सक्सेस स्टोरी : अपराजिता के माँ बनने की कहानी
आज हम जानेंगे अपराजिता के माँ बनने की सक्सेस स्टोरी: एक 30 वर्षीय महिला शादी के बाद अपने शरीर में कई बदलाव महसूस करती है, और उन बदलावों से होने वाली समस्याओं के बोझ तले दब गई जो उसके मां बनने के सपने में बाधाएं ला रहा था। अपराजिता बार बार मिसकैरेज होने की समस्या से जूझ रही थी की पता ही नहीं चला की कब उनके मां बनने के सपने में एक और बाधा सामने आ गई। क्या अब अपराजिता अपने मां बनने के सपने को पूरा कर पाएगी या नहीं चलो पता करते हैं।
नाम : अपराजिता
उम्र : 30 साल
राज्य : रांची, झाड़खंड
पढ़ाई : (MBA in Marketing) IIM Indore
बीमारी : Tubal Blockage and Recurrent Miscarriage
ठीक होने का समय : 4 months
Aprajita ki Success Story
अपराजिता नये जमाने की शादीशुदा महिला है जो टेक महिंद्रा में काम करती है। झाड़खंड के शहर रांची की रहने वाली है और इनकी शादी को 5 साल बीत चुके है। लेकिन अपराजिता मातृत्व सुख से कोसो दूर थी। शादी के डेढ़ साल बाद से अपराजिता और उनके पति दोनों ही बेबी प्लान करने की कोशिश कर रहे थे। और पहली बार तो नेचुरली कंसीव हो गया था, अपराजिता और उनके पति दोनों ही बहुत खुश थे।
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लेकिन एक हफ्ते के बाद उनकी खुशी दुख में बदल गई जब अपराजिता का मिसकैरेज हो गया। और उस मिसकैरेज के बाद अपराजिता बहुत ही उदास रहने लगी थी। उस समय अपराजिता बच्चे को लेकर इतना इच्छुक नहीं थी, पर एक बार मिसकैरेज होने के बाद फिर से उन्हें जल्दी बच्चा होने की चाह होने लगी।
अपराजिता ने दुबारा की कंसीव करने की कोशिश
अपराजिता ने फिर से कंसीव करने की कोशिश की थी, लेकिन वह उसमें असफल रहीं। जिसके बाद दो-तीन महीने के बाद वह डॉक्टर के पास गई। डॉक्टर ने अपराजिता को कुछ टेस्ट करवाने के लिए सलाह दी। उन टेस्ट में अपराजिता को पता चला की दोनों ट्यूब ही ब्लॉक है।
एलोपैथी में केवल आईवीएफ ही विकल्प बचा- अपराजिता
अपराजिता का कहना था की “एलोपैथी में तो केवल ही केवल आईवीएफ ही विकल्प बचा था। आईवीएफ हम अफ्फोर्ड नहीं कर सकते थे और उसके अलावा लेप्रोस्कोपी में भी चांसेस काफी कम थे।” जिसके बाद उन्होंने कई और विकल्प की तलाश करी।
एलोपैथी में नहीं था वो आयुर्वेद में है संभव
कई विकल्प तलाशने के बाद अपराजिता ने पाया की एलोपैथी के अलावा मेरी समस्या का समाधान मिल सकता है। उनका कहना था कि “मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की जिसका इलाज एलोपैथी में नहीं था वो आयुर्वेद कर सकती है।” मैंने यूट्यूब के जरिए आशा आयुर्वेदा के बारे में जाना की बिना सर्जरी के भी नेचुरल कंसीव किया जा सकता है।
अपराजिता का कहना था कि मैं जब 2020 यहां आई थी तो कितने नये और पुराने पेशेंट थे जिनसे मैंने बात करी। और उन सभी से बात कर मुझे इतनी 60% पॉजिटिविटी महसूस हुई और डॉकटर चंचल शर्मा से बातकर के मुझे 100% विश्वास हो गया था की मैं नेचुरली कंसीव करके मां बन सकती हूं। उनसे मिलकर इतने समय से जो मैं अंदर से दुखी और उदास महसूस कर रही थी वह सभी तरह की परेशानी दूर हो गई थी। मैं बहुत ही पॉजिटिव महसूस कर रही थी।
आयुर्वेद इलाज से कुछ महीनों में बनी मां
फर्टिलिटी डॉक्टर चंचल शर्मा ने मुझे आयुर्वेद मेडिसन दिया था और अगले महीने HSG टेस्ट करवाकर आना तुम्हारी ट्यूब खुल जाएंगी। और ऐसा हुआ भी अपराजिता ने बताया की मेडिसन लेने के बाद अगले महीने टेस्ट में उनकी एक ट्यूब ओपन आई। फर्टिलिटी डॉक्टर ने उन्हें अगले महीने थेरेपी करवाने के लिए बुलाया फिर लॉकडाउन लग जाने के वजह से क्लिनिक नहीं आ पाई।
