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BICORNUATE UTERUS (बाइकॉर्नुएट यूटेरस) क्या होता है और क्या इसमें pregnancy संभव हो सकती है ?

बाइकॉर्नुएट यूट्रस बच्चेदानी की जन्मजात एक प्रकार की विकृति है। अर्थात कुछ महिलाओं में बर्थ से ही गर्भाशय का आकार सामान्य होने की वजह विलक्षण (abnormal) होता है। जब किसी महिला का गर्भाशय दिल के आकार (heart shape) जैसा होता है तो उसे BICORNUATE UTERUS के नाम से जानते है। 

आंकड़ो की बात करें तो लगभग 3 प्रतिशत महिलाओं को बच्चेदानी के आकार में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। 100 में से 3 ऐसी महिलाएं होती  है जिनमें गर्भशाय का आकार असामान्य होता है। इन महिलाओं में यह जन्मजात विकृति होती है। बच्चेदानी के आकार में कई प्रकार की विकृतियां देखने तो मिलती है जैसे – unicornuate uterus, didelphys uterus, septate uterus और arcuate uterus. इन सभी गर्भाशय विकृतियों में से BICORNUATE UTERUS होता है। यह एक सामान्य प्रकार है.

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 BICORNUATE UTERUS क्यों होता है ?

जब किसी नवजात शिशु के अंदर बच्चादानी का विकास होता है। तो paramezonefrik नाम की डैग्स होती है और यह जब आपस में चिपक जाने से बच्चेदानी का निर्माण होता है। परंतु यह paramezonefrik किसी स्वास्थ्य समस्या या फिर अन्य कारण से सही नही जुडती है । तो ऐसे स्थिति में BICORNUATE UTERUS की समस्या खड़ी हो जाती है। 

BICORNUATE UTERUS की वजह से महिलाओं को किन-किन परेशानियों से होकर गुजरना पड़ता है ?

जब किसी महिला को BICORNUATE UTERUS की समस्या हो जाती है तो ऐसी महिलाओं को निम्न लिखित समस्याएं होती है। 

  1. अनियमित पीरियड्स होते है । 
  2. संबंध बनाने के दौरान अधिक दर्द महसूस होता है। 
  3. vaginal bleeding की भी समस्या होती है। 
  4. Periods के दौरान तेज दर्द होता है। 
  5. Miscarriage का खतरा बना रहता है । 
  6. Abdomen के नीचले हिस्से में दर्द बना रहता है। 

BICORNUATE UTERUS प्रेगनेंसी को कैसे प्रभावित करता है ?

बाइकॉर्नुएट यूटेरस होने पर pregnancy में high risk की अधिक संभावना होती है। यदि जांच के दौरान यह स्पष्ट हो जाता है । कि आप BICORNUATE UTERUS से परेशान और pregnancy हो चुकी है । ऐसे में आपको समय-समय पर डॉक्टर से मिलते रहन चाहिए। BICORNUATE UTERUS में शिशु के स्वास्थ्य का जोखिम बढ़ जाता है। 

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BICORNUATE UTERUS में गर्भपात (Miscarriage) की संभावना क्यों बढ़ जाती है ?

बाइकॉर्नुएट यूटेरस की वजह से गर्भाशय के आकार में परिवर्तन आ जाता है । इसलिए गर्भपात की संभावना बनी रहती है। एक रिपोर्ट में बताया गया है । कि प्रगेनेंसी के समय Miscarriage का खतरा बना रहता है। गर्भाशय से संबंधित समस्यायों में से 1.08 से 37.6 प्रतिशत तक Miscarriage का डर होता है। BICORNUATE UTERUS में complication अधिक हो जाता है। स्टडी से पता चलता है कि इस तरह के मामलात में birth abnormalities करीब चार गुना अधिक होती है। 

BICORNUATE UTERUS का आयुर्वेदिक इलाज – 

बाइकॉर्नुएट यूट्रस को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति एवं पंचकर्म द्वारा pregnancy की complications को कम किया जाता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा में बहुत सारी ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बुटियां एवं हर्वल है। जो गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं को बहाल करने में मदद करती है। आयुर्वेदिक चिकित्सा BICORNUATE UTERUS से जुड़ी समस्याओं को पूरी सुरक्षा के साथ ठीक करने में सफल है। इन दवाओं एवं पंचकर्म कर्मा थेरेपी के माध्यम से गर्भाशय की संचरना में सुधार होता है।

BICORNUATE UTERUS में कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए ?

BICORNUATE UTERUS की परेशानी का यदि आप सामना कर रहीं है, तो ऐसे में एक्सपर्ट की कुछ बातों का ध्यान रख कर अपनी समस्याओं को करके, प्रेगनेंसी में भी राहत भरी सांस ले सकती है। 

  1. गर्भावस्था की तीसरी तिमाही आने तक आपको डाक्टर की सलाह लेकर ultrasound करवा लेना चाहिए। इस जांच से डॉक्टर पता लगा कर आपको खतरों से आगाह कर देंगे। 
  2. बिना डॉक्टर के परामर्श के कुछ भी मत करें। क्योंकि ऐसा करना आपको परेशानी में डाल सकता है। 
  3. BICORNUATE pregnancy में समय समय पर डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

ये भी पढ़े –  नेचुरुल प्रेगनेंसी के लिए कितना वजन होना चाहिए जानें एक्पर्सट की राय यह सभी जानकारी आशा आयुर्वेदा की निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से एक खास बातचीत के दौरान प्राप्त हुई है। यदि आप भी गर्भधारण में परेशानी आ रही है तो आशा आयुर्वेदा में संपर्क करें। 

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