बस्ती कर्म

बस्ती कर्म 

आज के समय में स्वास्थ्य का ध्यान रखना सबसे कठिन कार्य हो गया है। लम्बे समय से खानपान में गड़बड़ी और खराब दिनचर्या (लाइफस्टाइल)  के कारण हमारे में पेट में लगातार विषाक्त पदार्थ जमा होते जाते है। यही विषैला पदार्थ रक्त से साथ मिलकर उसे दूषित कर देते है जिससे बहुत सारी बीमारियां होने लगती है। आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा का कहना है कि जब भी बॉडी में दर्द से संबंधित कोई समस्या होती है या फिर अर्थराइटिस की बीमारी जैसे लक्षण दिखाई देते है तो इसकी मुख्य वजह बॉडी में जमा विषाक्त पदार्थ ही होते है। यदि समय रहते बस्ती कर्म के द्वारा इन विषैले पदार्थों को निष्कासित कर देेते है तो रोग स्वतः ही जड़ से समाप्त हो जाता है। 

बस्ती कर्म क्या है – (Basti karma kya hai)

बस्ती कर्म आयुर्वेद की एक विशेष चिकित्सा है जो पंचकर्म के अंतर्गत आती है। जिसमें एक विशेष विधि द्वारा गुदा, योनि या मूत्रमार्ग के माध्यम से औषधीय काढ़े, घी या तेल को प्रविष्ट किया जाता है जिसे आधुनिक एनिमा(Modern anima) भी कह सकते है परंतु यह उससे बहुत ज्यादा अलग है। अतः इसे पंचकर्म की सबसे मूल्यवान संपत्ति में से एक माना गया है। बस्ती का शाब्दिक अर्थ है ब्लाडर अर्थात मूत्राशय। प्राचीन काल में मूत्राशय का उपयोग जीव रोगोपचार हेतु किया जाता था, इसलिए इसका नाम बस्ती पड़ा। बस्ती शब्द को हमेशा निरुह बस्त के रूप में समझा जाता है।

बस्ती को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है- “वस्तिना दीयते इतिह वस्ति:”

जब बस्ती (मूत्राशय) का उपयोग कर उसमें दवा प्रविष्ट कराई जाती है, तो इसे बस्ती कर्म कहा जाता है। 

आयुर्वेद के अनुसार बस्ती कर्म को उपकर्म के अंतर्गत रखा है। बस्ती कर्म में आयुर्वेदिक औषधियों को गुदामार्ग से बस्ती यंत्र की सहायता से सीधे प्रवेश कर दिया जाता है जिससे पाचन की क्रिया का समय बच जाता है और औषधि सीधे अपना काम करने लगती है जिससे पेट में जमें विषैले पदार्थ बाहर आ जाते है। 

बस्ती मुख्य रूप से 3 अलग-अलग मार्गों से होती है – 

  1. मूत्र मार्ग (Urethral route) – यह मूत्र जननांग विकारों के इलाज में फायदेमंद है। 
  2. योनि मार्ग(Vaginal route) – इसका उपयोग महिला प्रजनन प्रणाली से संबंधित रोगी के इलाज के लिए किया जाता है। 
  3. गुदा मार्ग ( Anal route) – यह अन्य सभी शारीरिक विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है। 

बस्ती कर्म में निम्न औषधियों का प्रयोग किया जाता है – (medicine & herbs used in Basti Karma)

बस्ती कर्म में उपयोग होने वाली हर्बल औषधियों को विष्टि द्रव्य कहा जाता है। यह अधिकांशतः किसी औषधीय पौधे के भाग, पशु उत्पाद या शहद आदि होते हैं। इस द्रव्य का उल्लेख करना संभव नहीं है क्योंकि इसे कई सामग्रियों के मेल से बनाया जाता है।

 बस्ती कर्म के प्रकार – (Basti karma ke prakar)

  1.  मुख्य रूप से बस्ती कर्म चार प्रकार की होती है।  
  2. पक्वाशय गता – गुदा मार्ग से बड़ी आंत में प्रवेश करती है। 
  3. गर्भाशय गता – योनि मार्ग से दी जाती है। 
  4. मूत्राशय गता – पुरुषों और महिलाओं दोनों में मूत्रमार्ग के माध्यम से। 
  5. व्रान गता – सीधे घावों के माध्यम से। 
  •   तरल औषधियों के आधार पर बस्ती कर्म के प्रकार 

  1. निरुह बस्ती – निरुह शब्द का अर्थ होता है कि जड़ से समाप्त करना। बस्ती कर्म को निरुह से जोड़ दिया जाता है तो इसी चिकित्सा का जन्म होता है जो रोग को जड़ से समाप्त कर देती है। निरुह बस्ती में मुख्य रूप से  कषाय या काढ़ा जैसे औषधियां प्रयुक्त होती है। निरुह बस्ती की कुछ हर्बल औषधियां इस प्रकार है – मदन, यष्टिमधु, दशमूल, यव, शहद, कत्था आदि।
  2.  मधु तेलिका बस्ती – यह एक प्रकार की निरुह बस्ती ही है जहां मधु (शहद) और तैला (तेल) का उपयोग किया जाता है, इसीलिए इसका नाम मधु तेलिका बस्ती है।
  3.  अनुवासन बस्ती – अनुवासन बस्ती में मुख्य रूप से  तेल या घी का उपयोग किया जाता है। “अनुवासन” शब्द का अर्थ होता है कि बिना किसी समस्या के आंत, मूत्राशय या गर्भाशय में लंबे समय तक बने रहना। इसका उपयोग दैनिक आधार पर किया जा सकता है इसलिए इसका नाम अनुवासन बस्ती है। इसमें उपयोग की जाने वाली जड़ी-बूटियाँ हैं- रसना, शतपुष्पा, बिल्व, रक्त पुनर्नवा, श्वेत पुनर्नवा, अग्निमंथा आदि।
  •  फ़ंक्शन के आधार पर – 

