सावन माह को भगवान भोने नाथ की आराधना का माह माना जाता है। इसके बाद आता है भगवान शिव के पुत्र गणेश जी की आराधना का माह भाद्रपद है । वर्ष 2021 में 10 सितम्बर को भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी है । यह गणेश उत्सव का प्रथम दिन होता है, जो पूरे 10 दिनों तक धूमधाम के साथ पूरे देश में मनाया जाता है। परंतु दक्षिण भारत में विशेष रुप से मनाने की वर्षों पुरानी प्रथा है।
भगवान गणेश देवों में प्रथम पूज्य और विध्यहर्ता माना जाता है। गणेश जी हर प्रकार की बाधा का निवारण करते है और अपने भक्तों को मुशीबतों से बचाते है।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥
भगवान गणेश जी की आराधना संतान सुख प्रदान करने के लिए की जाती है। यदि दंपति संतान सुख से विहीन है, तो उपचार के साथ-साथ यदि शिव पुत्र गणपति की पूजा का विधान करता है। तो संतान सुख में जल्दी सफलता मिलती है। ऐसा हमारे प्राचानी वेदों के रिसर्च में कहा गया है।
आइये जातने है भगवान गणेश के जन्म की रोचक कथा –
शिव पुराण की कथा में भगवान गणेश जी के जन्म का वर्णन मिलता है। जिसमें बताया गया है कि एक बार माता पार्वती अपनी शरीर के मैल को निकालने के लिए हल्दी का प्रयोग किया था। इसके उपरांत जब पार्वती जी ने हल्दी की उबटन शरीर से निकाली तो उसका एक पुतला बना दिया। बाद में इस पुतले में प्राण प्रवाहित कर दिए । ऐसे भगवान गणपति का जन्म हुआ जिसका वर्णन शिव पुराण में मिलता है।
- अब अगर हम यहां पर तार्कित रुप से भगवान गणपति के वर्णन देखे तो जो माता पार्वती के शरीर का मैल था । उसे आज की भाषा में हम अंडाणु यानि (Ovam , स्त्री) और जो उन्होेंने उसमें हल्दी को मिलाया वह शुक्राणु (पुरुष बीज , शुक्राण ) है। जो बनकर पुतला तैयार हुआ है। वह भ्रूण (embrio) है। जिसको उस समय पर एक विशेष तापमान ( particular temperature) में रखकर नौ महीनों तक एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण किया गया। एक ऐसा कृतिम गर्भाशय (Artificial uterus) तैयार किया । जिसमें भ्रूण को नौ महीनों तक मां के गर्भाशय जैसा वातावरण प्राप्त हो सके । अर्थात भ्रूण का पोषण अच्छी तरीके से हो सके । इसी तरह से भगवान गणपति का जन्म हुआ था।
भगवान गणेश की कथा का इस प्रकार का वर्णन करने के हमारा केवल यह उद्धेश है । कि आयुर्वेद के आचार्यों एवं महार्षियो ने आज से हजारों वर्ष पहले ही सरोगेजी का सिद्धांत प्रतिपादिक कर दिया था। जो एलोपैथी आज कर रहा है।
संतान सुख के लिए सर्व प्रथम भगवान गणपित की क्यों आराधना की जाती है ?
भारतीय हिन्दू पुराणों के अनुसार भगवान गणेश का पूजन करने से घर में सुख-शांति का वास होता है। वहीं निःसंतान दंपति गणेश जी की पूजा करके संतान सुख की कामना करते है और संतान की अच्छी सेहत के लिए भी आराधना करते है। ऐसा इसलिए कहां जाता है । क्योंकि गणेश जी एक आदर्श पुत्र है। अधिकांश शास्त्रों में गणेश जी को एक अच्छे एवं ज्ञानी पुत्र की संज्ञा से नवाजा गया है। इसलिए गणेश जी सर्व प्रथम पूजा जाता है। गणेश जी आरती में उच्चारण किया जाता है, कि “बांझन को पुत्र देत” अर्थात जो दंपति गणेश जी की पूजा-अर्जना करते है उनके जीवन में कभी निःसंतानता नही आती है। और यदि कोई निःसंतान है तो गणेश जी की अर्चना से संतान सुख की प्राप्त होती है।