बच्चेदानी की टीबी का इलाज | गर्भाशय में टीबी के बाद भी माँ बनना संभव
मासिक धर्म, गर्भावस्था, प्रसव और मेनोपोज महिलाओं के जीवन का हिस्सा हैं, जो उन्हें पुरुषों से अलग बनाती हैं। ऐसे में उनकी बीमारियां और शरीर पर पड़ने वाला इसका प्रभाव भी अलग होता है। कई ऐसी बीमारियां भी हैं जो सिर्फ महिलाओं को प्रभावित करती हैं।
टीबी की बीमारी दुनिया की सबसे पुरानी बीमारी में से एक है। भारत मे अभी भी टीबी सबसे गंभीर समस्या बनी हुई है। हमे लगता है टीबी सिर्फ फेफड़ो में ही होती है, लेकिन यह दिमाग में और महिला के यूटरस में भी होती है। ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) यानी टीबी महिला के यूटरस को भी प्रभावित कर सकता है।
40 लाख से ज्यादा महिलाएं हर साल इस बीमारी का शिकार बनती है और उनमें से 20 लाख महिलाओं की मौत हो जाती है। इस बीमारी की चपेट में गर्भवती महिला भी आ सकती है। अक्सर देखा जाता है कि टीबी के बाद महिला को कंसीव करने में दिक्कत आती है और मासिक धर्म आना भी बंद हो जाते हैं।
एलोपेथी के मुकाबले आयुर्वेद में इसका सटीक इलाज मौजूद है जो इसे जड़ से खत्म करती है। आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे की तपेदिक (टीबी) क्या है? और बच्चेदानी की टीबी (गर्भाशय की टीबी) का आयुर्वेदिक उपचार कैसे होता है?
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बच्चेदानी की टीबी (गर्भाशय टीबी) क्या है?- What is uterine TB in Hindi
महिला जननांगों (Genitals) में टीबी की बीमारी होने के कारण गर्भाशय के पार्ट्स, फेलोपियन ट्यूब, गर्भाशय (Uterus), गर्भाशय ग्रीवा (uterine cervix) और योनि के आसपास मौजूद लिम्फ नोड्स (गांठ बनती है) प्रभावित होने लगते हैं।
यह मुख्य रूप से इंफेक्शन के कारण होता है। पुरुषों में, यह प्रोस्टेट ग्रंथि (Prostate Gland) और टेस्टीस (Testis) को प्रभावित कर सकता है। यह महिला और पुरुष दोनों में ही किडनी, मूत्राशय और मूत्रमार्ग को प्रभावित करता है। आजकल फेफड़ों के अलावा महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली टीबी के मामले भी काफी बढ़ रहे हैं।
बच्चेदानी की टीबी (Uterine Tuberculosis) होने से महिलाएं बांझपन का शिकार हो सकती हैं। यह रोग आम तौर पर इंफेक्शन फैलने का कारण है, जो हमारे शरीर के अन्य भागों के साथ, मुख्य रूप से फेफड़े प्रभावित करता हैं। जब फेफड़ों में इंफेक्शन होता है, तब इस बीमारी का पता लगाना आसान हो जाता है। देर होने पर बैक्टीरिया यूटरस पर अटैक कर सकते हैं, जिससे फेलोपियन ट्यूब को नुकसान पहुंचता है। इसके कारण इंफर्टिलिटी की समस्या भी सामने आती है।
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बच्चेदानी की टीबी के लक्षण- Symptoms of Uterine TB in Hindi
- पहले चरण में महिला जननांगों में टीबी के लक्षण नजर नहीं आते है। लेकिन कुछ महीने बाद इन निम्नलिखित लक्षणों को देखा जा सकता हैं-
- टीबी होने के सबसे आम लक्षणों में से एक पसीना आना है। महिलाओं में टीबी होने पर गर्मी हो या सर्दी हो उन्हे पूरे दिन पसीना आता रहता है। टीबी के मरीजों को अधिक ठंड होने के बावजूद भी पसीना आता है।
