अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जानें महिलाओं के स्वास्थ्य से जुड़ी ये खास बातें
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को हर वर्ष 8 मार्च को महिलाओं की उपलब्धियों के जश्न के रुप में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्धेश्य यह है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नही है। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करना भी है।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर जानते है कि आखिर महिला शब्द का अर्थ क्या होता है ?
महिला शब्द के बारे में जानें तो महि का अर्थ होता है पृथ्वी जो सबका भार ग्रहण करती है और सबके पालन पोषण के लिए उचित आहार व्यवस्था करती है और ला का अर्थ होता है नियम या फिर जो प्रथ्वी में मानव जाति को लाती है।
महिला के कई रुप है वह माँ के रुप में, बहन के रुप में, पत्नी के रुप में, मित्र के रुप में और कई सारे रुप है फिर भी महिलाओं को हमारे समाज में उचित सम्मान एवं अधिकार नही प्राप्त हो पाते है। हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के उनके अधिकार तथा सम्मान दिलाने की पूरी कोशिश की जाती है फिर भी हम वहीं के वहीं रह जाते है ।
प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर एक थीम होती है उसी प्रकार वर्ष 2021 में भी महिलाओं के योगदान पर एक विशेष थीम रखी गई है। इस थीम का नाम है – “Women in leadership: an equal future in a COVID-19 world” अर्थात “महिला नेतृत्व: COVID-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना” इस थीम का मुख्य उद्धेश्य है कि जिन महिलाओं एवं लड़कियों ने कोरोना की इस महामारी में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है उसको अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रुम में उनके सहयोग को धन्यवाद देकर उनके प्रति सम्मान प्रकट करें।
एक लड़की कैसे बनती है महिला और इस यात्रा में उसे किन-किन स्वास्थ्य समस्याओं से होकर गुजरना पड़ता है आइये जानते है अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर खास चर्चा पर –
जब एक लड़की महिला बनती है तो उसके स्वास्थ्य में बहुत सारे परिवर्तन होते है। उस लड़की को उम्र के कई पड़ाव पार करने होते है जो कई मुश्लिलों से भरे होते है। जब एक लड़की रजोदर्शन अर्थात पहला मासिक धर्म होता है तो उस दौरान लड़की की उम्र करीब 12 से 14 वर्ष के बीच होती है।
इसी प्रकार से महिलाओं के जीवन में कई सारी ऐसे स्वास्थ्य की दिक्कते होती है जिसे लगभग हर महिला का गुजरना पड़ता है । महिलाओं में कुछ शारीरिक परिवर्तन तो ऐसे भी होते है जिनको हम महिला स्वास्थ्य समस्या भी नही कर सकते है क्योंकि यदि यह बदलाव न हो तो महिलाओं को और अधिक परेशानी हो सकती है। महिलाओं में रजोदर्शन यानि पहला पीरियड, मासिक धर्म एवं रजोनिवृत्ति एक सामान्य से बदलाव हो जो किसी भी महिला के स्वास्थ्य में बाधा बनते है ।
नीचे दी गई समस्याएं महिलाओं में होने वाली आम समस्याएं जिनसे आजकल की अधिकांश महिलाएं गुजरती है – आइये जानते है कि आखिर यह समस्याएं क्यों होती है और क्या है इनका उपचार –
