एंडोमेट्रियोसिस की समस्या और एंडोमेट्रियोसिस का इलाज
इनफर्टिलिटी की समस्या से आज ज्यादातर महिलाएं परेशान हैं। ट्यूबल ब्लॉकेज के बाद एंडोमेट्रियोसिस की समस्या इनफर्टिलिटी का मुख्य कारण होता है। विश्व स्तर पर लगभग 17.6 मिलियन महिलाएं इस बीमारी से पीड़ित हैं। और भारत की बात करें तो एंडोमेट्रियोसिस से लगभग 20 मिलियन लोगों प्रभावित हुए है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रत्येक दस में से चार महिलाएँ इस समस्या का अनुभव करती हैं, जिनमें से अधिकांश 16 से 45 वर्ष की आयु शामिल हैं। पेट की परेशानी और बांझपन इसके प्रमुख कारण हैं।
क्या है एंडोमेट्रियोसिस- What is Endometriosis in Hindi
एंडोमेट्रियोसिस एक महिला प्रजनन रोग है। इस रोग में गर्भाशय की दीवारों को घेरने वाला ऊतक गर्भाशय के बाहर विकसित होने लगता है। ये कोशिकाएं फिर ट्यूमर बनाती हैं। और बाद में अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे ऊतकों में असामान्यताएं पैदा कर सकता है। यह एक दर्दनाक स्थिति वाली बीमारी है। यह गांठ आमतौर पर अपने आप समाप्त हो जाती है। इसे दो प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: बाहरी और आंतरिक। गर्भाशय की मांसपेशियों की दीवार की बाहरी और आंतरिक दोनों हिस्से में पाया जाता है।
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एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण क्या है?- Endometriosis Ke Symptoms
इन निम्नलिखित मेंं एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण शामिल हैं:
- पीरियड्स में भारी रक्तस्राव
- दर्द और ऐंठन (पेट में दर्द)
- सेक्स के दौरान दर्द
- पेशाब में जलन या दर्द
- मासिक धर्म से पहले दर्द
- मल त्याग में असहजता महसूस होना
- थकान, दस्त और कब्ज की समस्या
एंडोमेट्रियोसिस के कारण क्या है?- Endometriosis Causes in Hindi
ऐसा माना जाता है की कोई निश्चित कारण स्पष्ट रूप से नहीं बताया जा सकता है। लेकिन डॉ. चंचल शर्मा बताती है कि आयुर्वेद के अनुसार, रस धातु (पाचन और चयापचय के बाद बनने वाला पहला ऊतक) से अर्तव (मासिक धर्म का रक्त) बनता है। जब आहार की आदतें दोषपूर्ण होती हैं, जैसे बहुत अधिक तैलीय या बहुत सूखा भोजन या असंगत खाद्य पदार्थ जैसे दूध के साथ फल या अत्यधिक जंक फूड या मांसाहारी या डेयरी-प्रधान भोजन आदि, तो यह चयापचय में बाधा डालता है। इससे रस धातु में सूजन और एंडोटॉक्सिन बनता है, जो मासिक धर्म के रक्त को भी दूषित करता है।
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इसके अलावा मासिक धर्म के दौरान रक्त में एंडोमेट्रियल कोशिकाएं आमतौर पर शरीर से बाहर नहीं निकलती हैं, बल्कि फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से वापस श्रोणि गुहा में प्रवाहित होती हैं। ये एंडोमेट्रियल कोशिकाएं पूरे पेल्विक अंगों पर चिपक जाती हैं और मासिक धर्म के दौरान रक्तस्राव शुरू हो जाता है। दूसरा कारण पेरिटोनियल कोशिकाओं का बदलना भी हो सकता है, पेरिटोनियल कोशिकाओं में परिवर्तन के कारण एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। इसमें एस्ट्रोजेन जैसे हार्मोन शुरुआती दौर में भ्रूण की कोशिकाओं में बदलाव कर सकते हैं।
मासिक धर्म रक्तस्राव के समय एंडोमेट्रियम लाइनिंग शेड होता है। और इसके जैसा ही ऊतक जब ट्यूब में विकसित होकर शेड होने लगता है तो कई बार hematosalpinx का रुप लेता है। और ट्यूब में खून इकट्ठा होने लगता है। यह अल्ट्रासाउंड और MRI स्कैन देखने पर मिलता है। एंडोमेट्रियोसिस 60% से 70% तक आपकी नलियों को प्रभावित करता है।
अन्य कारणों की बात करें तो खराब जीवनशैली, कब्ज की समस्या, पेशाब और मल त्याग करने से रोकना, अत्यधिक तनाव और नशीली दवाओं के सेवन के परिणामस्वरूप विषाक्त पदार्थों का जमाव होता है। जिसके परिणामस्वरूप एंडोमेट्रियम की परत बढ़ने लगती है, जो आगे चलकर ट्यूब और ओवरी को नुकसान पहुंच सकता है।
एंडोमेट्रियोसिस का नेचुरल इलाज- Endometriosis Ka Natural Ilaj
उपचार की बात करें तो एलोपैथी की तुलना में एंडोमेट्रियोसिस का प्राकृतिक उपचार बहुत प्रभावी है। आयुर्वेद प्राकृतिक जड़ी बूटियों और दवाओं का उपयोग करके एंडोमेट्रियोसिस का इलाज करता है। इस पद्धति में रोगी की स्थिति के आधार पर उसका उपचार किया जाता है। एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी को ठीक करने के लिए पंचकर्म थेरेपी भी एक अच्छा विकल्प है। पंचकर्म पद्धति में उत्तरबस्ती चिकित्सा चयापचय में सुधार करती है, सूजन को कम करती है और दवाओं, जड़ी-बूटियों, काढ़े और कई रसायनों द्वारा वात दोष को संतुलित करती है और एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से राहत दिलाती है। ऐसा करने में करीब 15 से 20 मिनट का समय लगता है। यह चिकित्सा लगातार तीन दिनों तक या रोगी की आवश्यकता के अनुसार की जाती है।
इसके साथ ही आयुर्वेद आहार पर सबसे ज्यादा जोर देता है क्योंकि ज्यादातर बीमारियों की जड़ हमारा खान-पान और रहन-सहन ही है। इसलिए एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित महिलाओं को अपनी डाइट पर काफी ध्यान देने की जरूरत होती है। महिलाओं को अपने आहार में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए। इसके अलावा हरी सब्जियां, पालक और एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन जरूर करना चाहिए। आयुर्वेद में खाने के अलावा कुछ हर्बल सप्लीमेंट्स और योग-प्राणायाम भी हैं, जो एंडोमेट्रियोसिस की समस्या से निजात दिलाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। अगर आपको लेख पसंद आया तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। ऐसे ही और इंफॉर्मेटिव ब्लॉग पोस्ट के साथ आपसे फिर मिलेगे। इस विषय से जुड़ी या अन्य Tubal blockage, PCOS/PCOD, हाइड्रोसालपिनक्स, Fibroid आदि का पंचकर्मा पद्धति के अनुसार उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट, यूट्यूब चैनल पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।