Doctor for Low AMH Treatment – Low AMH के कारण और आयुर्वेदिक उपाय
Low AMH Treatment – आजकल की महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत ज्यादा ही बढ़ती जा रही है। एंडोमेट्रिओसिस, Tubal Blockage, PCOS/PCOD, थायराइड जैसी कई बीमारियां उन्हें अपनी चपेट में ले रही हैं जिसकी वजह से नैचुरल तरीके से कंसीव कर पाना मुश्किल हो रहा है। महिला में हर्मोनल डिस्बैलेंस (Hormonal Disbalance) के कारण से भी इनफर्टिलिटी की समस्या पैदा हो सकती हैं।
जैसे की किसी महिला का एएमएच लेवल लो होने से भी प्रेगनेंट होने में दिक्कत आ सकती है। खराब लाइफस्टाइल, स्ट्रेस और हार्मोनल असंतुलन रहने की वजह से महिलाओं में अंडे कम बन रहे है जिससे गर्भधारण ना कर पाने की समस्या आम हो गई है। मां बनने के लिए अंडे बनना और उसकी क्वालिटी दोनों पर प्रेगनेंसी निर्भर करती है। आज इस आर्टिकल में जानेगे की Low AMH के कारण, Low AMH Treatment क्या है? और इसका आयुर्वेद उपचार कैसे होता है।
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लो एएमएच के कारण – Reasons of Low AMH
लो एएमएच के कारण एक महिला को गर्भाधारण नहीं हो सकता है। सबसे पहले जानेगे की Amh क्या होता है, और AMH लेवल कितना होना चाहिए जिसके कारण महिला का गर्भधारण निर्भर होता है। AMH Test को समझने के लिए हमें जानना होगा की जन्म से पहले ही महिलाओं के अंडे की संख्या तय होती है जो महावारी के शुरु होते ही हर महीने खत्म होते जाते है।
21 से 30 साल की उम्र में अंडे की क्वालिटी बहुत अच्छी होती है और यही गर्भधारण करने का सही समय होता है। लेकिन समय के साथ हमारी बदलती जीवनशैली से महिला के अंडे की क्वालिटी गिरने लगती है। डॉक्टर ओवरी में Egg count का पता लगाने के लिए एएमएच टेस्ट करवाते है।
इसमें Blood Test जरिए इसके लेवल का पता चलता है। और यही टेस्ट बताता है कि आपके ओवेरियन रिजर्व (Ovarian Reserve) के बारे में बताते है कि एक महिला में कितनी उम्र तक गर्भधारण करने की क्षमता हो सकती है।
सामान्य महिला में एएमएच स्तर (AMH level ka Star kitna hota hai) का 2.5 से 6.0 नैनोग्राम/मिली होता है। इससे कम या ज्यादा आने पर स्थिति गंभीर हो सकती है। इन निम्नलिखित में लो एएमएच के कारण शामिल हैं-
- एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): यह प्रजनन प्रणाली का एक दर्दनाक विकार है। ऐसी स्थिति जिसमें आमतौर पर आपके गर्भाशय के अंदर पाए जाने वाले ऊतक गर्भाशय के बाहर बढ़ते है। इस मामले में, सूजन और निशान ऊतक अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसके वजह से एएमएच का स्तर कम हो जाता है।
- जेनेटिक कारक (Genetic Factor): जीन में परिवर्तन यानी परिवार वालों में कम एएमएच का इतिहास हो सकता है जो आपके एएमएच के स्तर को भी प्रभावित कर सकता है।
- पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome): पीसीओएस (PCOD) सबसे आम महिला प्रजनन विकार है। इसमें आपके अंडाशय ने असामान्य मात्रा में पुरुष सेक्स हार्मोन एण्ड्रोजन का उत्पादन होता है। अंडाशय में बनने वाले छोटे सिस्ट की संख्या आपके एएमएच स्तरों को प्रभावित कर सकती है।
- ऑटोइम्यून रोग (AutoImmune Disease): इस बीमारी में प्रतिरक्षा प्रणाली आपकी स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करती है और इस प्रकार स्वस्थ अंडे की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है। इस कारण भी आपके एएमएच स्तर में कमी आती है।
- जीवनशैली में बदलाव (Change in Lifestyle): कुछ जीवनशैली कारक आपके शरीर में एएमएच के स्तर को भी प्रभावित कर सकते हैं, जैसे अत्यधिक धूम्रपान करना, ज्यादा तनाव लेना, पर्यावरण प्रदूषण, मोटापा बढ़ना, और विटामिन डी की कमी से भी एएमएच का लेवल कम होता है।
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लो एएमएच के लिए आयुर्वेदिक उपाय – Low AMH Treatment in Hindi
एएमएच कम हो या ज्यादा आयुर्वेदिक उपचार से महिलाओं के अंडो की गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार अभ्यंग के जरिए औषधि तैलो को उपयोग कर गर्भाशय में रक्त का संचार तेजी से करता है।
तनाव के कारण भी अंडो में कमी का कारण होता है इसलिए महिलाओं को तनाव नही लेना चाहिए। तनाव के कारण हार्मोन डिसबैलेंस होता है इससे हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। इसलिए अंडो की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आपको फर्टिलिटी डाइट लेनी चाहिए, जिससे कि आपके अंडे डैमेज न हो और साथ ही अच्छी क्वालिटी के तैयार हो सके। इन निम्नलिखित में Low AMH के आयुर्वेदिक उपाय शामिल हैं-