1. रजोदर्शन (menarche) – रजोदर्शन से शुरु होता है एक लड़की के महिला बनने का सफर और वह यहीं से स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने के लिए तैयार होती है। रजोदर्शन की उम्र 10 से 14 वर्ष के बीच होती है। इस उम्र में लड़कियों को पहला पीरियड आता है। कुछ लड़कियों को रजोदर्शन के बाद लगातार पीरियड शुरु हो जाते है परंतु कुछ के पीरियड आते है और बीच में कुछ समय के लिए रुक जाते है या फिर 3 से 4 माह के अंतराल में आते रहते है ।रजोदर्शन को रजोधर्म भी कहते है । लड़कियों की यहीं उम्र होती है जिसमें सबसे ज्यादा शारीरिक परिवर्तन होते है और यहीं से एक लड़की महिला बनने की तैयार में लग जाती है। रजोदर्शन वह अवस्था होती है जहां से महिलाएं प्रजनन के लिए तैयार होने लगती है । 14 वर्ष की उम्र के बाद लड़कियों की प्रजनन क्षमता विकसित होने लगती है।
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किशोरियों में सामान्य मासिक धर्म चक्र
- मेनार्चे की औसत आयु = 12.43 वर्ष
- माध्य चक्र अंतराल = पहले वर्ष में 32.2 दिन
- मासिक धर्म चक्र अंतराल = आमतौर पर 21-45 दिन
- मासिक धर्म प्रवाह की लंबाई = 7 दिन या उससे कम
- मासिक धर्म में कितने पैड उपयोग करें = प्रति दिन तीन से छह पैड या टैम्पोन
2. पीसीओडी/पीसीओएस (PCOD / PCOS) – पॉलसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम महिलाओं तथा किशोरियों में होने वाली एक आम समस्या है। पीसीओडी की सबसे अधिक समस्या टीनेज और किशोरियों में अधिकांश देखने को मिलती है। जन संख्या के आधार पर बा करें तो लगभग 10 प्रतिशत महिलाएं एवं युवतियाँ इस पीसीओडी की समस्या से ग्रसित है। केवल अमेरिका की बात की जायें तो वहां पर 5 मिलियन युवा लड़कियाँ पीसीओडी की समस्या से परेशान है। पीसीओडी बांझपन का मुख्य कारण माना जाता है।
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क्या पीसीओडी एक गंभीर समस्या है?
पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD), जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) भी कहा जाता है, 12 से 45 वर्ष की आयु की महिलाओं को 10% से अधिक प्रभावित करने वाली एक बहुत ही सामान्य स्थिति है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें एक महिला के हार्मोन संतुलन खराब हो जाते हैं। यह मासिक धर्म के साथ बांझपन की समस्याओं का कारण बन सकता है जिससे गर्भ धारण करना मुश्किल हो सकता है।
3. एंड्रियोमेट्रियोसिस (Andriometriosis) – एंड्रियोमेट्रियोसिस महिलाओं में होने वाला एक ऐसा विकार है जिसके कारण महिला के गर्भाशय में समस्याएं होने लगती है। एंडोमेट्रियोसिस से जुड़े शोधकर्ताओं के अनुसार कम से कम 11% महिलाओं को एंड्रियोमेट्रियोसिस की समस्या है।
4. हाइड्रोसाल्पिनक्स (Hydrosalpinx) – महिलाओं के जीवन में हाइड्रोसाल्पिनक्स एक ऐसी प्रजनन समस्या है जो की फैलोपियन ट्यूब को बंद कर देती है जिसके कारण से बांझपन की समस्या हो जाती है। विशेष रूप से, बांझपन वाले जोड़ों में 10-30% हाइड्रोसालपिनक्स की समस्या होती है।
5. ट्यूब ब्लॉकेज (Tube Blockage) – फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज महिला के बांझपन की सबसे बड़ी समस्या माना जाता है और यह बांझपन का मुख्य कारण है । आज स्थिति यह है 40 प्रतिशत महिलाएं फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज से परेशान है। फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज होने के कारण अंडे शुक्राणों से नही मिल पाते है जिसके कारण से गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है।
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क्या फैलोपियन ट्यूब टेस्ट दर्दनाक है? या क्या एचएसजी प्रक्रिया दर्दनाक है? –
कई महिलाओं को कुछ ऐंठन महसूस होती है, खासकर जब डाई इंजेक्ट की जाती है। जिन महिलाओं को एक अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब है, वे तीव्र दर्द महसूस कर सकती हैं। इबुप्रोफेन जैसे ओवर-द-काउंटर दर्द दवाएं इस दर्द या बेचैनी को दूर करने में मदद कर सकती हैं।