- जिन लोगों को फेफड़ों का टीबी हो, उनमें खांसी होना काफी आम है। ज्यादातर लोगों को फेफड़ों में ही टीबी होती है जिसकी शुरुआत खांसी से होती है, जिसके बाद बलगम और खून भी आने लगता है। इसलिए अगर आपको खांसी 2 हफ्ते से ज्यादा दिनों से है तो तुरंत अपना टीबी जांच करवा लें।
- टीबी के मरीजों को शुरू-शुरू में तो नॉर्मल बुखार आता है लेकिन इंफेक्शन बढ़ जाने पर बुखार तेज होता जाता है।
- टीबी में वजन का घटना सबसे आम लक्षणों में से एक है। महिलाओं को टीबी होने पर उन्हे भूख-प्यास नहीं लगती है जिसकी वजह से कमजोरी आने लगती है और वजन घटने लगता है।
- टीबी के मरीजों को हमेशा खांसी आती है जिसकी वजह से सांस लेने में तकलीफ हो जाती है और वो हमेशा खुद को थका-थका हुआ महसूस करती है, अधिक खांसी आने से सांस भी फूलने लगती है।
इसके अलावा महिलाओं में टीबी के और भी कई लक्षण शामिल हैं-
- वेजाइनल डिस्चार्ज आना
- पेट में नीचे की तरफ तेंज दर्द
- अनियमित पीरियड्स का होना
- हैवी ब्लीडिंग होना
- वजन का कम होना
- बुखार जैसा लगना
- दिल की धड़कन बढ़ जाना
- समभोग करते समय दर्द होना
फैलोपियन ट्यूब में टीबी के कारण- Causes of Uterine TB in Hindi
महिलाओं के प्रजनन प्रणाली में होने वाली टीबी की बीमारी जिसे पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस (Pelvic Tuberculosis) भी कहा जाता है एक गंभीर बीमारी मानी जाती है। ज्यादातर महिलाओं में यह समस्या इन्फेक्शन के कारण होती है। इस बीमारी की वजह से महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या भी होती है। जाने कैसे इन्फर्टिलिटी का कारण बन सकता हैं-
- खांसी-छींक से इन्फेक्शन फैलना
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना
- फेफड़ों से टीबी के जीवाणुओं का प्राइवेट पार्ट्स तक पहुंचना
- इम्यूनिटी कमजोर होना
- बच्चा पैदा करते समय इन्फेक्शन की चपेट में आना
- महिला का वजन कम होना
- दवा या शराब का सेवन
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प्रेग्नेंसी में कब होता है टीबी का खतरा- When is the Risk of TB in pregnancy in Hindi
अगर घर में किसी को टीबी या फेफड़ों से संबंधित बीमारी हो तो उनके लगातार संपर्क में रहने से गर्भवती महिला को टीबी हो सकती है।
- एचआईवी (HIV) के कारण टीबी के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
- प्रेग्नेंसी में कम वजन
- किसी दवा या शराब का सेवन करने वाली महिलाओं को भी इसका खतरा अधिक रहता है।
- कमजोर इम्युनिटी और लिवर, किडनी या फेफड़ों की किसी बीमारी से ग्रस्त महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा होता है।
बच्चेदानी की टीबी का निदान कैसे किया जाता है? – How is Uterine TB Diagnosed in Hindi
गर्भाशय टीबी होने के बाद कई तरह के सवाल आते है कि मुझे गर्भाशय की टीबी है तो क्या मैं गर्भवती हो सकती हूं या नहीं? और गर्भाशय टीबी का निदान कैसे किया जाता है?
