होली में कैसे करे त्वचा की देखभाल – Holi Kaise Manate Hain
होली रंगों का वह त्यौहार है जिसका नाम सुनते ही मन में रोमांच और उल्लास के बुलबुले फुटने लगते हैं. तरह तरह के पकवानो की सुगंध होली की तैयारी के साथ ही घर में फैलने लगती है और मन ख़ुशी से सराबोर होकर फाल्गुन के रंगों में झूमने लगता। कहीं कजरी तो कही जोगीरा की गूंज सुनाई देने लगती है. हिंदी महीने का इससे बेहतर अंत और नहीं हो सकता है. इस त्यौहार में लोग पुराने सारे गीले सिकवे भूलकर अपने दुश्मन को भी गले से लगाते हैं और उन्हें होली की मुबारक बाद देते हैं. आशा है की आपके घरों में भी इस रंगीन माहौल में आपकी खुशियों का रंग और बढे और आपका दामन सुख शांति के रंगों से भर जाये।
होली का आयुर्वेदिक महत्व
होली का आयुर्वेदिक महत्व: होली के दिन, भारतीय घरों में भारी मात्रा में हर्बल द्रव्यों का उपयोग किया जाता है, जैसे नीम, हल्दी, अमला, ट्रिफला, और अन्य जड़ी बूटियाँ। इन आयुर्वेदिक द्रव्यों का उपयोग त्वचा के लिए फायदेमंद होता है, जो त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। हल्दी का लेप, नीम का पेस्ट, और आमला का रस त्वचा के लिए लाभकारी होते हैं और विभिन्न त्वचा समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। होली के दिन आयुर्वेदिक द्रव्यों का सेवन हमारे शरीर की सुरक्षा को भी बढ़ाता है। इन द्रव्यों में विशेष रूप से अंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स, और मिनरल्स होते हैं जो हमारे शरीर को रोगों से बचाने में मदद करते हैं।
इस बार होली को आयुर्वेदिक तरीके से मनाएं और देखे कैसे आपकी सेहत का ख्याल रखता है ये तरीका:
त्वचा का ख्याल: होली के उमंग में सब इतने डूब जाते हैं की अपनी कोई सुध ही नही रहती है और इन रंगों से कई बार आपकी त्वचा को भारी नुकसान झेलना पड़ता है. आजकल के प्रदुषण वाले वातावरण में आपको अपनी त्वचा के लिए प्राकृतिक पदार्थों पर ही विश्वास करना चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग, खानपान में लापरवाही तथा प्रदुषण आपकी चमकती त्वचा का रंग उड़ा सकती है इसलिए होली जैसे रंगों के त्यौहार में उसका आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए। कुछ आयुर्वेदिक तरीके जो इस होली आपकी त्वचा की सुरक्षा के काम आएंगे:
1. हरीतकी और शंकपुष्पी का रंग: हरितकी और शंकुपुष्पी के पाउडर का इस्तेमाल करके होली मनाने से चेहरे की त्वचा का निखार बना रहता है और यह त्वचा के लिए पोषक तत्वों से भरपूर होता है।
2. हल्दी का उपयोग: हल्दी एक प्राचीन औषधि है जिसमें गुणों की अधिक संख्या होती है। होली के दिन घर पर निकलने से पहले हल्दी का लेप लगाने से त्वचा को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है और खराब रंगों से बचाव होता है।
3. नारियल तेल का उपयोग: होली के बाद नारियल तेल का लेप लगाने से त्वचा की प्राकृतिक नमी बनी रहती है और यह त्वचा को नरम, मुलायम और चमकदार बनाए रखता है।
4. संगीत और नृत्य: होली मनाने का सबसे अच्छा तरीका है संगीत और नृत्य के साथ। गाने, नृत्य और मित्रों के साथ मौज-मस्ती करने से मन और शरीर दोनों को संतुष्टि मिलती है।
5. प्राकृतिक रंग: होली के रंगों में केमिकल्स का उपयोग करने के बजाय प्राकृतिक रंगों का उपयोग करें। प्राकृतिक रंग न केवल आपकी त्वचा के लिए अधिक सुरक्षित होते हैं बल्कि ये पर्यावरण के लिए भी अधिक अनुकूल होते हैं।
6. उचित आहार: होली के दिन उचित आहार का सेवन करें। ताजा फल, सब्जियां, दालें और नारियल पानी जैसे प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें। इससे आपका शरीर स्वस्थ और पौष्टिक रहेगा।
बाज़ार में उपयोग होने वाले कृत्रिम रंगों के रयोग से बचें और बदलते मौसम में सर्दी जुखाम से बचने की तयारी पुरी कर लें
आयुर्वेद के अनुसार, बीमारियां पृथ्वी के पांच तत्वों- पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और शरीर में मौजूद पानी में गड़बड़ी का परिणाम हैं। इस अंसतुलन के कारण वात, पित्त और कफ के तीन दोष पैदा होते हैं। ये तीन असंतुलन पैदा करने वाले मुख्य कारक मौसम में होने वाले बदलाव हैं। इसिलए, आयुर्वेद ने इन स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव के लिए ऋतु के हिसाब से कुछ खास उपाय सुझाए हैं, जिन्हें ऋतुचार्य कहा जाता है। इसलिए, आयुर्वेदिक तरीके से होली खेलने के दौरान इन उपायों को इस्तेमाल किया जा सकता है और स्वास्थ्य संबंधी फायदे प्राप्त किए जा सकते हैं और कुछ समस्याओं से बचा भी जा सकता है।
होली के दिन पकवान और खानपान का विशेष ध्यान रखें:
होली के उमंग में सभी खाने पीने का संतुलन खो देते है जो बाद में एसिडिटी और अपच जैसी समस्या का कारण बन सकती है, इसलिए विशेष रूप से इन बातों का ध्यान रखना चाहिए। आप चाहे तो अपने पकवानो में प्राकृतिक तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे तिल का तेल. यह प्रोटीन से भरपूर होता है और बहुत सी बिमारियों से हमारी सुरक्षा करता है. यह वात कफ को नियंत्रित करता है साथ ही आपके बजट में भी मिल जाता है. आप चाहे तो प्राकृतिक वस्तुओं का इस्तेमाल करके अपने लिए हेल्दी ड्रिंक भी बना सकते हैं जिससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और खाना पचाने में भी साहयक होगा।
निष्कर्ष: प्रेम संयम और एकता का यह त्यौहार आपको जीवन का महत्व सिखाता है. भाईचारे और सौहार्द की सकझ देने के साथ ही यह जीवन उमंग के रंग भी भरता है. होली के हर्षोल्लाश के माहौल में रंग में भंग न होने दें. अपने और अपने परिवार की सुरक्षा की जिम्मेदारी लें और ख़ुशी के साथ इस होली को आयुर्वेदिक ढंग से मनाएं। आशा करती हूँ की यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए लाभदायक सिद्ध होगा। होली की हार्दिक शुभकामनाएं।