  1. शोधन बस्ती – जब बस्ती में इस्तेमाल होने वाली दवा का उद्देश्य शरीर से दोषों और विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में किया जाता है, तो इसे शोधन बस्ती कहा जाता है। 
  2. लेखन बस्ती – यह बस्ती शरीर की चर्बी को कम करने में फायदेमंद है इसलिए मोटापे के इलाज में इसका उपयोग किया जाता है। 
  3. स्नेहन बस्ती – स्नेहन का अर्थ चिकनाई (smoothness) से है यह शरीर की कोशिकाओं को चिकनाई प्रदान करने में फायदेमंद है। 
  4. ब्रिम्हन बस्ती – यह मांसपेशियों की गुणवत्ता और मात्रा को बढ़ाता है। 

बस्ती कर्म की प्रक्रिया (Basti karma ki prakriya)

पंचकर्म में सभी चरणों की तरह, बस्ती कर्म के भी तीन चरण होते है – 

  1. पूर्वकर्म – बस्ती कर्म की सफलता इसकी पूर्व कर्म पर निर्भर करती है। जिसमे स्नेहनं और स्वेदन का विशेष महत्व है। स्नेहनं मुख्य रूप से उदर क्षेत्र में गर्म पानी की सिकाई से संबंधित है। इसके लिए दोष विश्लेषण, दवा की खुराक, प्रक्रिया का दिन, समय का कारक, आहार-जीवन शैली की अनुकूलता आदि को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाता है।
  2. प्रधान कर्म – इसमें 3 चरण शामिल हैं (a) बस्ती करने की विधि b) रोगी की स्थिति c) बस्ती द्रव्य की वापसी अर्थात जब दवा आंत से बाहर आती है।
  3. पश्चात् कर्म – इसमें बस्ती थेरेपी देने के बाद किए गए सभी उपाय शामिल हैं जैसे उचित आहार योजना और जीवन शैली आदि।

बस्ती कर्म से किन बीमारियों का इलाज होता है – 

  1.  यदि कोई ऐसी बीमारी है जिसमें पेट दर्द तथा शारीरिक दर्द रहता हो, उसका बस्ती कर्म से निवारण हो जाता है। 
  2. मूत्र, फ्लैटस, मल और वीर्य में परेशानी होने पर । 
  3. यदि आपका शरीर सुन्न हो जाता है । 
  4. मांसपेशियों के क्षीर्ण हो जाने पर। 
  5.  ताकत में कमी हो जाने पर। 
  6. कृमि संक्रमण में बस्ती कर्म के बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते है। 
  7. पेट का ट्यूमर  बस्ती कर्म से दूर हो जाता है. 
  8. शरीर में भारीपन को दूर करता है। 
  9.  पेशाब में जलन आती है तो बस्ती कर्म ले सकते है। 

बस्ती कर्म कब नही करवाना चाहिए -(Basti karma kab nahi karwana chahiye)

 अपच और कम पाचन

 यात्रा के कारण थकान

अधिक प्यास

थकान

क्षीण व्यक्ति (कमजोर व्यक्ति)

पानी पीने के तुरंत बाद

भोजन के सेवन के बाद

वमन चिकित्सा के बाद

बस्ती थेरपी के लाभ ( Benefits of Basti therapy)

  1.  शरीर से रुग्ण दोषों को बाहर फेंकना।
  2. उत्तेजित दोषों को शांत करता है।
  3.  दुर्बलता अथवा शारीरिक क्षीणता को कम करता है।
  4. पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता में सुधार करता है।
  5. आंखों को पोषण प्रदान करता है।
  6. अधिक उम्र तक जवान रखता है एवं त्वचा की रंगत को निखारता है।
  7. स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  8. जीवन काल को बढ़ाता है तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है।

बस्ती न केवल बीमारियों के इलाज के लिए फायदेमंद है, बल्कि कायाकल्प उपचार में भी बहुत फायदेमंद है। इतने सारे लाभों और उपचार क्षमता के कारण “बस्ती चिकित्सा को सभी उपचारों की जननी माना जाता है”। 

“Basti treatment is the mother of all treatments”

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Snehana basti in Ayurveda is a part of basti karma where the herbs or medicines used are lubricating in nature. Snehana basti is beneficial in lubricating the cells of the body.

Benefits of sneha basti includes –

It eliminates the doshas from the body and nourishes the body

It balances the vata dosha

It is beneficial in lower backache and pain caused due to gout and rheumatic disease

Benefits of panchakarma includes –

Throwing out the morbid doshas from the body.
Pacifies the aggravated doshas.
Emaciation
Putting on weight
Improves fertility in men and women
Provides nourishment to the eyes
Delays ageing and prevents premature greying
Enhances the skin color
Promotes health
Increases life span and
Improves the quality of life.

Basti is not only beneficial for treating diseases but is also highly beneficial in rejuvenating treatment. Because of so many benefits and healing ability the Basti therapy is considered mother of all treatments.