बच्चेदानी में गांठ या रसौली का आयुर्वेदिक इलाज – डॉ चंचल शर्मा
आज के समय में अनुचित खान-पान और अव्यस्थित दिनचर्चा ने महिलाओं के हार्मोन संतुलन को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। जिसके कारण उनको परिवार बनाने में कभी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा आजकाल महिलाएं को बच्चेदानी से संबंधित बहुत सारी परेशानी घेरे रहती है । जिससे वह वह आसानी से संतान सुख प्राप्त नही कर पा रही हैं। बच्चेदानी में गांठ (रसौली) एक ऐसी प्रजनन से जुड़ी समस्या है। जो महिलाओं को माँ बनने से रोक रही है। महिलाओं के गर्भाशय में गांठ की समस्या कुछ वर्षों से ज्यादा दिखने को मिल रही है। जिसे मेडिकल कल की भाषा में गर्भाशय की रसौली के नाम से भी जानते हैं।
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बच्चेदानी या गर्भाशय में गांठ होने के कारण –
बच्चेदानी में गांठ के लिए बहुत सारे कारण जिम्मेदार होते है। जो बच्चेदानी में गांठ निर्माण की वजह बनते हैं।
- आयुर्वेद के अनुसार गर्भाशय में गांठ के प्रमुख घटक आहार-विहार एवं जीवनशैली की अनियमितता है। जिसके कारण प्रजनन संबंधी समस्याएं पैदा होती है। और उन्हीं में से एक है, गर्भाशय की गांठ (रसौली)।
- आयुर्वेद कहता है। कि यदि कोई महिला बहुत अधिक समय तक किसी एक विशेष रस (रस प्रधान) भोज्य पदार्थ जैसे – अधिक खट्टे फल, ज्याता तीखा भोजन और मसालेदार भोजन का सेवन करती है। तो गर्भाशय की रसौली जैसी प्रजनन समस्याएं देखने को मिल सकती है।
- मासिक धर्म चक्र का अनियमित होना भी गर्भाशय की रसौली का एक प्रमुख कारण होता है।
- यदि महिलाएं अधिक उम्र मं गर्भधारण करने की कोशिश करती हैं। तो भी बच्चेदानी में समस्या हो सकती है।
- गर्भाशय की रसौली के पीछे एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेऱॉन के अंसंतुलन की भूमिका प्रमुख होती है।
- सफेद पानी की समस्या (श्वत प्रदर ) या रक्त प्रदर भी एक कारण हैं।
- असुरक्षित यौन संबंध, अत्यधिक एवं अप्राकृतिक यौन गतिविधियां भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।
गर्भाशय में गांठ (रसौली) के लक्षण –
महिलाओं में रसौली या गर्भाशय की गांठ एकाएक नही बन जाती है। यह हार्मोन असतुलन होने के कारण धीरे-धीरे वृद्धि करती रहती है। जिससे तुरंत इसके लक्षण सामने नही आ पाते हैं। परंतु कुछ महिलाओं में यदि इस तरह के लक्षण नजर आते हैं। तो आप बच्चेदानी में गांठ के संकेत के रुप में पहचान सकते हैं।
- यदि सामान्य से ज्यादा मासिक धर्म के दौरान ब्लीडिंग होती है। जिससे महिलाओं में रक्त की कमी हो जाती है और मासिक धर्म के दौरान अधिक दर्द भी महसूस होता है।
- अधिकांश बार ऐसा भी होता है । कि मासिक धर्म समय के पहले या फिर बाद में भी आते हैं। तथा रक्त में काले दब्बे भी दिखाई पड़ते है।
- पेल्विक एरिया और कमर में अधिक दबाव के साथ-साथ मरोड़ भी होता है।
- संबंध बनाने समय अधिक दर्द और भारीपन भी होता है।
- पेशाब से संबंधिक कुछ समस्याएं भी होती है। जैसे – बार-बार पेशान करने की इच्छा होना, और कभी कभी मूत्रमार्ग में अवरोध जैसी दिक्कतें भी होती है।
बच्चेदानी में गांठ (रसौली) का आयुर्वेदिक उपचार –
आयुर्वेद चिकित्सा में सबसे पहले महिला के उम्र, विवाहित, अविवाहित, गर्भवती हो चुकी है या नही इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए औषधियों एवं पंचकर्म चिकिस्का का निर्णय लिया जाता है। ताकि जल्द से जल्द महिला को बीमारी से छुटकारा मिल सके।
आयुर्वेद में रसौली के उपचार हेतु कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक सर्व प्रथम आयुर्वेदिक औषधियों के माध्यम से ही प्रजजन के रोग को ठीक करने का प्रयास करते है और साथ ही संतुलित जीवनशैली और उचित खानपान की सलाह देते है। आयुर्वेद में भोजन को औषधि माना जाता है इसलिए डाइट को लेकर आयुर्वेद में विशेष नियमों का पालन करना होता है। डाइट और एक्सरसाइज बीमारी से मुक्त करने में एक अहम भूमिका अदा करते हैं।
आयुर्वेद की औषधियां जो गर्भाशय की रसौली को ठीक करने में मदद करती हैं-
यह औषधियां निम्न प्रकार है। जो बच्चेदानी को गांठ से छुटकारा दिलाती हैं।
- चन्द्रकला रस
- अशोल और रजःप्रवर्तनी वटी
- दशमूलरिष्ट एवं रजोदोषहर वटी
- अशोकारि्ष्ट
- अभ्रक और त्रिफला क्वाथ
- गंडमाला
- कांचनाल गुग्गुल
- वैक्रान्त भस्म
- शिवा गुटिका
- शतपुटी और पुनर्नवा मण्डूर इत्यादि औषधि आयुर्वेदिक चिकित्सक मरीज की प्रकति के अनुसार प्रयोग में लाते हैं।
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गर्भाशय की गांठ (बच्चेदानी की गांठ) के घरेलू उपाय –
बच्चेदानी की गांठ को ठीक करने के लिए कुछ ऐसे खास घरेलू उपाय है। जिनको आप किसी अनुभवी आुर्वेदिक चिकित्सक के देखरेख में कर सकते है।
- योग एवं व्यायाम – हर किसी के लिए योग करना अनिवार्य हो गया है। क्योंकि आज कल हर कोई ऑफिस जॉव या फिर गतिहीन जीवनशैली को जी रहा है। ऐसे में अधिकांश लोगों का शारीरिक व्यायाम या शारीरिक श्रम बिल्कुल भी नही होता है। जिससे शरीर में अधिक मोटापा और हार्मोन संतुलन खराब हो जाता है।
- बैलेंस डाइट – हमारे शरीर में भोजन की सबसे बड़ी भूमिका होती है। इसलिए हमेशा महिलाओं एवं पुरुषों को संतुलित आहार लेना चाहिए। जिससे शरीर के हार्मोन और वात, पित्त एवं कफ दोष संतुलित रहें।
रसौली एवं गर्भाशय की गांठ से जुड़ी यह खास जानकारी आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से विशेष चर्चा के दौरान प्राप्त हुई है।