What is ectopic

एप्टोपिक प्रेगनेंसी (अस्थानिक गर्भावस्था) क्या है और इसका आयुर्वेदिक इलाज (What is ectopic pregnancy and ectopic pregnancy ayurvedic treatment)

हर स्त्री अपने जीवन में चाहती है की उसकी भी माँ बनने की अभिलाषा पूर्ण हो, किन्तु कुछ स्वास्थ्य परेशनियों के चलते ऐसा होना मुश्किल हो जाता है। मातृत्व प्राप्त करना हर महिला का अधिकार होता है और प्रकृति से उसे यह अधिकार वरदान स्वरुप मिला भी है । परंतु आज के समय में अधिकांश महिलाओं को खराब जीवन शैली और दूषित खानपान की वजह से इतनी आसानी से यह मातृत्व का अधिकार नही मिल पाता है। 

हम बात कर रहें है एप्टोपिक प्रेगनेंसी की तो आप समझ ही गई  होगी । कि यह नार्मल प्रेगनेंसी से बिल्कुल हट कर है। एप्टोपिक प्रेगनेंसी एक ऐसी गर्भवस्था है जिसमेंं भ्रूण गर्भाशय में न पहुच कर फैलोपियन ट्यूब में ही ठहर जाता है । जब कोई महिला गर्भधारण कि कोशिश करती है तो ऐसे में महिला का अंडा और पुरुष के शुक्राण फैलोपियन ट्यूब में मिल कर गर्भाशय तक नही जा पाते है । और वह फैलोपियन ट्यूब में ही विकसित होकर भ्रूण का निर्माण कर लेते है। 

एप्टोपिक प्रेगनेंसी की समस्या दुर्लभ मामलों में देखने को मिलती है। 100 में से हर 2 महिलाओं को एप्टोपिक प्रेगनेंसी होने के चांस रहते है। एप्टोपिक प्रेगनेंसी के चलते स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी तो फैलोपियन ट्यब के फटने का डर भी रहता है। क्योंकि जैसे-जैसे भ्रूण फैलोपियन ट्यूब में विकास करता है महिला को उतनी ज्यादा परेशनी होती है। कभी-कभी (बहुत कम मामलों में ) एप्टोपिक प्रेगनेंसी इतनी ज्यादा खतरनाक हो जाती है।  कि महिला की जान को भी खतरा हो सकता है। 

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कैसे पता चलता है कि महिला को  एप्टोपिक प्रेगनेंसी है ?

जब किसी महिला के पीरियड्स मिस हो जाते है तो उसको लगता है कि प्रेगनेंसी कंसीव हो गई  और होता भी यही है। परंतु जैसे से 6 से 10 सप्ताह का समय बीतता है तो महिला को कुछ ऐसे लक्षण महसूस होते है जो एप्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षणों को दर्शाते है। 

  1. पेट में ऐठन और बहुत तेज दर्द होता है । ऐसे स्थिति में बिना देरी किए डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 
  2. कुछ मामलों  में यूट्रस से ब्लड  निकलने लगता है। ऐसे में तुरंत जाँच करवानी चाहिए और डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

किन महिलाओं को एप्टोपिक प्रेगनेंसी होने की अधिक संभावना होती है ?

एप्टोपिक प्रेगनेंसी वैसे तो किसी भी महिला को हो सकती है। परंतु कुछ ऐसी भी महिलाएं हैं जिनको होने के चांस ज्यादा होते है। 

  1. पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (pelvic inflammatory disease) से पीडित महिलाओं को एप्टोपिक प्रेगनेंसी की दर अधिक होती है। 
  2. एंडोमेट्रियोसिस (endometriosis) की समस्या होने पर एप्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है। 
  3. यदि आप गर्भनिरोधक दवाओं और इंजेक्सन (Contraceptive drugs and injections) का अधिक उपयोग करती है तो भी आपको एप्टोपिक प्रेगनेंसी हो सकती है। 
  4. यदि आपकी फैलोपियन ट्यूब की सर्जरी (लैप्रोस्कोपी) हुई है तो भी एप्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना होती है। 
  5. उम्र का भी एक बहुत बड़ा फैक्टर होता है क्योंकि उम्र के साथ ही महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु दोनों हल्दी नही होने के कारण वह गर्भाशय तक पहुचने में संभव नही होते है। और फैलोपियन ट्यूब में ही निषेचित हो कर एप्टोपिक प्रेगनेंसी जैसी समस्या को पैदा कर देते है। 
  6. जीवनशैली में बदलाव, प्रभावित खानपन एवं अधिक धूम्रपान का सेवन भी  एप्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना के लिए जिम्मेदार होते है। 

एप्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण क्या है ?

