आयुर्वेद के अनुसार हर्बल होली के फायदे- Organic Colour in Holi
हर्बल होली के फायदे: वसंत ऋतु के महीने में रंगों का त्योहार होली भक्त प्रह्लाद की भक्ति और भगवान द्वारा उसकी रक्षा के स्वरूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि जिस दिन मनु ने जन्म लिया था उसी दिन कामदेव का पुनर्जन्म हुआ था और कहीं-कहीं यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान ने पुतन का वध किया था।
इस त्योहार का संबंध भगवान शिव और भगवान कृष्ण दोनों से ही जुड़ा है। कई लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान शिव का भस्माभिषेक के साथ पूरा श्रृंगार किया जाता है। जबकि कृष्ण भगवान के साथ रंग और फूलों की होली खेली जाती है।
वहीं आयुर्वेद के मुताबिक पर्व हमें आहार-विहार संबंधी जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसके साथ होली में रंगों का बहुत महत्व होता है। अब रासायनिक रंगो से होली खेलने का प्रचलन चल गया है जबकि पारंपरिक होली फूलों से बने रंगों से ही खेली जाती है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको होली में रंग से खेलने के पीछे की मान्यता और हर्बल होली के फायदे के बारे में विस्तार से बताएंगे।
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ऐसे शुरू हुआ होली पर रंग लगाने का चलन
गुलाल से होली खेलने का रिवाज बहुत पुराना माना जाता है। मान्यता के अनुसार, रंग-गुलाल लगाने की परंपरा राधा-कृष्ण के प्रेम से हुई थी। बचपन में श्री कृष्ण ने माता यशोधा से अपने सांवले और राधा के गोरे होने की शिकायत किया करते थे। तब उनकी बातों पर माता यशोदा हंसती हैं और सुझाव देती हैं कि जिस रंग में राधा को देखना चाहते हो, वही रंग राधा के चेहरे पर लगा दें।
श्रीकृष्ण ने अपनी मित्रों के साथ राधा और सभी गोपियों को खूब रंग लगाया। जब वे राधा तथा अन्य गोपियों को भिन्न-भिन्न रंगों से रंग रहे थे, तब नटखट श्रीकृष्ण की यह प्यारी शरारत सभी ब्रजवासियों को बहुत पसन्द आई। इसीलिए होली पर रंग खेलने की यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है।
होली पर रंगों का अपना महत्व – हर्बल होली के फायदे
होली के दिन लोग गिले-शिकवे भुलाकर खुशी का इजहार करते है और इस त्योहार को पूरे हर्ष और उल्लास से मनाते है। होली पर एक-दूसरे को रंग लगाने के लिए लोगों में बहुत उत्साह दिखाई देता है, और हो भी क्यों न हमारे जीवन में रंगों का एक विशेष महत्व होता है।
होली में लाल रंग प्रेम और जोश को दर्शाता है, वैसे ही पीला रंग शुभता को दर्शाता है, नीला कृष्ण का रंग है और हरा रंग बसंत की शुरुआत और कुछ नया करने का प्रतीक को दर्शाता है।
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होली खेलने के पीछे की वैज्ञानिक मान्यता
होली की बात करें तो यह त्योहार तब मनाया जाता है जब सर्दी खत्म होने वाली होती है और गर्मी शुरू होने वाली होती है। यह ऋतु परिवर्तन को बताता है और पुराने जमाने में लोग जाड़ों में प्रतिदिन स्नान नहीं करते थे।
रोजाना न नहाने और गंदे पानी के इस्तेमाल से कई तरह के स्किन इंफेक्शन हो जाते थे और ऐसे में गर्मी शुरू होने से पहले शरीर की सही तरीके से सफाई की जरूरत होती थी।
