इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट: महिलाएं इन कारणों से होती हैं बांझपन का शिकार – Infertility Treatment in Hindi
कुछ दशकों से बदलते खानपान और लाइफस्टाइल पर ध्यान न देने की वजह से महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। ये परेशानी इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि एक महिला को गर्भधारण करने में असफल है। निसंतानता (Infertility in Hindi) की समस्या से निजात पाने के लिए कई कपल्स लेप्रोस्कोपी और IVF क्लीनिकों के चक्कर कांटते है दरअसल उनको ये नहीं पता की आयुर्वेदिक तरीके से इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट का उपचार किया जा सकता है, लेकिन इसमें भी कई मामलों में काफी प्रयास के बाद भी एक महिला गर्भधारण नहीं कर पाती है।
विशेषज्ञ का कहना है कि अगर सही समय पर परेशानी का पता चल जाएं तो इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट आसानी से किया जा सकता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इनफर्टिलिटी की समस्या क्यों होती है और लक्षण क्या है? तथा इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट क्या है?
इनफर्टिलिटी की समस्या कब और क्यों होती है?- Infertility Treatment in Hindi
इनफर्टिलिटी तब होता है जब आप गर्भवती होने के लिए बहुत कोशिश करती हैं लेकिन फिर भी आप ऐसा नहीं कर पाती हैं। बांझपन का मुख्य लक्षण गर्भवती होने में असमर्थता है। Ayurvedic Doctor for infertility के कहना है कि आयुर्वेद के अनुसार, इंफर्टिलिटी को वायु जनित रोग माना गया है।
अगर आपकी पीरियड्स साइकल (Menstrual Cycle) बहुत लंबी या छोटी है और आपको काफी दर्द भी होता है तो ये इनफर्टिलिटी का संकेत हो सकता है। इसके अलावा बार-बार गर्भपात (Recurrent Miscarriages), ट्यूब में पानी भरना (Hydrosalpinx), इंफेक्शन (Infection) या एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) का इतिहास है तो निसंतानता की शिकायत होती है। पेट के निचले हिस्से में काफी तेज दर्द होना इसका शुरुआती लक्षण है। अगर ऐसा कोई भी लक्षण नजर आता है तो तुरंत डॉक्टरों से सलाह लें।
इनफर्टिलिटी का कारण – Infertility Reasons in Hindi
महिला निसंतानता के कारण कई हो सकते है। हांलाकि Infertility Doctor का कहना है कि इसका एक सटीक कारण बता पाना बेहद मुश्किल है। लेकिन निसंतानता के मुख्य कारण में शामिल हैं-
- यूटरस में परेशानी होना
अगर किसी महिला के यूटरस या गर्भाशय में पोलिप (म्यूकस झिल्ली पर असामान्य ऊतक का बढ़ना), फाइब्रॉइड (गर्भाशय में गांठ) या सेप्टम (septum) जैसी समस्याएं है, तो उनको गर्भधारण करने में बाधा पैदा हो सकती है। पोलिप और सेप्टम अपने आप किसी भी समय बन सकता हैं।
- ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब (Tubal Blockage)
यह महिला इनफर्टिलिटी के मुख्य कारणों में से एक है। फैलोपियन ट्यूब गर्भधारण करने में बहुत ही अहम भूमिका निभाती है। ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब (Tubal Blockage Treatment) के कारण निषेचन की प्रक्रिया यानी अंडे और शुक्राणु के मिलने में बाधा आ सकती है।
- एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis)
