योग के माध्यम से करे महिला (निःसंतानता ) बाँझपन का इलाज | Fertility Yoga in Hindi
शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ने के लिए एक विशेष प्रक्रिया को योग कहा जाता है। योग आपके मन और शरीर दोनों के लिए बहुत सारे लाभ देता हैं। यह लचीलेपन और ताकत में सुधार भी करता है। साथ ही यह दिमागीपन को बढ़ावा देता है और तनाव मुक्त कर महिला एवं पुरुष की फर्टिलिटी में सुधार (Fertility Yoga in Hindi) कर बांझपन से छुटकारा भी दिलाता है।
बांझपन पुरुषों और महिलाओं के शरीर, भावनाओं और रिश्तों पर भारी असर डालता है। ऐसे में योग आपके लिए बहुत ही फायदेमंद विकल्प हो सकता है। क्योंकि योग महिलाओं और पुरुषों के जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव को नियंत्रित कर सकारात्मक भूमिका निभाने में मदद करता है।
योग अंडाशय और गर्भाशय को उत्तेजित करता है। और उसे पूरी तरह से कंसीव करने के लिए तैयार करता है। यदि इनमें किसी प्रकार के विकार भी हो तो भी योगासन से ठीक हो सकते है। योग के नियमित अभ्यास से तनाव और चिंता को दूर किया जा सकता है।
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जिन महिलाओं के हार्मोन असंतुलित हो गये है या फिर नही भी हुए है उन्हें बेहतर संतुलन हार्मोन के लिए योग को अपनी दिनचर्या का अहम हिस्सा बनना चाहिए। मेरे कहने का मतलब यह कि जिस तरह से जीवन में आप शरीर को भोजन पानी देते है। ठीक उसी प्रकार शरीर को योग की भी जरुरत है। योग एवं प्राणायम के द्वारा रक्त प्रवाह और परिसंचरण को बढ़ावा मिलता है।
योग के द्वारा महिला एवं पुरुषों की प्रजनन (Fertility Yoga in Hindi) और सामान्य मांसपेशियों मजबूत और सक्रिय होती है। जिससे गर्भधारण की संभावना ज्यादा होती है और इनफर्टिलिटी से राहत मिलती है। योग करने से शरीर में इतना ओजस्व व तेज का प्रवाह होने लगता है। कि यह एंडोक्राइन (हार्मोन) सिस्टम को उत्तेजित करता है।
जिससे कंसीव करने में आसानी हो जाती है। यदि किसी महिला या पुरुष की इम्युनिटी बहुत ज्यादा कमजोर या फिर वह बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ जाता है। तो ऐसे में योग फायदे का सौदा हो सकता है। क्योंकि योग स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करता है और उसको मजबूती प्रदान करता है।
फर्टिलिटी योग कौन-से है? | Fertility Yoga in Hindi
महिला एवं पुरुष दोनों की फर्टिलिटी बढ़ाने के कुछ खास योगासन (Fertility Yoga in Hindi) जिसके नियमित अभ्यास से आप इनफर्टिलिटी जैसी आम परेशानी से छुटकारा पा सकते है।
1. सूर्य नमस्कार – सूर्य नमस्कार में आसन के 12 स्टेप होते है। जो पेल्विक मांसपेशियों से लेकर पूरी शरीर को पूरी तरह से सक्रिय रखने में मदद करते है। सूर्य नमस्कार के नियमित अभ्यास से मासिक धर्म में ऐंठन को दूर किया जाता है। सूर्य नमस्कार में बहुत सारे सर्वे भी हुए है जिनके आंकडे दर्शाते है। कि जो महिलाएं प्रेगनेंसी का आसन बनाने के लिए या कंसीव करने के लिए योग का सहारा लेती है।
