अस्थानोजोस्पर्मिया का आयुर्वेदिक उपचार – Asthenospremia Treatment in Hindi
Asthenospremia Treatment एक प्रकार का पुरुष शुक्राणु में होने वाला विकार है जिसके कारण शुक्राणु की गतिशीलता कमजोर हो जाती है। अस्थानोजोस्पर्मिया से तात्यपर्य है कि जब पुरुष संबंध के बाद स्खलित होता है उस दौरान उसके वीर्य के शुक्राणुओं की गति में कमी पाई जाती है।
इसी समस्या को मेडिकल की भाषा में अस्थानोजोस्पर्मिया कहते है। अस्थानोजोस्पर्मिया (Asthenospremia) की बीमारी से पीड़ित पुरुष के शुक्राणु सामान्य गति से साथ आगे बढ़ने में सक्षम नही हो जाते है जिससे निषेचन की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है। निषेचन की प्रक्रिया पूर्ण न हो पाने के कारण बांझपन के मामलो में तेजी से वृद्धि देखने को मिलती है।
अस्थानोजोस्पर्मिया होने के कई कारण जिम्मेदार होते है। यदि आपके अंदर बुरी आदते जैसे धूम्रपान, शराब सिगरेट का सेवन इत्यादि है तो आपके शुक्राणुओं में गति शीलता नही होती है जोकि अस्थानोजोस्पर्मिया का कारण है।
इसके अतिरिक्त व्यायाम की कमी, विटामिन की कमी, तनाव, अधिक थकावट तथा संक्रमण जैसी बीमारियों से भी अस्थानोजोस्पर्मिया की समस्या हो सकती है।
अस्थानोजोस्पर्मिया के लक्षण – Asthenospremia ke Lakshan
अस्थानोजोस्पर्मिया के लक्षणों की बात करें तो इसके कुछ सामान्य से लक्षण है जिनके संकेतों के आधार पर इसका पता लगाया जाता है। किसी पुरुष में अस्थानोजोस्पर्मिया के लक्षण तब दिखने शुरु हो जाते है उसकी प्रजनन कोशिकाओं की गुवत्ता में खरानी आनी शुरु हो जाती है।
- यौन गतिविधियों में कमी आना।
- लिंग का सख्त न हो पाना।
- वृषण के आप पास दर्द बना रहना।
- कामेच्छा में गिरावट आना।
- शीघ्र स्खलन हो जाना।
अस्थानोजोस्पर्मिया के कारण – Asthenospermia ke kaaran
शुक्राणु उत्पादन की कमी के कई है। जब किसी पुरुष के शुक्राणुओं में गतिहीनता आ जाती है तो वह संतान पैदा करने में असमर्थ हो जाता है। अस्थानोजोस्पर्मिया के ऐसे बहुत से कारण है जिसकी वजह से शुक्राणु अपनी गति खो देते है।
- व्यायाम की कमी।
- अधिक धूम्रपान का सेवन
- मोटापे के कारण भी अस्थानोजोस्पर्मिया हो सकता है।
- संक्रमण एवं लम्बे समय के तनाव के कारण भी आपके शुक्राणु प्रभावित हो सकते है।
- वृषण क्षेत्र का तापमान अधिक होनेे पर भी शुक्राणु गतिहीन हो सकते है।
अस्थानोजोस्पर्मिया का आयुर्वेदिक उपचार – Asthenospermia ka Ayurvedic Upchar
अस्थानोजोस्पर्मिया का सफल इलाज केवल आयुर्वेदिक पद्धति में ही क्योंकि वीर्य उत्पादन में वृद्धि संतुलित खानपन तथा जीवनशैली में सुधार के द्वारा ही संभव हो सकता है। आयुर्वेद सबसे पहले खान पान एवं जीवनशैली सुधार में ही जोर देता है इसलिए आयुर्वेदिक चिकित्सा इस तरह की बीमारियों को ठीक करने के लिए सबसे प्रभावी मानी जाती है।
1. अस्थानोजोस्पर्मिया की समस्या को दूर करने के लिए आयुर्वेद सबसे पहले जीवन शैली और भोजन पर ध्यान देता है। बुरी आदते हमारे पूरे शरीर पर बहुत ही गहरा असर छोड़ती है, जिससे पुरुष की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
2. आयुर्वेद की पंच कर्म थेरेपी के द्वारा शुक्राणु की मात्रा तथा गतिशीलता दोनों में वृद्धि होती है।
3. उत्तरबस्ती थेरेपी से शुक्राणुजन्य गतिशीलता को मदद मिलती है।
4. वमन तथा विरेचन थेरेपी के माध्यम से शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
अस्थानोजोस्पर्मिया की आयुर्वेदिक दवाएँ – Asthenospermia Ki Ayurvedic Dawai
आयुर्वेद में कुछ ऐसी प्रभावी औषधियां है जिसके नियमित सेवन करने से आप Asthenospermia की समस्या से छुटकारा पा सकते है। यह आयुर्वेदिक औषधियाँ पूर्ण कारगर तथा लाभकारी होती है जो Asthenospermia के लक्षणों को कम करके शुक्राणु उत्पादन में मदद करती है ।
- अश्वगंधा
- शतावरी
- गिलोय
- त्रिफलाघृत
- अलसी के बीज
- जायफल
- गोखूरु
- अजवाइन