बच्‍चेदानी में रसौली, fibroid in uterus symptoms

बच्‍चेदानी में रसौली (फाइब्रॉएड) होने पर कैसे बन सकती हैं मां?

एक उम्र के बाद महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसमें ज्यादातर महिलाओं को गर्भाशय संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। ज्यादातर महिलाओं को गर्भाशय में गांठ की समस्या का सामना करना पड़ता है। बच्चेदानी में रसौली (फाइब्रॉएड), यानी गर्भाशय में फाइब्रॉएड (fibroid) के रूप में हो सकती है। यदि किसी महिला के गर्भाशय में रसौली हो, तो वह मां बनने की क्षमता पर प्रभाव नहीं डालती है, लेकिन कुछ स्थितियों में गर्भाशय के रसौली कारण गर्भाशय की सामान्य कार्य प्रणाली में परेशानी पैदा कर सकती है।

फाइब्रॉएड होने पर कैसे बन सकती हैं मां?

बच्चेदानी में रसौली एक गैर-कैंसर कारी ट्यूमर होता है। रसौली के साथ मां बनने के संबंध में यह महत्वपूर्ण है कि रसौली की आकार, स्थिति और आकार क्या है और कैसे यह महिला के गर्भाशय के साथ प्रभावित हो सकती है। छोटी रसौलियाँ आमतौर पर कोई समस्या नहीं उत्पन्न करती हैं, लेकिन बड़े ट्यूमर गर्भाशय से जुड़ सकते हैं और गर्भधारण करने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। इससे प्रजनन क्षमता और गर्भधारण की संभावना प्रभावित हो सकती है। आज इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे की बच्‍चेदानी में रसौली के लक्षण और कारण के साथ साथ कैसे मां बन संभव हैं।  

 बच्‍चेदानी में रसौली लक्षण

शुरुवाती दौर में हो सकता है कि बच्चेदानी में गांठ में होने के कोई लक्षण दिखाई नहीं देते है। वहीं बच्‍चेदानी में रसौली के लक्षणों में शामिल हैं-

  • पीरियड्स के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव आना
  • मासिक धर्म के दौरान गंभीर दर्द
  • मासिक धर्म से पहले स्पॉटिंग 
  • ज्‍यादा ब्‍लीडिंग के कारण एनीमिया की समस्या होना
  • कई दिनों तक पीरियड्स रहना
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द व दवाब महसूस होना
  • कमर के निचले हिस्से में दर्द रहना
  • कब्ज की समस्या रहना
  • मिसकैरेज होना
  • बार बार पेशाब आना
  • वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज का आना
  • यौन संबंध बनाते समय दर्द होना
  • प्रजनन क्षमता में कमी यानी नि:संतानता कि समस्या उत्पन्न होना

बच्‍चेदानी में रसौली के कारण

ऐसा माना जाता है कि डॉक्टर निश्चित रूप से यह नहीं बता पाते हैं कि बच्‍चेदानी में रसौली का असली कारण क्या है। लेकिन शोध और अध्ययनों से पता चला है कि इसके पीछे कई कारण हैं। जैसे जेनेटिक परिवर्तन, हार्मोन में बदलाव, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन दो हार्मोन हैं जिनके कारण बच्‍चेदानी में Fibroids बढ़ने की कई घटनाएं सामने आई हैं। एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन बच्‍चेदानी में रसौली में पाए जाते हैं और ये दोनों सामान्य गर्भाशय की मांसपेशियों में भी पाए जाते हैं। आमतौर पर मीनोपॉज के बाद रसौली अपने आप सिकुड़ जाते हैं क्योंकि तब हार्मोन का स्राव कम हो जाता है।

बच्‍चेदानी में रसौली के बाद प्रेगनेंसी

2010 के एक शोध के मुताबिक, 10 से 30 फीसदी महिलाओं को बच्चेदानी में रसौली के कारण प्रेगनेंसी के दौरान मुश्किल होती हैं। गर्भाशय में रसौली होने पर महिलाओं को बेहद दर्द का सामना करना पड़ता है। दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान महिलाओं में 5 सेंटीमिटर से बड़ी रसौली देखी जाती है। 

बच्चेदानी में रसौली होने के कारण गर्भाशय में भ्रूण के लिए जगह कम बचती है जिससे शिशु का विकास बधित है। रसौली के कारण प्लेसेंटा ब्लॉक हो जाती है गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाती है। इससे शिशु को जरुरी पोषण और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। 

रसौली में दर्द की वजह से गर्भाशय में संकुतन आ सकता है जिससे जल्दी डिलिवरी हो सकती है। इससे सिजेरियन डिलिवरी का खतरा 6 गुणा तक बढ़ सकता है ऐऔर नवजात शिशु डिलिवरी के समय उल्टा हो सकता है। इसके अलावा मिसकैरज की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है। 

एक्सपर्ट का कहना है कि अधिकतर मामलों गर्भवस्था में रसौली का आकार बढ़ता नहीं है। गर्भावस्था की पहली तिमाही में रसौली का एक तिहाई हिस्सा बढ़ सकता है। एस्ट्रोजन हार्मोन नियोप्लाज्म पर प्रभाव डाल सकता है। गर्भावस्था के दौरान एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे नियोप्लासिया का खतरा बढ़ सकता है। 

​क्‍या रसौली के साथ मां बन सकते हैं?

डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि बच्‍चेदानी में रसौली होने पर भी महिलाएं नैचुरली कंसीव कर सकती हैं। हो सकता है कि इसमें कंसीव करने के लिए किसी ट्रीटमेंट की जरूरत न पड़े। लेकिन अगर आपको ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है तो आयुर्वेद का सहारा लें सकते है।  

आयुर्वेद में बच्चेदानी में रसौली (गर्भाशय की गांठ) के इलाज के लिए कई प्राकृतिक और आहार-विचार संबंधित उपाय हैं। प्राकृतिक औषधियाँ और पौधों से बनी औषधियाँ इस समस्या के इलाज में मदद कर सकती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले विशेष आहार और योगाभ्यास भी महिलाओं के गर्भाशय स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक हो सकते हैं। हालांकि, हर मामले में यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि आप एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श लें और उनके मार्गदर्शन में इलाज करें।

इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। अगर आपको लेख पसंद आया तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं। ऐसे ही और इंफॉर्मेटिव ब्लॉग पोस्ट के साथ आपसे फिर मिलेगे। इस विषय से जुड़ी या अन्य TUBAL BLOCKAGE, PCOD, PCOS, हाइड्रोसालपिनक्स किसी तरह का संक्रमण के उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। तो हमारे DR. CHANCHAL SHARMA की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।

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