कुछ लोगों का यह भी कहना हैं कि होली से पहले मन में उदासी और तनाव का साया रहता है। अलग अलग रंग उस उदासी और तनाव को दूर करते हैं। बहुत लोगों से मिलने से मन की कड़वाहट भी दूर हो जाती है। सुसुगंध और रंग मिलकर मन और शरीर को नया बनाते हैं।
होली के खेल के दौरान शरीर को व्यायाम का मौका मिलता है। इससे शरीर का कार्यक्षमता बढ़ती है और संक्रमण से लड़ने की क्षमता भी बढ़ जाती है। रंगों का उपयोग होली के खेल में शरीर के लिए फायदेमंद होता है। कुछ रंगों में अधिक मात्रा में विटामिन सी और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद होते हैं।
घर में ही बनाए होली रंग – हर्बल होली के फायदे
आजकल बजार में केमिकल युक्त रंग मिलने लगे है जो होली का मजा किरकिरा कर देते है। पर्यावरण के लिए हानिकारक होने के अलावा त्वचा और अन्य अंगों के लिए भी हानिकारक साबित होता है। इसलिए आपको प्राकृतिक रंगों से ही होली खेलनी चाहिए।
इस मौसम में खिलने वाले फूलों का इस्तेमाल करके आप घर पर ही होली के हर्बल होली के रंग बना सकते हैं। ये रंग जितने नेचुरल और ऑर्गेनिक होते है उतने ही सुरक्षित होते है। आइए आज जानिए कैसे बनाएं प्राकृतिक रंग:
पीला रंग
घर पर प्राकृतिक रूप से पीला रंग बनाने के लिए आप हल्दी का उपयोग कर सकते है। आप हल्दी के साथ गेंदे फूलों को पीस लें और उसमें पानी मिलाकर एक मिश्रण तैयार किया जाता है।
लाल रंग
प्राकृतिक रूप से लाल रंग बनाने के लिए आप गुलाब की पंखुड़ियां और चंदन को पीसकर लाल रंग बना सकते हैं। इसके अलावा अगर आप तरल मिश्रण बनाना चाहते हैं तो अनार, गाजर और टमाटर को चुकंदर के साथ पीस लें और इस मिश्रण से होली खेल सकते है।
नारंगी रंग
गुलाल से नारंगी रंग बनाने के लिए आपके पास चंदन का पाउडर और पलाश के फूल या फिर गेंदे का फूल लें सकते हैं। आप दोनों को बराबर मात्रा में पीसकर गुलाल बना सकते हैं। वहीं तरल मिश्रण के लिए आप फ्लाश के फूल को पानी में पीसकर उपयोग कर सकते हैं।
नीले रंग
अगर आप लाल-पीले के अलावा नीला रंग बनाना चाहते हैं तो ऐसे में आप अपराजिता के फूल या फिर गुलमोहर को पानी में पीसकर बने मिश्रण का इस्तेमाल कर सकते हैं।
मैजेंटा रंग
आप चुकंदर से आसानी से मैजेंटा रंग बना सकते हैं। इसके लिए आपको चुकंदर को काटकर पानी में डालकर उबालना होगा। इस मिश्रण को रात भर के लिए छोड़ दें और सुबह आप इस मिश्रण को होली के रंग के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
हरा रंग
हरे रंग का प्यारा गुलाल पाने के लिए आप नीम के पत्तों या मेहंदी का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको एक तरल पेस्ट पाने के लिए नींम को पानी में और तेल में मेंहदी पाउडर मिला सकते हैं।
इसके अतिरिक्त पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों का उपयोग कर हरे रंग बना सकते हैं। ध्यान रखें कि पानी में भीगी मेंहदी त्वचा पर हल्के दाग छोड़ सकती है।
डॉ. चंचल शर्मा कहती है कि होली में सिर्फ प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करना चाहिए। ऊधम और मस्ती में कभी कभी बड़ा नुकसान भी हो सकता है। ऐसे में होली के पर्व में लोगों को खुद ही सावधानी बरतनी चाहिए। उम्मीद है हर्बल होली के फायदे के बारे में आपको अच्छे से समझ आ गया होगा तो प्राकृतिक कलर का इस्तेमाल करके होली मनाये और खुशिया बढ़ाये।