प्रेगनेंसी होने के लिए HCG Hormone क्यों है जरूरी ?
प्रेगनेंसी के हार्मोन आपके महिलाओं के शरीर को जन्म के लिए तैयार करते हैं और आपके बच्चे के विकास में मदद करते हैं। एचसीजी वह हार्मोन है जो आपके महिला शरीर के बाकी हिस्सों को बताता है कि आप गर्भवती हैं। एचसीजी हार्मोन मॉर्निंग सिकनेस को बढ़ाता है। और यह अधिक तीव्र उल्टी और मतली के साथ सहसंबद्ध होते हैं ।एचसीजी महत्वपूर्ण कार्य: एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का उत्पादन बढ़ाना होता है। ताकि वे बच्चे को विकसित करने के लिए अपनी भूमिका निभा सकें। इसलिए प्रेगनेंसी के लिए HCG Hormone जरुरी होता है।
प्रेेगनेंसी के दौरान एचसीजी का प्रोडक्शन होता है। महिलाओं को गर्भवती होने और उसकी गर्भावस्था को सुरक्षित करने के लिए एचसीजी हार्मोन को होना बहुत जरुरी होता है। क्योंकि यदि इसके स्तर का संतुलन बिगड़ता है। तो प्रेगनेंसी में मुश्किलें खड़ी हो सकती है। एचसीजी हार्मोन का निर्माण तब होता है। जब प्लेसेंटा में बनने वाली कोशिकाएं बनने लगती है। एचसीजी हार्मोन निषेचन के बाद अंडे को पोषण देता है और गर्भाशय की परत में जोड़ने को कार्य भी करता है।
प्रेगनेंसी में कैसे बनता है एचसीजी हार्मोन ?
प्रेगनेंट होने के बाद जैसी जैसी किसी महिला का प्रेगनेंसी बढ़ती जाती है। उसी के आधार पर एचसीजी लेवल भी बढ़ता जाता है। प्रेगनेंसी के दौरान इसका लेवल 4 से 5 दिन के अंदर दोगुना तक हो सकता है। इसलिए लिए भी महिलाओं को बहुत ज्यादा सावधानी रखनी चाहिए। क्योंकि इसका स्तर यदि अधिक हो जाता है। तो भी परेशानी का कारण बन सकता है। प्रेगनेंसी के लिए नार्मल एचसीजी स्तर का होना बहुत आवश्यक होता है।
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प्रेगनेंसी के समय एचसीजी का स्तर कितना होना चाहिए ?
यदि आपकी प्रेगनेंसी को हुए 5-6 हफ्ते गुजर चुके है। तो ऐसे में एचसीजी लेवल का जांच करवा सकती है। क्योंकि इतनी दिन की प्रेगनेंसी होने के बाद इसके अच्छे परिणाम मिलने शुरु हो जाते है। यदि जांच के दौरान 5 MIU/ML से कम एचसीजी लेवल निकलता हैं । तो ऐसे में Negative Pregnancy निकलती है। 25 MIU/ML से अधिक एचसीजी लेवल को प्रेगनेंसी के लिए अच्छा माना जाता है अर्थात Pregnancy की पुष्टि हो चुकी है। परंतु यदि आपका एचसीजी लेवल 6 MIU/ML से 24 MIU/ML के बीच आता है। तो ऐसे में इस मानक को ग्रे जोन में रखा जाता है। और ऐसे में आपको डॉक्टर से परामर्श की सलाह दी जा सकती है।
जब किसी महिला का एचसीजी लेवल 1000-2000 MIU/ML के बीच पहुंच जाता है। तो ऐसे में Ultrasound में द्वारा गर्भावधि सैक की पुष्टि हो जाती है।
गर्भवती महिलाओं में एचसीजी लेवल उनकी गर्भावधि के आधार पर निर्धारित होता है। जैसे-जैसे महिला की प्रेगनेंसी बढ़ती जाती है उसी प्रकार सप्ताह दर सप्ताह एचसीजी लेवल में वृद्धि दर्ज होती जाती है।
- तीसरे सप्ताह में – 5 से 50 MIU/ML
- चौथे सप्ताह में – 5 से 430 MIU/ML
- पांचवें सप्ताह में – 18 से 340 MIU/ML
- छववें सप्ताह में – 1080 से 56500 MIU/ML
- सातवें सप्ताह में – 7650 से 22900 MIU/ML
- नवमें सप्ताह में – 25700 से 288000 MIU/ML
- 13वें से 16वें सप्ताह में – 13300 से 254000 MIU/ML
- 17वें से 24वें सप्ताह में – 4060 से 1654000 MIU/ML
- 25वें से 40वें सप्ताह में – 3640 से 117000 MIU/ML
नोट – जिन महिलाओं ने गर्भधारण नही किया हुआ है। उनमें एचसीजी का स्तर 0 से 5 MIU/ML के बीच होता है। औज जो महिलाएं मेनोपॉज में पहुंच चुकी है उनमें एचसीजी का लेवल 0 से 8 MIU/ML होता है। यह एक सामान्य मानक है परंतु हर महिला का प्रकृति अलग अलग होती है। इस कारण से महिलाओं के एचसीजी का लेवल थोड़ा बहुत आगे पीछे हो सकता है।
गर्भवती महिलाओं में आखिर क्यों हो जाता है एचसीजी का लेवल कम और ज्यादा ?