वह सामान्य महिला की तुलना में जल्दी से प्रेगनेंट हो जाती है और उनको डेलिवरी में भी दिक्कतों का सामना नही करना पड़ता है। यह सब योग की शाक्ति और समर्थ का ही परिणाम है। रजोनिवृत्ति के दौरान महिला का जीवन बहुत ही अस्त व्यस्त हो जाता है क्योंकि इस दौरान फिर वही हार्मोन परिवर्तन होते है जो महिलाओं के स्वभाव से लेकर उसके मिजाज में एक बड़ा परिवर्तन तक के लिए जिम्मेदार होते है। ऐसे में महिलाओं के जीवन में बहुत ज्यादा तनाव और पीड़ा का वक्त होता है क्योंकि कि मेनोपॉज से बाद से महिला को पीरियड्स आना बंद हो जाते है और फिर वह एक ऐसी स्टेज में जंप कर जाती है।
जहां पर फिर बह बच्चा पैदा नही कर सकती है। यदि में यदि महिलाएं योग को अपना साथी बनाती है तो उनको बहुत बड़ी मदद मिलेगी इस पीड़ा और दर्द से निपटने में और जीवन का भी संयम बना रहेगा। क्योंकि योग शरीर के यौन गतिविधियों में सुधार करता है। यौन ग्रंथियों के खराब होने से संबंधित किसी भी आंतरिक दोष को दूर करता है। इसके अलावा, एक व्यक्ति में स्वस्थ यौन भूख को बढ़ावा देता है।
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2. भ्रामरी प्राणायाम – इनफर्टिलिटी के एक्पर्ट बताते है कि तनाव बांझपन का एक मुख्य कारण होता है। ऐसे में यदि आप प्रतिदिन भ्रामरी प्राणायाम करते है तो ऐसे में आपका गुस्सा तनाव व चिंताओं का दमन होता है।
3. पश्चिमोत्तानासन – यह आसन पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियों को फैलाता है। यह महिलाओं में प्रजनन क्षमता में सुधार करता है क्योंकि यह मानसिक तनाव को कम करते हुए अंडाशय और पेट जैसे महत्वपूर्ण अंगों को सक्रिय करता है। बांझपन से संबंधित सभी समस्याओं के लिए पश्चिमोत्तानासन का अभ्यास लाभकारी होता है।
4. हस्तपदासन – यह योगासन प्रजनन उम्र की महिला एवं पुरुष के शरीर को लचीला बनाता है और पेट से जुड़ी समस्याओं व विकराों को दूर कर उसे तनाव मुक्त जीवन जीन का अवसर प्रदान करता है।
5. जानुशीर्षासन – यह योगासन न केवल गर्भधारण के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि गर्भावस्था के दौरान भी उपयोगी है। यह पेट की मांसपेशियों को आराम देते हुए आपके शरीर मांसपेशियों और हैमस्ट्रिंग को फैलाता है। चिंता, थकान, सिरदर्द, और मासिक धर्म की परेशानी से छुटकारा दिलाता है।
6. बद्ध कोणासन – यह आपकी आंतरिक जांघों, जननांगों, कूल्हे और घुटनों की मांसपेशियों को खींचते हुए लचीलेपन में सुधार करता है। यह अधिक उपयोगी प्रजनन योग व्यायाम में से एक है और समय आने पर यह सहज और कम दर्दनाक प्रसव में भी मदद कर सकता है।
7. सुप्त बद्ध कोणासन – यह आपकी आंतरिक जांघ और कमर की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह मासिक धर्म में ऐंठन, सूजन और तनाव से राहत दिलाने में भी सहायक है।
8. नाड़ी शोधन प्राणायाम – अनुलोम विलोम या वैकल्पिक नासिका श्वास । यह आपके शरीर को नकारात्मक भावनाओं, तनाव और अवसाद से शुद्ध करता है ।
9. बालासन – यह आसान तनाव को दूर करता हैऔर रक्त प्रवाह को बढ़ाता है। यह आसन आपकी पीठ, घुटनों, कूल्हों और जांघों की मांसपेशियों को फैलाता है
10. सेतु बंधासन – पुरुषो में यह आसान स्पर्म काउंट की गतिशीलता को बढ़ाने के लिए पैल्विक रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद करता है ।
11. हलासन – शुक्राणु गतिशीलता के लिए यह आसन एक शानदार मुद्रा है। जो पुरुषों के समग्र शुक्राणुओं की संख्या में भी सुधार करता है।
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