एंडोमेट्रियोसिस एक प्रजनन विकार है जो महिलाओं को प्रभावित करता है। इस स्थिति में गर्भाशय की दीवारों को लाइन करने वाले टिशू गर्भाशय के बाहर बढ़ते हैं। और फिर यही टिशू गांठ बन जाते हैं। कभी-कभी, यह असामान्य रूप से अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे अंगों का प्रभावित करता है। जोकि एक दर्दनाक स्थिति होती है। आमतौर पर, यह गांठ अपने आप समाप्त हो जाती है। यह 2 प्रकार का होते है – बाहरी और आंतरिक।
गर्भाशय की मांसपेशियों की दीवार की बाहरी और आंतरिक दोनों हिस्से में पाया जाता है। Endometriosis symptoms and treatment की बात करें तो पीरियड्स में हेवी ब्लीडिंग, दर्द और ऐंठन होना (Abdominal Pain), सेक्स के दौरान दर्द होना, पेशाब में जलन या दर्द होना, महावारी से पहले दर्द रहना, मल त्याग करने में असहज महसूस करना, थकान, दस्त और कब्ज की समस्या होना।
- अनओवुलेशन (Anovulation)
ओवुलेशन न होना और अनओवुलेशन, एक विकार है जिसमें अंडे सही से विकसित नहीं होते है। या अंडे के फॉलिकल इन्हें जारी नहीं किया जाता है। जिन महिलाओं को यह विकार है, उनमें कई महीनों तक मासिक धर्म नहीं होने की परेशानी होती है। कुछ को मासिक धर्म हो भी सकता है भले ही वे ओवुलेट नहीं कर रही हों।
- हाइपोथैलेमस डिसफंक्शन (Hypothalamic Dysfunction)
हाइपोथैलेमस ब्रेन का एक छोटा और अहम भाग होता है। ये एक ग्रंथि (आपके मस्तिष्क में मौजूद) है जो आपके शरीर के कई जरूरी कार्यप्रणालियों और हार्मोन सिस्टम को नियंत्रित और रेगुलेट करने के लिए जिम्मेदार है। ये नर्व्स सिस्टम और एंडोक्राइन सिस्टम के बीच की सबसे अहम कड़ी होती है। हाइपोथैलेमस शरीर को होमियोस्टैसिस (homeostasis) नामक स्टेबल स्टेट में संतुलित रखता है।
यह ग्रंथि पिट्यूटरी ग्रंथि को हार्मोन जारी करती है जो आगे इन हार्मोनों को आपके अंडाशय सहित आपके कई अंगों में भेजती है। यह ग्रंथि आपके मासिक धर्म चक्र को भी प्रभावित कर सकती है।
हाइपोथैलेमिक डिसफंक्शन भी हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया का कारण बन सकता है। इस स्थिति में हाइपोथैलेमस ग्रंथि में किसी समस्या के कारण आपका मासिक धर्म कई महीनों तक रुक जाता है। यह स्थिति उच्च कोर्टिसोल के स्तर के परिणामस्वरूप हो सकते है जो हाइपोथैलेमस-अंडाशय कनेक्शन को कम करती है। इन दोनों के बीच एक खराब संबंध कम हार्मोनल स्तर का कारण बन सकता है। मासिक धर्म की अनुपस्थिति ओव्यूलेशन विकारों का कारण बनती है।
- पीसीओएस (Polycystic Ovarian Syndrome)
पीसीओएस का मतलब होता है कि पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) जो एक गंभीर बीमारी होती है। यह एक मेटाबोलिक डिसऑडर है जोकि महिला के हर्मोनल इम्बैलेंस से जुड़ा होता है। इस स्थिति में ओवरी पुरुष हर्मोन ज्यादा मात्रा में रिलीज करना शुरु कर देता है जिससे ओव्यूलेशन में अनियमित होती है।
इस स्थिति में अंडाशय में बहुत सारे सिस्ट बन जाते है। क्योंकि महिलाओं की दो ओवरीज होती हैं और वह हर महीने एक एग रिलीज करती हैं। यह ओवरीज महिलाओं में कुछ हार्मोन्स भी रिलीज करती हैं लेकिन अंडाशय में इमैच्योर अंडे होने के कारण न तो ऑव्युलेशन (Ovulation) होता है और ना ही गर्भ ठहरता हैं। और इस कंडीशन में वजन तेजी से बढ़ता है।