लॉकडाउन के उस अंतराल में अपराजिता ने एक ट्यूब से तीन बार कंसीव किया और तीनों बार मिसकैरेज हो गया। और फिर से मेरा मां बनने का सपने में अर्चने आने लगी थी। 2021 में एक बार फिर अपराजिता Aasha ayurveda में अपना ट्रीटमेंट करवाने के लिए आई। दो महीने की मेरी थेरेपी थी।
फरवरी के आखिरी महीने में डॉक्टर ने मुझे कंसीव करने की सलाह दी। फरवरी और मार्च मुझे कंसीव नहीं हुआ, लेकिन अप्रैल में मुझे कंसीव पर दुर्भाग्य से मेरी किस्मत वहां भी धोखा खा गई। जिस दिन अपराजिता को पता चला की कंसीव हुआ है उसी दिन उनको यह भी पता चला है कि कोविड-19 पॉजिटिव भी है।
उस समय अपराजिता बहुत घबराह गई थी और डॉक्टर चंचल शर्मा से बात करने पर उनको आश्वासन मिला की “बस तुम मेरी सालह मानते जाओ मैं दोनों को बचा लूंगी। कुछ नहीं होगा तुम दोनों को।” अपराजिता का कहना था कि मैंने कोविड में भी कोई एलोपैथी मेडिसन नहीं ली, सिर्फ 10 दिनों में आयुर्वेदिक मेडिसन से कोविड-19 kr रिपोर्ट नेगेटिव आई।
प्रेगनेंसी में आने वाली समस्याओं में काम आया आयुर्वेद
प्रेगनेंसी में जब पहला अल्ट्रासाउंड हुआ तब बेबी की दिल की धड़कन नहीं आई थी जो हमेशा होता था। यह खबर सुनकर उस वक्त अपराजिता बहुत ही निराश हो गई थी। डॉक्टर चंचल से जब अपराजिता ने बात करी तो मैम का कहना था की इंतजार करों बुखार था तो इसलिए हो सकता है कि समय लग जाए। और दस दिन बाद जब अपराजिता अल्ट्रासाउंड के लिए गई थी तो उनको लग रहा था की इस बार भी कुछ रिजल्ट नहीं मिलेगा।
लेकिन फिर भी अपराजिता निराश नहीं थी और वह जानती थी की आशा आयुर्वेदा में आकर फिर से ठीक हो जाएंगी। अपराजिता का कहना था कि जब अल्ट्रासाउंड टेस्ट हो रहा था तो मैं बेड न्यूज के लिए तैयार थी।
जब बच्चे की धड़कन की आवाज सुनी तो मैं कह नहीं सकती की उस वक्त में क्या महसूस कर रही थी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की यह मेरी बेबी की दिल की धड़कन है। मैंने डॉक्टर से पूछा तो उनका कहना था हां आपके बेबी की दिल की धड़कन आ रही है अब आप उठ सकते है।
परिवार की तरफ से भी पूरा स्पोर्ट
अपराजिता ने बताया की आमतौर पर ऐसे समय में परिवार साथ नहीं देते, लेकिन मेरे सास ससुर ने मुझे बहुत सपोर्ट किया है। उनका कहना था कि दिल छोटा करने की बात नहीं है, भागवान के घर देर है अंधेर नहीं है। उनके पति ने भी उनकी समस्या में उनकी हिम्मत बन कर ट्रीटमेंट से लेकर प्रेगनेंसी तक साथ दिया।
खुशी का नहीं था ठिकाना: अपराजिता के माँ बनने की सक्सेस स्टोरी
अपराजिता और उनके पति के लिए खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब आयुर्वेद की मदद से 9 महीने बाद उनके घर नन्हीं लड़की ने जन्म लिया और अब मां बनने का सुख मिला। ना जाने अपराजिता जैसी कितनी महिलाएं है जिन्होनें आयुर्वेद को चुना और अब मां बनने के सुख प्राप्त किया है। आयुर्वेद उन महिलाओं एक नई आशा की किरण हो जो इस सुख से वंच्छित है। आशा आयुर्वेदा के जरिए निसंतान अपराजिता ने अपने जीवन में संतान सुख पा सकी हैं।
हम जल्द ही आगे की कहानी अपने नये ब्लॉग के माध्यम से शेयर करेंगे। अगर आप या फिर आपके घर परिवार में ऐसा कोई है जिसे अभी तक संतान सुख की प्राप्ति नही हुई है तो परेशानी की बात नही आप भी आशा आयुर्वेदा में संपर्क करके संतान सुख प्राप्त कर सकते है।