मेल इनफर्टिलिटी: कारण और समाधान – Male infertility in Hindi 12 महीने के नियमित, असुरक्षित संभोग के बाद गर्भधारण करने या गर्भधारण करने में असमर्थता को बांझपन के रूप में परिभाषित किया गया है। गर्भाधान में कठिनाइयाँ किसी भी साथी में प्रजनन समस्याओं के कारण या मेल इनफर्टिलिटी और महिला दोनों कारकों में बांझपन की उपस्थिति के कारण उत्पन्न हो सकती हैं। या फिर सीधे शब्दों में कहें तो जब कोई पुरुष किसी महिला को 6 महीने से अधिक समय तक प्रयास करने के बाद गर्भवती नही कर पाता है। तो ऐसी इनफर्टिलिटी को मेल इनफर्टिलिटी (Male Infertility) कहते हैं।…
पुरुष निःसंतानता – Male Infertility in Hindi भारत या दुनिया में पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य बहुत कम ही चर्चा होती है। पुरुष निःसंतानता पर चर्चा करना अभी भी समाज में अच्छा नही माना जाता है। निःसंतानता की पहचान होने पर भी पुरुष इसे निराशा और अपमान के साथ स्वीकार करते हैं। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि पुरुष प्रजनन क्षमता बॉडी मास इंडेक्स पर निर्भर करती है, क्योंकि मोटापा पुरुष शुक्राणु की गुणवत्ता को कम कर सकता है। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि अधिक वजन वाले या मोटे पुरुषों में शुक्राणुओं…
बवासीर – Piles in Hindi दुनिया एक तेज गति से बदल गई है जहां व्यक्ति अपने लक्ष्यों और सपनों का इतनी तेजी से पीछा कर रहे हैं। कि वे सरल चीजों को सही करना भूल जाते हैं। कार्यस्थलों पर बढ़ती प्रतिस्पर्धा और निरंतर पेशेवर सुधार की आवश्यकता हमारे जीवन को आकार देती है। जिससे हम ध्यान भटकाने या स्वस्थ भोजन करने में असमर्थ हो जाते हैं। और यहाँ तक कि नींद या आराम की कमी भी हो जाती है। हम उत्कृष्टता की एक अंतहीन खोज में घंटों तक अपने आप को अपने डेस्क से बंधे हुए पाते हैं। जबकि व्यायाम…
स्पर्म काउंट बढ़ाने के उपाय – Ways to increase sperm count in Hindi इन दिनों हर किसी को परेशान करने वाली समस्या ‘संतान प्राप्ति‘ न होने की है। बदलती जीवनशैली, खान-पान, शारीरिक समस्याओं, तापमान आदि के कारण कई लोगो को गर्भधारण करने में कठिनाई होती है, इसका मुख्या कारण स्पर्म काउंट का कम होना या बिलकुल न होना। फर्टिलिटी सेंटरों के सामने या आईवीएफ आदि इससे सम्बंधित कई सेंटरों में लगी कतार यह बताती है, की प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करना मुश्किल होता जा रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि पुरुषों में ये समस्याएं महिलाओं की तुलना में पुरुषों…
वर्तमान समय का खानपान और लाइफ स्टाइल इनता अधिक अनियमति हो चुका है, जिसके चलते महिला एवं पुरुषों की प्रजनन क्षमता कमजोरी होती चली जा रही है। प्रजनन क्षमता के साथ-साथ महिला एवं पुरुषों की कामेच्छा में लगातार गिरावट देखी जा रही है। जिससे आज के समय में एक बड़ी संख्या मातृत्व एवं पितृत्व के सुख से दूर होती जा रही है। आज हम यहां पर बिना ऑपरेशन के माँ बनने के लिए एक खास थेरेपी के बारें में बताएंगे । जो आपकी माँ बनने में मदद करेगी। आज के समय में युवा वर्ग शादी के बाद संतान की चाहत…
बच्चे जीवन का अर्थ और आनंद हैं। कई जोड़ों को शादी के बाद समय पर बच्चे न होने की चिंता रहती है। समय पर सही इलाज से आज ज्यादातर बांझपन की समस्या को ठीक किया जा सकता है। जीवनशैली और नजरिए में बदलाव के कारण बांझपन का इलाज तेजी से महत्वपूर्ण होता जा रहा है। बांझपन (निःसंतानता) की समस्या आज के समय में एक सामान्य समस्या बनती जा रही है। गांवों की तुलना में शहरों यह समस्या बड़ी ही तेजी के साथ पैर पसार रही है। ऐसे में यह सबसे बड़ा प्रशन उठता है कि कैसे इस समस्या पर काबू…
एक महिला के जीवन में गर्भावस्था एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण है। नेचुरुल प्रेगनेंसी के लिए गर्भावस्था के दौरान उचित देखभाल से मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बना रहता है। ऐसा अक्सर सुनने को मिलता है कि बच्चा जितना भारी होता है, बच्चा उतना ही स्वस्थ और स्वस्थ होता है । और अगर बच्चे का वजन कम होता है तो बच्चे का वजन मां के वजन पर निर्भर करता है। गर्भावस्था के दौरान मां जितनी मजबूत होगी, बच्चा उतना ही स्वस्थ होगा। लेकिन यह कहानी कितनी सच है, जानते है ऐसा इसलिए है क्योंकि विशेषज्ञों का कहना है कि…
आज हम लोग इक्कीसवीं सदी में जी रहें है फिर भी कुछ ऐसे मुद्दे है जिन पर खुलकर बात नही कर सकते है । इंसान बहुत आगे निकल चुका है फिर भी हर घर परिवार में कुछ ऐसे मामले होते है जो इसको कांटो की तरह चुभन पैदा करते है। आज भी जब किसी महिला का बांझ जैसे कटु शब्दों का प्रयोग करता है तो यह किसी अभिश्राप से कम नही लगता है। ऐसे में आशा आयुर्वेदा नेे निःसंतानता को जड़ से मिठाने संकल्प लिया है भारत की हर उस विवाहित नारी के लिए जो निःसंतानता जैसी समस्या का सामना…
प्रजनन क्षमता एक ऐसी चीज होती है जिस पर महिला एवं पुरुष तब तक विचार नहीं करते जब तक कि वे सक्रिय रूप से परिवार शुरू करने की कोशिश नहीं कर रहे होते हैं, या कई मामलों में गर्भधारण करने में परेशानी होने के बाद बहुत से दंपति यह नहीं जानते हैं कि सामान्य कामकाजी प्रजनन प्रणाली वाले 29-33 वर्ष की आयु के जोड़ों के पास किसी भी महीने में गर्भधारण करने की केवल 20-25% संभावना होती है। किसी भी लिंग से किसी भी संख्या में बांझपन कारक जोड़ें और उन संभावनाओं में काफी कमी आ सकती है। अगर आपको…