- पीसीओडी (Polycystic Ovarian Disorder)
पीसीओडी का मतलब होता है पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसऑर्डर है जो अंडशय में टाइम से पहले ही एग्स को रिलीज कर देता है। जिससे अंडशय में सिस्ट बन जाते है और ओवरी का साइज बढ़ने लगता है। यह महिलाओं में एण्ड्रोजन यानी पुरुष हार्मोन के बढ़ने का विकार होता है।
ऐेसा होने पर महिलाओं के पीरियड्स में अनियमिता, वजन का बढ़ना, स्ट्रेस ज्यादा लेना और हर्मोन का असंतुलित का होना शामिल है। इससे महिला की फर्टिलिटी पर भी असर पड़ता है।
- हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया (Hypothalamic Amenorrhea)
हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया वाली महिलाओं में ओव्यूलेशन अनियमित या गैर-मौजूद हो सकता है क्योंकि उनके शरीर में अंडाशय में हार्मोन आवेगों को प्रसारित करने के लिए आवश्यक पोषण या वसा सामग्री की कमी होती है। उच्च या निम्न शरीर का वजन, अत्यधिक वजन बढ़ना या हानि, और अत्यधिक तनाव सभी कारण योगदान दे सकते हैं। नर्तक, एनोरेक्सिक महिलाएं और पेशेवर एथलीट अक्सर हाइपोथैलेमिक एमेनोरिया का अनुभव करते हैं।
- प्रीमैच्योर ओवेरियन फेलियर (Premature Ovarian Failure)
POF यानी 40 की उम्र से पहले ओवरीज का सामान्य रूप से काम न करना। कह सकते हैं कि ओवरीज में सामान्य रूप से एस्ट्रोजन हार्मोन का निर्माण न होना या नियमित रूप से अंडे का रिलीज न होना। इससे निसंतानता या बच्चा न होना आम समस्या है।
ये समस्या आनुवांशिक है लेकिन पर्यावरण व जीवनशैली जैसे कि धूम्रपान, शराब पीने की लत, लंबी बीमारी जैसे थायरॉइड व ऑटोइम्यून रोग, रेडियोथैरेपी या कीमोथैरेपी होना भी मुख्य कारण हैं। इसके अलावा जेनिटल टीबी भी उम्र से पहले ओवरीज फेल होने की वजह हो सकती है।
- शराब और धूम्रपान का सेवन करना (Drinking and Smoking)
ज्यादा मात्रा में शराब और धूम्रपान का सेवन करने से फर्टिलिटी कम हो सकती है। इसके साथ में ये दोनों चीजे भ्रूण बनने की स्थिति को कमजोर व प्रभावित करती हैं।
इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Infertility Treatment) की बात करें तो हमारे आयुर्वेदिक फर्टिलिटी डॉक्टर का मानना है कि बिना सर्जरी के इनफर्टिलिटी का इलाज (infertility treatment without surgery) किया जा सकता है। आयुर्वेद की प्रचीन पंचकर्म पद्धति (Panchakarma Treatment) के पांच प्रकार में वमनकर्म, विरेचनकर्म, उत्तरबस्ती- हर्बल एनीमा थेरेपी, नास्यकर्म- नाक की थेरेपी, और रक्तमोक्षण कर्म चिकित्सा शामिल है।
आखिर में डॉक्टर चंचल शर्मा (Best Doctor for infertility) आपको यही सलाह देती है कि ऐसे भोजन का सेवन करें जो असानी से पच सकें। मैदा से बने खाद्य पदार्थ का सेवन बिल्कुल न करें, साथ ही दही, केले, बेसन, चने की दाल और गरम मसाले के सेवन से बचें।
खानपान के अलावा आप दिन में एक बार योगा जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। सुर्य नमस्कार, भुजंगासन, अनुलोम-विलोम, तितली आसन, कपालभाती, नौकासन, भ्रमारी प्राणायाम और 30 मिनट तक पैदल चले।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार आदि पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमारे Infertility Clinic आने के लिए +91 9811773770 संपर्क करें।