मलेरिया के आयुर्वेदिक उपचार, ayurvedic treatment for malaria

मलेरिया के आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic Treatment for Malaria in Hindi

मलेरिया एक ऐसी बीमारी है। जो एक मच्छर के काटने पर होती है। इस मच्छर का नाम फीमेल एनोफिलीज है। मलेरिया एक संक्रमण बीमारी है। जो एनोफिलीज जाति की मादा के काटने से होता है। मेडिकल की भाषा में इस मच्छर (जीवाणु) को प्लास्मोडियम भी कहते है। 

यदि कोई व्यक्ति Malaria से संक्रमित हो जाता है। तो उसमें सर्दी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई देते लगते है। मलेरिया का एक तो खास लक्षण होता है। कि यदि बुखार सर्दी के साथ होता है। तो पक्का मलेरिया हुआ है। आयुर्वेद में कहां गया है। कि यदि ज्वर (fever) के दौरान सर्दी लगती है। तो मलेरिया होने की पुष्टि होती है। 

पुराने समय से ही आयुर्वेद में Malaria के उपचार में बहुत सारी आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन किया जाता रहा है। इन आयुर्वेदिक दवाओं में गुडूची, निम्बा विशेष रुप से Malaria के उपचार में प्रयोग में लाई जाती रही है। यह आयुर्वेदिक दवाएं स्वाद में अति कड़वी होती है, जो शरीर के दोषों को नियंत्रित करने में सबसे अच्छी भूमिका निभाती है। 

इसके अतिरिक्त Malaria के आयुर्वेदिक उपचार में पंचकर्म चिकित्सा का योगदान भी बहुत ही कारगर है। पंचकर्म के अंतर्गत आने वाली चिकित्सा के अंग – विरेचन थेरेपी, बस्ती थेरेपी मलेरिया के बुखार में राहत देते है। 

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मलेरिया होने के लक्षण – Symptoms of Malaria in Hindi

मलेरिया के लक्षणों को बात करें। तो निम्नलिखित लक्षणों के आधार पर आप Malaria होने की पुष्टि कर सकते हैं। 

  1. मलिरिया होने पर मरीज को तेज ठंड महसूस होती है। 
  2. ठंड के साथ तेज बुखार होता है। 
  3. सिर दर्द और उल्टी होती है। 
  4. बुखार के साथ-साथ शरीर में जोर का कंपन भी शुरु होता है। 

इस प्रकार की बुखार विषय ज्वर के संदर्भ में चरक संहिता में वर्णन मिलता है। कि यह त्रिदोष के कारण ऐसा होता है। परंतु वात दोष प्रभावित होने पर बुखार जैसे समस्याएं प्रमुखता से देखन को मिलती है। (और पढ़े – पति-पत्नी के झगड़े की वजह तो नही बसंत ऋतु परिवर्तन – डॉ चंचल शर्मा)

मलेरिया का आयुर्वेदिक उपचार एवं पंचकर्म थेरेपी – Ayurvedic Treatment & Panchakarma Therapy in Hindi

आयुर्वेद में मलेरिया को पंचकर्म चिकित्सा पद्धति से शीघ्रता से ठीक किया जाता है। साथ में दिनचर्या, ऋतु चर्या और डाइट लेने की भी सलाह दी जाती है। जिससे शरीर के दोष जल्दी से संतुलति होकर शरीर को पुनः नई ऊर्जा प्रदान करने में मदद करें। 

  1. विरेचन कर्म – विरेचन कर्म के अंतर्गत रेचक औषधियों के सेवन से दोष की अधिकता को मल के द्वारा शरीर के बाहर कर दिया जाता है। इससे शरीर का पित्त बाहर हो जाता है। 
  2. वमन कर्म – वमन कर्म के द्वारा पेट की सफाई कर दी जाती है। इससे उल्टी के माध्यम से कफ दोष नियंत्रित हो जाता है। 
  3. बस्ती कर्म – बस्ती कर्म से प्रयोग से निरुह और अनुवासन बस्ती के द्वारा विषय ज्वर अर्थात मलेरिया जैसे संक्रमण वाले बुखार को सही किया जाता है। 
मलेरिया के उपचार में आयुर्वेदिक डॉक्टर मुख्य रुप से कौन-कौन सी औषधि लेने की सलाद देते है

Malaria से पीड़ित व्यक्ति को स्वस्थ करने में एक आयुर्वेदिक चिकित्सक विभिन्न प्रकार के हर्बल को आपके शरीर के प्रकृति के आधार पर आपको सेवन करने की सलाद दे सकते हैं। 

  1. सुदर्शन चूर्ण 
  2. अमृतारिष्ट 
  3. गुडूच्यादि का काढ़ा
  4. जूड़ीताप 
  5. आमलकी 
  6. मुस्ता 

इत्यादि सभी आयुर्वेदिक हर्बल मलेरिया में राहत प्रदान करती है।

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