गर्भधारण कर चुकी महिलाओं में कई कारणों से एचसीजी के स्तर कम और ज्यादा हो सकता है। जिसके बहुत सारे कारण हो सकते है। आयुर्वेद के अनुसार यदि महिलाओं के दोष प्रभावित हो जाते है तो ऐसी स्थिति में गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था का हार्मोन बिगड सकता है। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान डॉक्टर की सलाह के आधार पर इसकी जांच कराते रहना चाहिए। दूसरा यह है । कि आज महिलाओं घर के साथ-साथ ऑफिस में भी व्यस्तता के चलते गर्भावस्था का ठीक से ख्याल नही रख पाती है। जिसके कारण भी गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में कई बदलाव देखने को मिलते है। और ऐसे में भी एचसीजी का स्तर कम या फिर ज्यादा हो सकता है। एचसीजी लेवल में उतार-चढ़ाव के लिए गर्भवती महिला की डाइट भी एक अदम रोल निभाती है। जिससे एचसीजी लेवल में प्रेगनेंसी के दौरान बदलाव देखने को मिलता रहता है।
गर्भवती महिला का एचसीजी लेवल कम और ज्यादा होने पर उसकी प्रेंगनेंसी कैसे प्रभावित हो सकती है?
एचसीजी लेवल यदि बहुत कम या फिर बहुत ज्यादा हो जाता है। तो दोनों स्थितियों में महिला के प्रेगनेंसी प्रभावित हो सकती है।
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एचसीजी लेवल कम होने पर प्रेगनेंसी में आती है परेशानियां –
यदि प्रेगनेंट महिला का एचसीजी लेवल बहुत कम हो जाता है तो प्रेगनेंसी की पुष्टि करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में गर्भपात जैसी समस्या हो सकती है और एक्टोपिक प्रेगनेंसी होने के ज्यादा चांस बढ़ जाते है।
एचसीजी लेवल बहुत अधिक होने पर भी प्रेगनेंसी की डेट का पता नही लगाया जा सकता है। और मोलर प्रेगनेंसी हो सकती है। जो एक प्रकार की दुर्लभ प्रेगनेंसी है। एचसीजी लेवल हाई हो जाने के बाद मल्टीपल प्रेगनेंसी भी हो सकती है।
क्या प्रेगनेंसी समाप्त होने के बाद एचसीजी लेवल में बदलाव होता है ?
हां बिल्कुल ।
परंतु यह इस बात पर निर्भर करता है। कि आपकी गर्भावस्था कैसे समाप्त हुई। क्योंकि जैसे ही गर्भावस्था समाप्त होती है तो महिलाओं के मन में सवाल होता है। कि मेरी प्रेगनेंसी तो समाप्त हो गई और एचसीजी लेवल का लेवल क्या होगा?
यहां पर प्रेगनेंसी समाप्त होने के मतलब गर्भपात, सामान्य प्रसव या फिर अन्य कारण है। ऐसी स्थिति में एचसीजी लेवल धीरे-धीरे सामान्य स्तर पर आना शुरु हो जाता है। और यदि ऐसा नही होता है। तो डॉक्टर से परामर्श जरुर करना चाहिए।
क्या आयुर्वेदिक औषधियों से एचसीजी लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है ?
जी हां।
आयुर्वेद में महिला गर्भावस्था से संबंधित सभी प्रकार की समस्याओं और तकलीफों का एक पुख्ता समाधान प्राचीन काल से मौजूद है। जो महिला की गर्भावस्था को बेहतर बनाने के लिए बहुत अच्छी मदद करते हैं।
आयुर्वेद में गर्भवती महिला की जीवनशैली एवं खानपान को लेकर विशेष नियम है। जिनका पालन यदि गर्भवती स्त्री करती है। तो पूरी गर्भावस्था के दौरान उसका एचसीजी लेवल नियंत्रण में रहता हैं। और प्रेगनेंसी से संबंधित किसी भी प्रकार की कोई समस्या नही होती है।