6. गर्भाशय में रसौली/ फाइब्रॉइड गांठ (Fibroids) – जब यूटरस के अंदर की मांसपेशियाँ ट्यूमर का रुप लेने लगती है तो उसे गर्भाशय में रसौली/ फाइब्रॉइड गांठ कहते है। लगभग हर महिला के यूटरस में एक या दो गांठे होती है परंतु वह परेशानी नही देती है परंतु कुछ केशो में यह बहुत अधिक गंभीर हो सकती है। ज्यादातर फाइब्रॉइड की समस्या प्रसव के दौरान होती है।
कितनी प्रतिशत महिलाओं को फाइब्रॉइड की समस्या है? –
शोध बताते है कि करीब 20% से 60% महिलाएं इस समस्या से पेरशान है। 2013 में इस बात का पता चला कि 171 मिलियन महिलाएं फाइब्रॉइड की समस्या प्रभावित है। रसौली आम तौर पर प्रजनन वर्षों के मध्य और बाद के दौरान पाई जाती हैं। रजोनिवृत्ति के बाद, रसौली आमतौर पर आकार में कम हो जाती हैं।
7. ओवरी कैंसर (Ovary Cancer) – यह एक प्रकार का कैंसर है जोकि महिलाओं के यूटरस में होता है इसे ओवेरियन भी कहते है। इस कैंसर में महिलाओं की ओवरी में छोटे-छोटे आकार के सिस्ट बन जाती है जिसके कारण महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या होती है। अधिक उम्र की महिलाओं अर्थात 50 से 60 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को ओवरी कैंसर होता है। 40 वर्ष की कम आयु की औरत में इसके होने की शंका बहुत ही कम होती है। यह उन औरतों में सबसे अधिक होता है जिसकी ओवरी ठीक से कार्य करने में असमर्थ होती है।
8. रजोनिवृत्ति (Menopause) – जब किसी महिला को 40 वर्ष की आयु के आसपास 1 वर्ष तक पीरियड नही है तो माना जाता है कि वह महिला रजोनिवृत्ति की अवस्था को प्राप्त कर चुकी है। इस अवस्था में यह माना जाता है कि यहां से महिला की प्रजनन क्षमता का अंत हो चुका है और वह अब बच्चे पैदा करने के योग्य नही है। एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर बिल्कुल कम होता जाता है जिसके कारण अंडे नही बनते है और रजोनिवृत्ति हो जाती है। भारत में महिलाओं में रजोनिवृत्ति की उम्र आम तौर पर 45-50 के बीच होती है।
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हर वर्ष कितनी महिलाएं रजोनिवृत्ति से होकर गुजरती है?
आंकड़ो के अनुसार 45 से 64 वर्ष की आयु के बीच औसतन 27 मिलियन महिलाएं प्रत्येक वर्ष रजोनिवृत्ति का अनुभव करती हैं।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के इस अवसर पर हमनें महिला प्रजनन स्वास्थ्य पर संपूर्ण चर्चा की जिसके आधार पर जाना की हर एक महिला अपने जीवन काल के दौरान किन-किन स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करती है।
आशा आयुर्वेदा ने पिछले 10 वर्षों से महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य एवं निःसंतानता संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए पूरी तरह समर्पित है। आशा आयुर्वेदा की संस्थापक डॉ चंचल शर्मा पूरे समर्पण भाव के साथ आशा आयुर्वेदा आने वाले सभी महिलाओं मरीजों की सेवा करती है और उसकी टीम इस कार्य के लिए उनका पूरा साथ देती है।
डॉ चंचल शर्मा एक महिला होने के नाते अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वर्ष 2021 की थीम – “Women in leadership: an equal future in a COVID-19 world” अर्थात “महिला नेतृत्व: COVID-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना” का समर्थन करती है और भविष्य में महिलाओं के स्वास्थ्य सुधार में योगदान देने का संकल्प लेती है।
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