और नमक ना डालें। और खिचड़ी के साथ आप नारियल पानी, फल, जूस आदि का सेवन भी कर सकती हैं।
Karwa Chauth : करवा चौथ का ट्रेंड क्यों बढ़ता जा रहा है?
करवा चौथ (Karwa Chauth) व्रत से जुड़ी जितनी कथाएं आपके सामने मौजूद हैं उसमे पत्नियां अपने पति की लम्बी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं लेकिन आधुनिक समय में इसका स्वरुप थोड़ा बदल गया है जो हमारे समाज में हो रहे साकारात्मक बदलाव हो भी दर्शाता है। आजकल बहुत सारे पुरुष भी अपनी पत्नी के प्रति प्रेम और समर्पण को व्यक्त करने के लिए यह उपवास रखते हैं। आधुनिक समय की भागदौड़ वाली ज़िन्दगी में इस प्रकार किसी दंपति का एक दूसरे के प्रति प्रेम दर्शाने का यह तरिका सोशल मीडिया पर भी बहुत ट्रेंडिंग है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
करवा चौथ पर माता गौड़ी, देवी करवा, माता चौथ और गणेश की पूजा आराधना की जाती है।
आधुनिक समय में अपने प्रेम की अभिव्यक्ति के रूप से कुंवारी लड़कियाँ भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं। वह भी चाँद को देखकर अपना व्रत खोल सकती हैं।
करवा चौथ का त्यौहार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ 20 अक्टूबर 2024 को है।
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए किया जाता है।
व्रती महिलाओं द्वारा शाम को चाँद निकलने के बाद पूजा करके, चाँद को अर्घ्य देकर यह व्रत खोला जाता है।