वैरीकोसेल के कारण और लक्षण, उपचार – Ayurvedic Treatment for Varicocele
सुख हाल दंपत्य जीवन के लिए पति-पत्नी को मिलना बहुत ही आवश्यक माना गया है परंतु कुछ प्रजनन संबंधी समस्याओं के कारण ऐसा संभव नही हो पाता है जिसके कारण वह संतान सुख पाने में असक्षम हो जाते है। आज एक ऐसी ही पुरुष प्रजनन से संबंधित समस्या के बारे में चर्चा कर रहे है जिसका नाम है वैरीकोसेल। कैसे होता है वैरीकोसेल ?
जब किसी पुरुष के अंडकोष की थैली के नसों में सूजन आ जाती है और इस सूजी हुई नसों के कारण प्रजनन संबंधी कोई संक्रमण होता है तो उसे वैरीकोसेल कहते है। वैरीकोसेल बांझपन की समस्या का एक मुख्य कारण माना जाता है। स्वास्थ्य सलाहकारों का कहना है कि यह समस्या 15 से 35 वर्ष के पुरुषों में अधिकांशः देखने को मिलती है। वैरीकोज की नसों में वाल्ब पाये जाते है, जिनका मुख्य कार्य होता है Testicle and scrotum की मदद से रक्त को हार्ट तक पहुँचाना। परंतु यह वाल्ब जब कार्य करने में शिथिल हो जाते है है तो रक्त एक ही जगह पर ठहर जाता है। जिसकी वजह से Scrotum के आसपास सूजन होने लगती है। इसी समस्या को वैरीकोसेल के नाम से जानते है।पुरुषों में वैरीकोसेल की समस्या की वजह से 40 प्रतिशत इनफर्टिलिटी की संभावना होती है। वैरिकोसेले प्रजनन चिकित्सा पद्धति में एक आम समस्या है।
वैरीकोसेल दो प्रकार के होते है। एक होता है शंट टाइप वैरीकोसेल जिसमें शुक्राणुओं की नसों तथा अंडकोष की नसों में समस्या होती है। दूसरा होता है प्रेशर टाइप वैरोकोसेल इनमें शुक्राणुओं की नसों में रक्त भर जाता है जिससे अंडकोष में सूजन आ जाती है।
वैरीकोसेल के लक्षण (varicocele ke lakshan)
बैरीकोसेल के वैसे तो कोई लक्षण नही परंतु यदि जब पुरुष के प्रजनन अंग शुक्राणु उत्पादन में सहायक न हो और साथ में शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी, गतिशीलता में कमी हो जाती है जिसके कारण पुरुष निःसंतानता का शिकार हो सकता है। वैरीकोसेल के बारे में तब पता चलता है जब कोई पुरुष की प्रजनन क्षमता में कमी महसूस करता है।
- अंडकोष में भारीपन होना।
- अंडकोष को सुस्त पड़ जाना तथा दर्द महसूस होना।
- प्रजनन क्षमता में कमजोरी आना।
- अंडकोष के आकार का बढ़ना ।
वैरीकोसेल के कारण (varicocele ke karan)
आयुर्वेद के अनुसार वैरीकोसेल का कारण आज की जीवनशैली तथा दूषित खानपान है जिसके कारण इस तरह की समस्याएं जन्म लेती है। इसके अतिरिक्त भी कुछ संभावित कारण है जिसकी वजह से वैरीकोसेल की समस्या होती है। अंडकोष में एक शुक्रगंथि होती है जो रक्तवाहिनी के माध्यम से रक्त का संचार करती है । यदि शुक्रगंथि की क्षमता कमजोर हो जाती है तो रक्त का संचार ठीक प्रकार से नही होता है। कुछ संभावित कारण इस प्रकार से है –
- अंडकोष की नसों के वाल्ब कार्य करने में असमर्थ हो जाते है।
- नसों में रक्त का संचार अच्छे से नही हो पाता है।
- शिराओं में रक्त का थक्का या फिर ठहराव (जमाव) होने लगता है।
- लसिका ग्रंथि में सूजन आना।
- अंडकोष की नसों में सूजन इत्यादि।
वैरीकोसेल की आयुर्वेदिक दवा (varicocele ayurvedic dawa)
वैरीकोसेल के उपचार में कुछ ऐसी प्रभावी आयुर्वेदिक औषधि है जिसके सेवन चिकित्सक के अनुसार करें तो इस समस्या से निजात पायी जा सकती है।
- जैतून का तेल
- लहसून
- अखरोट
- अजमोद
वैरीकोसेल का आयुर्वेदिक उपचार (Varicocele ka ayurvedic upchar in Hindi)
आयुर्वेदिक औषधियां वैरीकोसेल के दर्द को दूर करती है और तीनों दोषों (कप दोष, वातदोष,पित्तदोष) को संतुलित करने में मदद करती है। प्राकृतिक हर्बल सामग्री से शरीर के detoxification किया जाता है। इन आयुर्वेदिक उपचारों को नसों की लोच को मजबूत करने के लिए जाना जाता है। आयुर्वेदिक शास्त्रों में नसों या सिरा ग्रन्थि में सिस्टिक सूजन का उल्लेख किया गया है जो कि वैरिकोसेले के बहुत निकट पाये जाते हैं। वे विशेष रूप से विभिन्न कारणों और वैरिकोसेले के लक्षणों के लिए उपचार का उल्लेख करते हैं।
वायु दोष को कम करने के लिए के लिए आयुर्वेद उल्टी चिकित्सा (वमन) उपचार शामिल हैं
1. औषधीय तेलों और घी का उपयोग
2. मेडिकेटेड फ़ोमेंटेशन / स्टीम थेरेपी
3. औषधीय काढ़े इत्यादि।
पंचकर्म चिकित्सा से वैरीकोसेल का उपचार (panchkarma se varicocele ka upchar)
पंचकर्म की विशेष चिकित्सा पद्धति विरेचन को वैरिकोसेले के लिए बेहद प्रभावी उपचार माना जाता है। यह विशेष रूप से दर्द, सूजन, संचय, ठहराव और रक्त से संबंधित मुद्दों को ठीक करता है। यह बांझपन को रोकने के लिए शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है।
वैरिकोसेले के गंभीर और पुराने मामलों में पंचकर्म चिकित्सा प्राकृतिक रुप से लाभकारी है। वैरीकोसेल की बीमारी को आयुर्वेदिक उपचार द्वारा प्रभावी रूप से ठीक किया जा जाता है।
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