अस्थानिक गर्भावस्था ( ectopic pregnancy) एक ऐसी इंटरनल कंडीशन (internal condition) जिसका पता ज्यादातर महिलाओं को नही लगता है। परंतु कुछ ऐसे लक्षण है जो आपको एप्टोपिक प्रेगनेंसी को महसूस करने में आपके काम आ सकते है। 

  1. फैलोपियन ट्यूब में सूजन और खिचाव की वजह से आपके पेल्विक एरिया में अधिक दर्द महसूस हो सकता है। 
  2. फैलोपियन ट्यूब के डैमेज होने पर आपको अधिक ब्लीडिंग हो सकती है।
  3. चक्कर आना, शरीर में अधिक पसीना आना और सिर में तीव्र दर्द होना इसके लक्षण है। 
  4. आपके कंधों ओर बाजू में अधिक दर्द होना। 
  5. दस्त की समस्या और पेशान करने में जलन महसूस होना। 

इन लक्षणों के होने पर आप एप्टोपिक प्रेगनेंसी की जाँच करवा कर उसकी पुष्टि कर सकते है । 

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एप्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगानने के लिए कौन-कौन से टेस्ट करवाने चाहिए ?

आज के समय में ऐसे बहुत सारे टेस्ट है जो आपको एप्टोपिक प्रेगनेंसी का पता लगाने में आपकी मदद कर सकते है। एप्टोपिक प्रेगनेंसी टेस्ट करवाने की डॉक्टर आपको तभी गाइड करते है जब आपको गर्भावस्था के दौरान बार-बार दर्द का अहसास होता है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर पेल्विक टेस्ट करवाते है और साथ में कुछ अन्य जाचों की मदद भी लेते है । 

  1. ब्लड टेस्टब्लड टेस्ट के माध्यम से ब्लड में डॉक्टर एचसीजी के स्तर का पता लगाते है। एचसीजी एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो केवल प्रेगनेंसी के दौरान बनता है। परंतु यदि एचसीजी का लेवल हाई होता है तो ऐसे में डॉक्टर अनुमान लगा लेते है। कि एप्टोपिक प्रेगनेंसी है। 
  2. ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड यह ऐसा अल्ट्रासाउंड है जिसकी मदद लेकर एक डिवाइस की महिला के वजाइना में डाला जाता है । जिससे अंदरुनी हिस्से को हिका जा सकता है। इस जाँच के दौरान यदि फैलोपियन ट्यूब में कोई भ्रूण का आभाष होता है तो ऐसी स्थिति में एप्टोपिक प्रेगनेंसी की संभावना होती है। 
  3. सोनोग्राफी सोनोग्राफी भी एक  प्रकार का टेस्ट है जिसमें महिला के गर्भाशय में गर्भ की जांच की जाती है। और यदि गर्भाशय में गर्भ नही दिखाई देता है तो एप्टोपिक प्रेगनेंसी होने की पुष्टि हो जाती है। 

एप्टोपिक प्रेगनेंसी का आयुर्वेदिक उपचार – 

आयुर्वेदा में एप्टोपिक प्रेगनेंसी को जड़ से समाप्त कर हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाता है। Ayurvedic medicines फर्टिलिटी और हार्मोन में सुधार करते है। जो महिला को ओव्यूलेट करने या हार्मोन के स्तर को बहाल करने में मदद करते हैं। पंचकर्मा थेरेपी एप्टोपिक प्रेगनेंसी को रिमूव करके अवरुद्ध ट्यूब को खोलने में सहायता करती है। 
आयुर्वेदिक उपचार महिला एवं पुरुष दोनों के लिए प्रभावी होते है। हर्बल औषधियां स्वस्थ शुक्राणुओं को जन्म देती है और महिला के ओवुलेट करने पर सहयोग करती है । 
शतावरी को आयुर्वेद में एकमात्र ऐसी दवा कहा गया है, जिसमें विशेष रूप से महिलाओं में बांझपन से संबंधित इलाज के लिए प्रयोग किया जाता हैं ।  महिलाओं में होने वाली एप्टोपिक प्रेगनेंसी लिए अधिकांश आयुर्वेदिक दवाओं में अक्सर शतावरी  का प्रयोग किया जाता है। 
एप्टोपिक प्रेगनेंसी के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां –  अश्वगंधा, एलोवेरा, गुग्गुलु, लोध्रा,मनजिस्ट,अनंतमूल,बाला औषधि (नागबला, अतिबला),मूलली, पुनर्नवा,गोक्षुरा ,बच,धातकी पुष्प,दारुहरिद्रा,गंभारी,मुस्त  आदि।