Gokhru ke Fayde in Hindi: गोखरू के फायदे, नुकसान और इस्तेमाल भारत में कई हजार सालों से गंभीर रोगों या शारीरिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार के तहर कई जड़ी बूटियों का और पौधों का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये जड़ी बूटी और पौधे एक बेहतरीन औषधि के रूप में काम करती है। आयुर्वेद में बहुत सी औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन इन सभी में सबसे खास है गोखरू (Gokhru) जिसे गोक्षुर या ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस के नाम से भी जाना है। गोखरू एक ऐसी जड़ी बूटी है जो मानव शरीर को गंभीर से गंभीर…
(मीठा नीम) कड़ी पत्ता के फायदे, उपयोग और नुकसान – Benefits of Curry Leaves in Hindi आज के टाइम में एंटीबायोटिक दवाओं का तरह-तरह का इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कई साइड इफेक्ट भी होते है। जबकि आयुर्वेदिक औषधियों में कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। हम इन्हें अपने खानपान में भी इस्तेमाल करते है। आपने कड़ी पत्ता का नाम तो सुना ही होगा जिसे वैज्ञानिक रूप से मुर्रया कोएनिगी नाम दिया गया है। इसे आयुर्वेदिक में एक प्राकृतिक औषधीय पौधा माना जा सकता है। थोड़ा एसिडिक और थोड़ा तीखा स्वाद होने के बावजूद करी पत्ता खाद्य पदार्थों के स्वाद…
जायफल के फायदे और नुकसान – Jaiphan ke Fayde or Nuksan हमारे देश में मसालों का बहुत महत्व होता है। खानपान से लेकर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को मसालों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे ही भारतीय मसालों में शामिल जायफल (Nutmeg) आयुर्वेदिक हर्ब भी हो जो अपनी खास महक और स्वाद के लिए जाना जाता है। लगभग हर घर में पाया जाने वाला यह मसाला न सिर्फ खाने के स्वाद को बढ़ा सकता है बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। जायफल का इस्तेमाल ना सिर्फ मासले के रुप में किया जाता है बल्कि बच्चों की मालिश के लिए…
दालचीनी के फायदे और नुकसान – Dalchini ke Benefits or Nuksan भारत में खाना अपने सुगंधित मसालों के लिए जाने जाता हैं। प्रचीन काल से ही मसाले भारतीय खानपान पर विशेष रूप से अपना प्रभाव डालते है जिसकी खूशबू कई दिनों तक बनी रहती है। लेकिन यह मसाले सिर्फ अपने स्वाद के लिए ही नहीं बल्कि अपने औषधीय गुणों के मामले में भी काफी जाने जाता हैं।अपने दालचीनी का नाम तो जरुर सुना ही होगा। आमतौर पर लोग दालचीनी का इस्तेमाल सिर्फ मसालों के रुप में करते है, क्योंकि उनको इसके फायदे के बारे में पता ही नहीं होता है।…
इलायची के फायदे और नुकसान : Cardamom (Elaichi) Benefits and Side Effects in Hindi हमारी रसोई में पाये जाने वाले मासले और हर्बस कितने फायदेमंद होते है। खाने पीने की कोई भी डिश में अच्छी खुशबू लाने के लिए हम सभी इलायची (Cardamom) का ही इस्तेमाल किया जाता हैं। आमतौर पर इसका उपयोग आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी के रूप में अनेक स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज करने के लिए भी किया जाता है। इलायची के गुण सर्दी-खांसी, पाचन से जुड़ी समस्याएं, उल्टी, मूत्र से जुड़ी समस्याएं आदि के उपचार में बहुत कारगर है। इस लेख में हम आपको इलायची के फायदे और नुकसान…
जाने काली मिर्च के फायदे और नुकसान – Black Pepper (Kali Mirch) Benefits and Side Effects in Hindi भारत के हर घर में काली मिर्च (Black Peppercorn) का इस्तेमाल किया जाता है। यह मसाला आयुर्वेदिक में कई मायनों से गुणों में भरपुर माना जाता है। यह मसालों की रानी होती है जो सूप से लेकर सूखी सब्जी आदि तक हरेक व्यंजन में जान डाल देती है। खाने के स्वाद को बढ़ाने के अलावा यह शरीर को कई लाभ पहुंचाने में मददगार साबित होती है। तीखा और गरम होने के कारण यह मुँह में लार पैदा करती है और शरीर के…
थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार, लक्षण, कारण और परहेज : Thyroid Treatment in Hindi थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार लक्षण, कारण के बारे में विस्तार से जाने :- के सामान्य कामकाज में किसी भी प्रकार की शिथिलता, एक तितली के आकार की ग्रंथि जो गर्दन के सामने नीचे बैठती है, थायराइड की समस्या का कारण बनती है। थायरॉइड एडम के सेब के नीचे, विंडपाइप के सामने स्थित होता है। थायराइड में कोई भी असामान्यता, गोइटर, थायरॉइडाइटिस, हाइपोथायरायडिज्म, ग्रेव्स डिजीज, हाइपरथायरायडिज्म, थायरॉइड कैंसर, थायरॉइड नोड्यूल और थायरॉइड स्टॉर्म का परिणाम है। जबकि थायराइड का समय पर उपचार आवश्यक है, उपचार का समय और प्रकार…
बांझपन के लक्षण, कारण, उपचार और परहेज – Infertility in Hindi पांच में से एक महिला जो बच्चा पैदा करने की योजना बना रही है, उसे प्रारंभिक गर्भावस्था की समस्या है। लेकिन उनमें से ज्यादातर अंत में सफल होते हैं। आधुनिक निदान और उपचार समस्याओं को हल करने में मदद करते हैं। परंतु इनकी सफलता दर नगण्य है। बांझपन प्रजनन की एक बीमारी है जो नियमित रूप से असुरक्षित यौन संभोग 12 महीने या उससे अधिक के बाद गर्भावस्था प्राप्त करने में विफलता से परिभाषित होती है। बांझपन दो प्रकार का होता है – प्राइमरी इनफर्टिलिटी और सेकेण्डरी इनफर्टिलिटी । प्राइमरी…
लो एएमएच (Low AMH) क्या होता है? और योग के द्वारा इसको कैसे ठीक किया जाता है महिलाओं के लिए उम्र के साथ प्रजनन क्षमता और एएमएच का स्तर होना, बच्चे पैदा करना महत्वपूर्ण होता है। 30 साल की उम्र से पहले गर्भावस्था की योजना बनाना सबसे अच्छा है लेकिन अगर किसी कारण से यह संभव नहीं है तो लो एएमएच की जांच करके प्रजनन क्षमता का निदान करने की सलाह दी जाती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक बच्चे को गर्भ धारण करने में एक महिला की उम्र सबसे महत्वपूर्ण कारक है। एएमएच लेवल क्या है? – AMH…