ओलिगोस्पर्मिया के घरेलू उपाय – Oligospermia ke Gharelu Upay Oligospermia ओलिगोस्पर्मिया – वर्तमान समय में पर्यावरणीय प्रदूषण इतना अधिक बढ़ रहा है जिससे न जाने कितने प्रकार की बीमारियाँ जन्म ले रही है। खराब पर्यावरण के कारण शुक्राणुओं की संख्या कमी होने लगी है। औद्योगिक प्रदूषण,जीवनशैली,धूम्रपान और अधिक वजन के कारण हार्मोनल असंतुलन होते जा रहे है, जिससे पुरुष वीर्य बहुत अधिक प्रभावित हो रहा है। जब पुरुष के वीर्य में शुक्राणु की संख्या कम हो जाती है तो उसे ओलिगोस्पर्मिया कहा जाता है। ओलिगोस्पर्मिया पुरुषों में बांझपन के सामान्य कारणों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के…
पुरुष स्वास्थ्य के घरेलू उपाय – Men’s Health पुरुष स्वास्थ्य (Men’s Health) – हम आप में से अधिकांश लोग स्वास्थ्य का मतलब यह समझते है कि हमारे शरीर में कोई भी बीमारी या रोग न हो। परन्तु यदि हम संपूर्ण स्वास्थ्य की बात करें तो इसके विभिन्न चरण होते है। स्वस्थ रहने का मतलब है कि जीवन में आने वाली शारीरिक, मानसिक, सामाजिक बाधाओं का सामना करने के लिए तैयार रहे । यही असली स्वास्थ्य की परिभाषा है। आज के समय में खुद को स्वस्थ रखने के लिए बहुत सारी टेक्नोलॉजी उपलब्ध है, परंतु फिर भी यह उतनी कामयाब नही…
LOW AMH (लो एएमएच) का घरेलू उपाय – LOW AMH ka Gharelu Upaay LOW AMH – वर्तमान समय की लाइफस्टाइल ने पूरा जीवन बदल कर रख दिया है। जीवनशैली के इस बदलाव के कारण ही शरीर में होने वाले परिवर्तन समय के पूर्व ही देखने को मिल रहे है। खानपान और दिनचर्या के कारण ही स्त्रियों का ओवरियन रिजर्व समय के पूर्व ही कम हो जाता है। महिलाओं की उम्र जैसे ही बढ़ती जाती है ठीक उसी प्रकार उनके अंडाशय में अंडो की संख्या भी कम होती जाती है इसी कम होती संख्या को ही लो एएमएच (AMH) कहते है।…
पीसीओएस/पीसीओडी का घरेलू उपाय – PCOS/PCOD ka Gharelu Upaay पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (PCOD), जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) भी कहा जाता है। पीसीओएस की समस्या 12 से 45 वर्ष की आयु की महिलाएं 10% तक प्रभावित होती है। यह महिलाओं में होने वाली एक आम समस्या है जिससे फीमेल बॉडी के हार्मोन असंतुलित हो जाते है। पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज मासिक धर्म की समस्याओं का कारण बन सकता है। जिससे महिला को गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। PCOS की समस्या से मासिक धर्म प्रभावित हो सकता है और साथ ही मुंहासे, चेहरे पर बालों का बढ़ना, वजन बढ़ना और आँखों…
एंडोमेट्रियोसिस का घरेलू उपचार – Endometriosis Home Remedies in Hindi महिलाओं में होने वाली एंडोमेट्रियोसिस Endometriosis एक ऐसी बीमारी है जोकि धीरे-धीरे एक गंभीर समस्या का रुप धारण करती जा रही है। एंडोमेट्रियोसिस की बीमारी का सीधा संबंध महिलाओं के पेट से होता है क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा महिलाओं के पेट में पीड़ा (pain) होती है। “वैश्विक स्तर के आंकड़े बताते है कि लगभग 40 फीसदी महिलाओं को गर्भधारण में परेशानी आती है”। एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis) से जुड़े शोधकर्ताओं का मानना है कि फैलोपियन ट्यूब की सूजन के कारण शुक्राणु और अंडे को भारी मात्रा में नुकसान होता है और फैलोपियन ट्यूब…
फैलोपियन ट्यूब खोलने के घरेलू उपाय – Fallopian Tubal ke Gharelu Upay महिलाओं में निःसंतानता के जितने भी भी कारण होते है उनमें से 25% से 35% मामलों में फैलोपियन ट्यूब मुख्य कारण के रुप में उभर कर आता है। महिला जननांग का एक बहुत ही इंपोर्टेंट भाग होता है। प्रत्येक महिला में दो ट्यूब होती है। यह एक तरफ से गर्भाशय से जुड़ी होती है तथा दूसरी ओर से यह अंडाशय से जुडी होती है। ट्यूब के कोई ऐसे लक्षण नही होते है जिसके आधार पर पता चल सके की ट्यूब ब्लॉकेज है। ब्लॉकेज की जानकारी तभी पता चल…
महिला निःसंतानता के घरेलु उपाय – Female Infertility Treatment in Hindi महिला बांझपन (Female Infertility) – शादीशुदा जीवन के बाद लोगों की अक्सर यही चाहत होती है कि उनका भी परिवार हो और उनका वंश भी आगे बढ़े परंतु कुछ आज की भागदौड़ वाली जिंदगी में सभी लोगों की चाहत पूरी नही हो पाती है। आज कुछ घरेलू उपायों के बारे में चर्चा करेंगे जो आपकी फर्टलिटी क्षमता बढ़ाने में सहायक होंगे। गर्भवती होना जीवन का सबसे सुखद पल होता है, परंतु जब यह संभावना कम हो जाती है या या फिर बिल्कुल भी नही होती है तो गर्भ धारण…
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही – Third Trimester of Pregnancy Third Trimester of Pregnancy गर्भावस्था की तीसरी तिमाही – के दौरान भ्रूण का विकास तेजी से जारी रहता है। इस दौरान आपका बच्चा अपनी आँखें खोलेगा, अधिक वजन हासिल करेगा, और प्रसव के लिए तैयार होगा। तीसरी तिमाही आपकी गर्भावस्था की अंतिम तिमाही होती है। इस तिमाही के अंत तक आप अपने शिशु से मिलने के लिए उत्सुक होंगी है। गर्भास्था की तीसरी तिमाही की शुरुआत 28 वें सप्ताह से लेकर 40 वें सप्ताह तक होती है। तीसरी तिमाही गर्भवती महिला के लिए काफी चुनौती पूर्ण अवस्था होती है। तीसरी तिमाही…
प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही में आयुर्वेद – Second Trimester of Pregnancy in Ayurveda (Second Trimester of Pregnancy) गर्भवस्था की दूसरी तिमाही – अर्थात 12 या 13 सप्ताह पूर्ण होने के बाद जैसे ही 14 सप्ताह प्रारंभ होता है तो गर्भवती महिला की दूसरी तिमाही (second trimester) शुरु हो जाती है। गर्भवती महिला के गर्भकाल को तीन चरणों में बाँटा गया है। गर्भवती महिला की जब दूसरी तिमाही शुरु होती है तो पहली तिमाही में होने वाली काफी परेशानियों से निजात मिल सकती है। गर्भावस्था की दूसरी तिमाही पहली तिमाही की अपेक्षा सुखद अनुभव देने वाली होती है। इस तिमाही में…