- ओमेगा 3 (Omega-3): ओवरी के ठीक तरह से काम करने के लिए आप ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खद्य पदार्थ खाएं। जैसे की अखरोट, फैटी फिश और अंडे की जर्दी में ओमेगा-3 मौजूद होता है। इसके अलावा जिंक भी आपकी मदद कर सकता है। छोले और काजू में जिंक पाया जाता है।
- विटामिन-डी (Vitamin-D): लो एएमएच के लेवल को बढ़ाने में विटामिन काफी मदद करता है। रोजाना विटामिन-डी का सेवन जरुर करें। या फिर आप सुबह उठकर सुरज की रोशनी लें सकते है। इससे आपके शरीर में विटामिन-डी पूर्ति होगी।
- हरी सब्जियां और स्पाइस (Green Leafy Vegetables and Spices): हरी सब्जियों का सेवन करें क्योंकि इससे भी एएमएच का गुणवत्ता को बढ़ता है। सीजन की सारी हरी सब्जियों को डाइट में शामिल करें।
- सीड्स (Seeds): अंडो को हैल्थी रखने के लिए आप तिल के बीज या पमकिन के बीज का भी सेवन कर सकती है। साथ ही अलसी के बीजों और चिया के बीजों का इस्तेमाल भी कर सकते है। इससे शरीर में बाकि बचें या मौजूद पोषक तत्व की पूर्ति करने में मदद मिलती है।
- लहसुन (Garlic): लहसुन में सल्फर युक्त खाद्य पदार्थ पायें जाते हैं, जो शरीर में ग्लूटाथियोन के स्तर को बढ़ाते हैं। ग्लूटाथियोन पुरुष और महिला दोनों की फर्टिलिटी से जुड़ा हुआ होता है। महिलाओं में, यह ओव्यूलेशन को उत्तेजित करता है, अंडे की गुणवत्ता और भ्रूण के स्वास्थ्य में सुधार करता है जो गुणसूत्र दोष को रोकता है। लहसुन को पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द को कम करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
- ब्लड फ्लो इंप्रूव करना (मसाज के जरिए रक्त संचार को बढ़ाना): मासज करने से आपके शरीर में ब्लड के सर्कुलेशन में सुधार आता है। अरंडी के तेल से आप मसाज कर सकते है जो प्रजनन भागों में ब्लड के सर्कुलेशन में सुधार आता है और सभी अंगों में सही तरीके से संचार होता है।
लो एएमएच की स्थिति में क्या ना करें- Low AMH ki Situation mein Kya na karein
लो एएमएच की स्थिति में कुछ कारक इसे प्रभावित कर सकते है। अगर आपको भी लो एएमएच की समस्या है तो इसको बढ़ाने के लिए कुछ सलाह अपना सकते है। जैसे
- स्ट्रेस कम करना: गर्भधारण ना कर पाने की सबसे बड़ी समस्या हमारे शरीर पर पड़ने वाला स्ट्रेस होता जो मानसिक तौर पर बहुत असर डालता हैै। हमारे हर्मोंस को डिस्बैंलेस करता है।
- स्मोकिंग छोड़ना: आजकल के समय में अंडों पर सबसे ज्यादा असर स्मोकिंग करता है। अगर आप भी स्मोकिंग करते है और गर्भधारण नहीं कर पा रही है तो इसे तुरंत छोड़े। यह आपके फेफड़े के साथ-साथ आपके प्रजनन प्रणाली पर भी काफी हद तक असर डालता है जिससे इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ने लगती है।
- वजन कम करना: आजकल की सबसे आम समस्या जो इनफर्टिलिटी को बढावा देती है। बढ़ता वजन आपके बढ़ते कफ को दर्शाता है। इसलिए अपने बढ़ते वजन को कम करें।
- मीठी चीजों का सेवन कम करना: मीठा पदार्थ शरीर में इन्सुलिन की मात्रा को बढ़ाता है जो लो एएमएच का कारण या फिर बढ़ते एएमएच से पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या हो सकती है। इसलिए आप मां बनना चहाती है तो इसका सेवन कम करें या बिल्कुल भी ना करें।
- जंक फूड ना खाएं: आज के समय में जंक फूड का सेवन ना करें। इसमें कर्बोहाइड्रेट का सेवन ना के बराबर करें। इसके सेवन से आपके शरीर में इन्सुलिन का स्तर बढ़ने लगता है और शरीर में फैट की मात्रा को बढ़ाता है। जो महिलाएं कर्बोहाइड्रेट से बना जंक फूड खाती है उन महिलाओं में 78 प्रतिशत तक गर्भधारण करने की क्षमता कम हो जाती है।
और खानपान के अलावा आप योग का साथ ले सकते है। दिन में एक बार योगा जरुर करे जो फर्टिलिटी रेट को बूस्ट करने में मदद करता है। और यह भी सच है कि डॉ चंचल शर्मा द्वारा बताए गए इन आसनों से कई महिलाओं और युवतियों को फायदा हुआ है। इसे आप घर बैठे या किसी पार्क में बैठकर आसानी से कर सकती हैं।
डॉ चंचल शर्मा एक सर्टिफाइड फर्टिलिटी एक्सपर्ट तथा लाइफस्टाइल कंसल्टेंट हैं। वह आशा आयुर्वेदा में फर्टिलिटी डाइट के पोषण का मार्गदर्शन, वजन घटाने और जीवन शैली संबंधी विकारों पर मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
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