बढ़ते प्रदूषण से आयुर्वेद कैसे बचा सकता है ?
हर वर्ष नवंबर और दिसंबर के मध्य दिवाली के बाद दिल्ली सहित पूरे देश में वायु गुणवत्ता “खतरनाक” श्रेणी में दर्ज की है। इसलिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञों द्वारा यह सलाह दी जाती है। कि आप प्रदूषकों के संपर्क को कम करें और आयुर्वेद जड़ी बूटियों के प्रयोग से अपने स्वसन तंत्र को मजबूत करें। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और कुछ काढ़े (क्वाथ) हैं। जो न केवल फेफड़ों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करते हैं । बल्कि सांस की बीमारियों को भी दूर रखते हैं।
पराली जलाने के कारण दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पहले से ही बढ़ रहा है, वहीं दिवाली पर पटाखे फोड़ने से हवा की गुणवत्ता और खराब हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली के आसमान में धुंध की मोटी परत छाए रहने के कारण कई लोगों ने गले में खुजली और आंखों में पानी आने की शिकायत है।
यदि आप भी दिवाली के बाद के प्रदूषण का खामियाजा भुगत रहे हैं, तो आप राहत के लिए किसी आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा द्वारा सुझाए गए इन आयुर्वेद उपायों को आजमा सकते हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ भी दिवाली के बाद बिगड़ती वायु गुणवत्ता सूचकांक के बीच फेफड़ों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का उपयोग करने का सुझाव दे रहें हैं।
बढ़ता प्रदूषण सबसे ज्यादा दिल्ली के लोगों को प्रभावित कर रहा है। और कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन रहा है। आपको अपने और अपने परिवार को बढ़ते प्रदूषण से बचाने की जरूरत है। मास्क पहनने के अलावा प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए आप कई कदम उठा सकते हैं।
प्रदूषण के उच्च स्तर के दौरान आपको अपने आप को विषाक्त पदार्थों से बचाने के लिए मास्क पहनना चाहिए। लेकिन इसके साथ ही आप बेहतर सुरक्षा के लिए कुछ जरूरी बदलाव भी कर सकते हैं। आयुर्वेद ने लगभग हर समस्या का सबसे प्राकृतिक तरीके से समाधान दिया है। प्रदूषण के प्रतिकूल प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए कुछ स्वस्थ आयुर्वेदिक उपाय भी हैं।
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बढ़ते प्रदूषण से लड़ने के आयुर्वेदिक तरीके
दिल्ली के बढ़ेत प्रदूषण के प्रभाव को रोकने के लिए हम दो प्रकार के आयुर्वेदिक उपचार अपना सकते है। एक है प्रतिरक्षा में सुधार (इम्युनिटी) और दूसरा, घर में हवा की गुणवत्ता में सुधार करके खुद के प्रदूषण से बचाया जा सकता है।
कैसे बढ़ाएं इम्युनिटी ?
इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए, आपको शरीर को प्रदूषकों के प्रभाव से बचाने के लिए एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर आहार की आवश्यकता होती है। हमारे स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभाव को पर्याप्त रूप से संभालने के लिए सही भोजन एक महत्वपूर्ण कदम है। क्योंकि बाहरी रूप से समस्या को उलटने के लिए बहुत कम किया जा सकता है। बेहतर इम्युनिटी के लिए अच्छी डाइट होना बहुत जरुरी है।
- विटामिन सी – आंवला, अमरूद, नींबू, जामुन, टमाटर, गाजर, कीवी और सेब का सेवन करें।
- विटामिन ई – यह बादाम, तुलसी या लौंग में पाया जाता है। इसलिए प्रतिदिन किसी न किसी रुप में इनको शामिल करें।
- बीटा कैरोटीन – बीटा कैरोटीन के स्रोत धनिया, मेथी, सलाद पत्ता और पालक हैं। सलाद को वैसे तो हर मौसम में खाना अच्छा माना जाता है। परंतु यह एक अच्छा इम्युनिटी बुस्टर है। इसलिए जरुर अपनी डाइट में शामिल करें।
- ओमेगा 3 – यह अखरोट, चिया के बीज, अलसी के बीज और घी या मक्खन में पाया जाता है। इसको भी अपने खाने में जगह दें।
- हल्दी दूध का सेवन – आयुर्वेद में हल्दी को एक एंटीबैक्टीरियल औषधि के रुप में देखा जाता है। ऐसे में हल्दी के सेवन से आप बैक्टिरिया, जर्म, वायरल फ्लू आदि से प्रकोप से बच सकते है। हल्दी और दूध का मिश्रण प्रतिरक्षा के निर्माण के एक शानदार आयुर्वेदिक समाधान है।
- अदरक, तुलसी और शहद – आधा टेबल स्पून तुलसी के पत्तों के रस में शहद मिलाकर 5 बूंद अदरक का रस सुबह खाली पेट सेवन किया करने से गले की खरास में आराम मिलता है। और स्वसन तंत्र में मजबूती आती है।
- खाने के बाद गुड़ जरुर खाएं – गुड़ प्रदूषण के लिए सबसे प्रभावी उपायों में से एक है। गुड़ में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और इसे विभिन्न तरीकों से आहार में शामिल किया जा सकता है।
- नीम की पत्ती का सेवन – नीम की पत्तियां एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों से युक्त होती है। यह शरीर को ठंडक देते हुए रोग प्रतिरोधक क्षमता का निर्माण करती है। यह विषहरण करता है और रक्त से अशुद्धियों को दूर करता है।
- शुद्ध देशी घी का सेवन – यह पाचन के लिए अच्छा होता है और इसमें डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं। घी में ओमेगा 3 फैटी एसिड की मौजूदगी आपके इम्यून सिस्टम को सपोर्ट करती है। यह एंटीऑक्सीडेंट का एक समृद्ध स्रोत है। जो इसे एक जरूरी बनाता है। यह शरीर में एक क्षारीय वातावरण को बढ़ावा देता है। क्षारीय वातावरण शरीर में बीमारियों और बीमारियों को प्रकट करना मुश्किल बना देता है।
- नस्य कर्म जरुर करें – प्रदूषण से निजात पाने से लिए प्रतिदिन रात को सोते समय नाक में दो बूद शुद्ध गाय का देशी घी या फिर सरसों का तेल डालें। इससे नांक में नमी बनी रहेगी और आसानी से श्वास लेने मदद होगी।
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कुछ आयुर्वेद उपाय है जिसके द्वारा आप अपने वातावरण को प्रदूषण मुक्त बना सकते है।
हवा को शुद्ध करने के लिए
आयुर्वेदिक रिसर्च एवं प्राचीन समय में हुए शोधों से से पता चलता है । कि कुछ घर के पौधे हवा से विषाक्त पदार्थों को हर लेते है। और हवा को शुद्ध कर सकते हैं जिसमें बांस, एरिका पाम, शांति लिली, तुलसी, पीपल का पेड़ और मनी प्लांट शामिल हैं।
अन्य तरीकों में आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार मोम की मोमबत्तियों, नमक के लैंप या आवश्यक आयुर्वेदिक तेलों का उपयोग शामिल हो सकता है जिसमें कपूर, मेंहदी, अजवायन के फूल, अजवायन, चाय के पेड़, लेमनग्रास और दालचीनी शामिल हैं।