- सबसे पहले ब्लड टेस्ट होता है।
- यूटरस की बायोप्सी की जाती है।
- जेनेटिक टेस्ट भी होता है।
इसके अलावा शरीर के किसी और पार्ट में टीबी का पता लगाने के लिए ट्यूबरकुलीन स्किन टेस्ट (Tuberculin skin test) किया जाता है। जिससे टीबी के इंफेक्शन का पता चलता है।
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बच्चेदानी की टीबी का आयुर्वेदिक इलाज- Ayurvedic Treatment of Uterine TB in Hindi
टीबी एक गंभीर बीमारी है जिसका जड़ से इलाज करना जरुरी है। आयुर्वेद के अनुसार, टीबी में शरीर का चयापचय निष्क्रिय होने लगता है जिसके कारण मेद, रस, रक्त, मम्सा (मांसपेशियों) और शुक्र (जनन ऊतक) धातु को नुकसान पहुंचता है। इन निम्नलिखित में पंचकर्मा से टीबी का आयुर्वेदिक इलाज जाता है। जैसे कि
- वमन: अयूर्वेद कहता है कि मौसम, रोगी, और रोग मरीज के अनुसार किया जाता है। ऑयलेशन और फॉमेंटेशन की मदद से विषाक्त पदार्थ को निकालने के लिए वमन का सहारा लिया जाता है। इस प्रक्रिया में आपको उल्टी करवाकर मुंह के दोष को बहार निकालना वमन कहलाया जाता है। वमन को कफ से जुड़ी समस्यओं के लिए समाधान माना जाता है। इस प्रक्रिया को तबतक किया जाता है, जबतक विषाक्त पदार्थ तरल के रुप में बाहर ना निकाल दें। वमन विधि से खासी, दमा, डायबीटीज, खून की कमी, मोटापे आदि जैसे रोगियों के लिए काफी असरदार है।
- विरेचन: इस प्रक्रिया में मलत्याग करने को विरेचन कहते है। इस प्रक्रिया में आंत से विषाक्त पदार्थ को बहार निकाला जाता है। इसमें भी ऑयलेशन और फॉमेंटेशन से गुजरना पड़ता है। विरेचन की प्रक्रिया में जड़ी-बूटी खिलाई जाती है। जिसकी मदद से आपके आंत से विषाक्त पदार्थ को बाहर निकालने का काम किया जाता है। जिनके शरीर में पित्त ज्यादा बनता है, उन लोगों के लिए काफी लाभदायक साबित होता है। इसलिए विरेचन को पित्त दोष का प्रधान चिकित्सा कहा जाता है।
- स्नेहन: इस प्रक्रिया में जड़ी बूटियों को गर्म औषधीय तेल में मिलाकर मालिश की जाती है। ये शरीर की छोटी नाडियों में भी मौजूद अमा को पतला कर करने में मदद करता है।
- स्वेदन: स्वेदन में कई तरीकों से शरीर पर पसीना लाया जाता है। ये अमा को साफ करने और दोष को संतुलित करने में मदद करता है। स्वेदन के निम्न प्रकार हैं: तप (यानी सिकाई करके): इसमें धातु की वस्तु, गर्म कपड़े या गर्म हाथों से शरीर को गरमाई दी जाती है।
सब तरह के फल सब्जियां खाएं- Eat all kinds of Fruits and Vegetables
अगर आपको टीबी की समस्या को जड़ से खत्म करना है तो हर तरह की फल सब्जियां खाएं। आप विटामिन-सी का सेवन ज्यादा करते है तो इससे टीबी का बैक्टेरिया जल्दी नष्ट होते हैं। इसके अलावा विटामिन- डी का सेवन भी करें जिससे बॉडी की इम्युनिटी बढ़ती है। इस दौरान धूम्रपान, शराब, कॉफी आदि से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा रिफाइन प्रोडक्ट जैसे शुगर, वाइट ब्रेड का सेवन कम से कम सेवन करें।
इन सभी चीजों का कनेक्शन शरीर में इंफेक्शन के बैक्टेरिया को बढ़ाता हैं। संतरा, आम, गाजर, अमरूद, आवंला, टमाटर, केला, अंगूर, खरबूजा जैसे फलों से टीबी के जीवाणुओं से लड़ने में मदद मिलती है। इसके अलावा शकरकंद, ब्रोकली जैसी सब्जियों में भी एंटी आक्सीडेंट पाया जाता है जो टीबी में फायदा करता है। लहसुन खाना टीबी के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है।
आखिर में आपको यही सुझाव देंगे की अगर आप ऐसी समस्या से जुझ रहे है तो कृपया उसे बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें, क्योंकि ऐसा करना आपके जीवन के लिए खतरनाक होता है। ये तरीका आपके रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है। इससे आपके शरीर और दिमाग पर तनाव के नकारात्मक प्रभावों को कम करती है। जिससे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
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इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे Dr. Chanchal Sharma की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।