ट्यूबल ब्लॉकेज का योग द्वारा उपचार – Treatment of Tubal blockage by yoga in Hindi आयुर्वेद के सिद्ध योग आसन स्वाभाविक रूप से बंध्त्व को दूर कर गर्भ धारण करने के लिए के लिए प्राचीन काल से खास भूमिका आ रहें हैं। ये योग आसन बंद नली को खोलने के लिए विशेष रूप से आयुर्वेद में चिन्हित करके तैयार किए गए है। यह योग आयुर्वेदिक उपचार का एक हिस्सा हैं। जो आपको तेजी से गर्भ धारण करने में मदद करते हैं। गर्भाधान की विस्तृत प्रक्रिया में आयुर्वेदिक शोध ने योग और आसन की प्राचीन भारतीय कला से परिचित कराया है। और आपको…
गर्भनाल की समस्या और समाधान – Umbilical cord in Hindi गर्भनाल (Umbilical cord) एक संकीर्ण ट्यूब जैसी संरचना है जो विकासशील बच्चे को नाल से जोड़ती है। गर्भनाल को कभी-कभी बच्चे की “आपूर्ति रेखा” कहा जाता है। क्योंकि यह बच्चे के रक्त को बच्चे और नाल के बीच आगे-पीछे करती है। यह बच्चे को पोषक तत्व और ऑक्सीजन पहुंचाता है और बच्चे के अपशिष्ट उत्पादों को निकालता है। गर्भवस्था में कैसे काम करती है गर्भनाल – umbilical cord work during pregnancy in Hindi गर्भाधान के 5 सप्ताह बाद गर्भनाल बनना शुरू हो जाती है। यह गर्भावस्था के 28 सप्ताह तक…
Fallopian tube kya hai in Hindi –कैसे होता है ब्लॉक फैलोपियन ट्यूब का इलाज और इसमें कितना खर्चा फैलोपियन ट्यूब (Fallopian tube kya hai in Hindi) महिला के शरीर में एक प्रजनन अंग है जो अंडाशय और गर्भाशय को जोड़ता है। जब एक महिला ओव्यूलेट करती है, तो उसके अंडे अंडाशय से फैलोपियन ट्यूब में जाते हैं। शुक्राणु योनि से गर्भाशय के माध्यम से fallopian tube तक जाता है, जहां यह जुड़ता है और अंडे को निषेचित कर सकता है। Fallopian tube kya hai in Hindi एक बार जब अंडा निषेचित (fertilized) हो जाता है, तो परिणामी भ्रूण को गर्भावस्था…
होली में आयुर्वेदिक नुस्खे अपनाकर कैसे रखें अपनी सेहत का ख्याल होली इन हिंदी – Holi Festival in Hindi होली आते ही मन में बिल्कुल रंगबिरंगा हो जाता है। इस साल होलिका दहन 17 मार्च 2022 को होगी और होली 18 मार्च 2022 को मनाई जाएगी। होली रंगों के साथ मस्ती करने का एक खास भारतीय उत्सव है। इसमें हम सभी रंगों में भाव-विभोर हो जाते हैं। ऐसे में होली को मानने की तैयारी लोगों ने करने शुरु हो गई होगी। परंतु आज के समय में रंगों में बहुत नुकसान करने वाले कैमिकल आते है। जो हमारी सेहत को खराब…
फायब्रोइड या रसौली कैसे मातृत्व सुख में बन सकता है रुकावट प्रजनन उम्र की अधिकांश महिलाओं के गर्भाशय में रसौली (फायब्रोइड) होती है। ऐसे में इन सभी महिलाओं के मन में प्रश्न उठता है। कि यदि गर्भाशय में रसौली हो जाती है तो क्या उनके मातृत्व सुख में रुकावट आ सकती है? या फिर रसौली होने पर माँ बनने की कितनी संभावना होती है? महिलाओं के गर्भाशय में फाइब्रॉएड ट्यूमर होते हैं। जो गर्भाशय की दीवारों में या प्रजनन क्षेत्र में विकसित होते हैं। और यह सामान्य होते है परंतु यह आम तौर पर कैंसर नहीं होते हैं। गर्भाशय में…
बच्चेदानी में सूजन (बल्की यूटरस) के कारण और उपचार Bulky Uterus in Hindi बच्चेदानी की सूजन को डॉक्टरों की बोलचाल की भाषा में Bulky Uterus के नाम से जाना जाता है। हम लोग इसे सामान्य भाषा में बच्चेदानी की सूजन का नाम दे देते है। बच्चेदानी की सूजन को Endometritis के साथ जोड़कर देखते हैं। बच्चेदानी की सूजन (बल्की यूटरस) के कारण महिलाओं को प्रेगनेंसी प्लानिंग में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बल्की यूटरस इस ऐसी समस्या है। जो महिलाओं में इनफर्टिलिटी के मामले बढ़ता है। महिलाओं के यूट्रस का साइज नाशपाती के समान होता है। महिलाओं…
बच्चेदानी में गांठ या रसौली भी बन सकती है माँ बनने में परेशानी प्रजनन उम्र की महिलाों में आज की खराब जीवनशैली के चलते कुछ न कुछ परेशानी जरुर देखने को मिल रही है। बच्चेदानी में गांठ या फिर रसौली भी प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी एक समस्या है, जो महिलाओं में Infertility की समस्या खड़ी हो सकती है। अधिकांश महिलाएं तो इसको कैंसर तक समझ बैठती है परंतु यह ऐसा बिल्कुल भी नही है। परंतु हां 1 प्रतिशत से कम केशों में देखने को मिल भी सकता है। कितनी महिलाएं बच्चेदानी में गांठ या रसौली का सामना कर रही हैंं…
अनियमित पीरियड्स को लेकर हुए बहुत सारे अध्ययन से संकेत मिलता है कि किशोर लड़कियों में अनियमित पीरियड्स मोटापे से जुड़े होते हैं, और अनियमित पीरियड्स से पीड़ित लड़कियों में मधुमेह, प्रजनन संबंधी मुद्दों और हृदय रोग के शुरुआती चेतावनी लक्षण भी हो सकते हैं। अनियमित पीरियड्स पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) का भी संकेत हो सकता है, जो प्रजनन समस्याओं का कारण बनने की क्षमता रखता है। लेकिन किशोरावस्था में इसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है। क्या है पीरियड्स अनियमित होने की पहचान ? माहवारी मासिक धर्म चक्र का एक हिस्सा है जिस दौरान गर्भाशय की परत गिरती है…
आयुर्वेद के महत्व ( Importance of Ayurveda ) आयुर्वेद हजारों वर्षों से है, और इसे प्राचीन भारत में बीमारियों के इलाज और एक स्वस्थ जीवन शैली जीने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक माना जाता था। अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के महत्व के कारण, हमने अपनी आधुनिक दुनिया में भी आयुर्वेद के सिद्धांतों और अवधारणाओं का उपयोग करना शुरू कर दिया। आयुर्वेद हमारी आधुनिक जीवनशैली और स्वास्थ्य उन्मुख आदतों को प्राकृतिक पदार्थों, दवाओं और जड़ी-बूटियों के उपयोग के प्राचीन ज्ञान के साथ मिलाता है ताकि हमें स्वस्थ, सुखी, तनाव मुक्त और रोग मुक्त जीवन जीने में मदद मिल सके।…