महिलाओं को गर्भवती होने के लिए हार्मोनल संतुलन क्यों आवश्यक है? एएमएच हार्मोन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण हार्मोन में से एक है। प्रजनन समस्याएं अक्सर इसके असंतुलन से सीधे जुड़ी होती हैं। एएमएच एंटी मुलेरियन हार्मोन का संक्षिप्त नाम है। एएमएच एक ग्लाइकोप्रोटीन रसायन है। जो महिला भ्रूण के जीवन के साथ-साथ वयस्क प्रजनन स्वास्थ्य में भी महत्वपूर्ण कार्य करता है। रक्त में एएमएच का स्तर डॉक्टरों को आपकी प्रजनन क्षमता के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को समझने में मदद करता है। गर्भवती होने, गर्भधारण करने और स्वस्थ बच्चा पैदा करने के लिए हार्मोनल संतुलन आवश्यक है। हार्मोनल असंतुलन…
प्रेगनेंसी के लिए अंडे की क्वालिटी में कैसे सुधार करें? इनफर्टिलिटी एक ऐसी समस्या है जो आधुनिक जोड़ों के कई जीवन को परेशान कर रही है। निष्क्रिय जीवनशैली विकल्पों और अस्वास्थ्यकर आदतों के कारण भी पिछले कुछ वर्षों में यह काफी बढ़ रहा है। प्रजनन क्षमता की पूरी प्रक्रिया को बाधित करने वाले बहुत महत्वपूर्ण कारकों में से एक जीवनशैली या लगातार अस्वास्थ्यकर खानपान है। जो एक महिला अपने दैनिक जीवन में अपनाती है। जब प्रेगनेंसी के लिए एग क्वालिटी पर चर्चा की जा रही है, तो एक महिला द्वारा रिलीज किये गए अंडों की गुणवत्ता को अक्सर प्राथमिकता दी…
प्रेगनेंसी से पहले कौन से टेस्ट की जरुरत होती है ? गर्भवास्था की यात्रा बहुत लंबी और परेशानी वाली होती है। ऐसे में डॉक्टर्स अक्सर महिलाओं को कुछ टेस्ट कराने की सलाह देते हैं। ताकि गर्भवती महिला एवं गर्भस्थ शिशु को किसी भी प्रकार की समस्या न हो। इन टेस्ट्स को प्री-प्रेगनेंसी टेस्ट करते हैं। प्रेगनेंसी प्लानिंग करने से पहले हर कपल को प्रेगनेंसी टेस्ट जरुर करवाना चाहिए। क्योंकि यह टेस्ट हेल्दी प्रेगनेंसी की संभावना को बढ़ा सकते हैं। । गर्भधारण करने के पूर्व डॉक्टर के पास भी एक बहुत ही अच्छा कदम होता है । जिसे हर दंपति को…
प्रीमैच्योर डिलीवरी क्या है? हमारे देश प्रीमैच्योर डिलीवरी की सबसे अधिक घटनाओं वाले देशों में से एक बन गया है। एक आँकड़ा कहता है कि भारत में हर साल डेढ़ करोड़ बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं और उनमें से 5 में से 1 भारत में होता है। ऐसे पैदा हुए बच्चों को बचाने के लिए हमें आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से बचा सकते है। आइये जानते है कि आखिर प्रीमैच्योर डिलीवरी क्या होती है? और यह माँ एवं शिशु दोनो के लिए कैसे खतरनाक होती है। यदि किसी बच्चे का जन्म 37वें सप्ताह के पहले ही हो जाता है।…
क्या मां के गुस्से का गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पड़ता है? घर में नई मेहमान के आने की खुशी पूरे परिवार को सुखद अनुभव का अहसास कराती है। परंतु कुछ नई जिम्मेदारियों के साथ चुनौनियां भी दंपति और परिवार के सदस्यों के बीच होती है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को गुस्सा आना स्वभाविक होता है । लेकिन इस गुस्सा का गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हर गर्भवती महिला को कोशिश करनी चाहिए की गर्भास्था को दौरान गुस्से पर नियंत्रित करें और अपने शिशु के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव न पड़ने दें। पति-पत्नी…
प्रेगनेंसी के लिए सम्बन्ध बनाने का सबसे सही दिन प्रेगनेंट होने के लिए सही माहवारी के सही दिन संबंध बनाना बहुत ही जरुरी होता है। ऐसे में आपकी प्रेगनेंसी की बहुत ज्यादा संभावना होती है। संबंध बनाने से पहले यदि आप कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखते है । तो आपको गर्भधारण करने में बहुत ज्यादा मदद मिल जायेगी। प्रेगनेंसी के लिए सम्बन्ध बनाने का सबसे सही दिन ओव्यूलेशन पर निर्भर करता है। माँ बनने का अहसास दूनिया की हर महिला के लिए एक खास पल होता है। यह पल न केवल महिला को खुशी देता है बल्कि उस…
गर्भवती महिलाएं कैसे रखे खुद को सेहतमंद हर महिला के लिए मातृत्व सुख एक वरदान जैसा होता है। गर्भावस्था के साथ ही एक महिला को कई तरह की शंकाएं और चिंताएं होने लगती हैं। मां बनने की तैयारी करने वालों के लिए भी यह समय अपने आहार और जीवनशैली पर पूरा ध्यान देने का है। खान-पान में सावधानी बरतनी चाहिए। क्योंकि जो भी खाया जाएगा वह बच्चे तक पहुंचेगा। हर तीन महीने में गर्भवती महिला की जीवनशैली में बदलाव आता है। कैसी होनी चाहिए गर्भावस्था की पहली तिमाही – What should be the first trimester of pregnancy पहली तिमाही वह…
गर्भधारण में क्या है डाइट का योगदान ? | How to Follow diet chart in pregnancy गर्भधारण में पौष्टिक आहार खाने की महत्व पूर्ण भूमिका होता है। पौष्टिक आहार (nutritious food) के सेवन से प्रजनन तंत्र (reproductive system) में सुचारु रुप से रक्त का संचार होता है। जिससे उनकी प्रजनन क्षमता (fertility) मे वृद्धि होती है। न्यूट्रिशन डाइट लेने से जन्म दोषों के जोखिम को कम किया जाता है। महिलाएं यदि गर्भधारण के पूर्ण संतुलित आहार का सेवन करती है। तो इससे एनीमिया का खतरा भी कम हो जाता है। साथ ही गर्भावस्था के अन्य अप्रिय लक्षण जैसे थकान और…
प्रेगनेंसी के दौरान तनाव लेना हो सकता है खतरे की घंटी प्रेगनेंसी के दौरान तनाव महसूस करना आम बात है। क्योंकि गर्भावस्था कई बदलावों का समय होता है। इस समय गर्भवती महिला का शरीर और भावनाएं बदल रही होती हैं। इस समय तनाव का उच्च स्तर जो लंबे समय तक बना रहता है, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। गर्भावस्था के दौरान, तनाव से कम वजन कम होने की संभावना बढ़ सकती है। बहुत जल्दी या बहुत छोटे पैदा होने वाले शिशुओं में स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान…