महिलाओ के किन-किन अंगो में हो सकता है टीबी का प्रभाव
टीबी अर्थात ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रमित बीमारी है जो न केवल फेफड़ो को प्रभावित करती है बल्कि शरीर के अन्य हिस्सो को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। यदि यही टीबी महिलाओं के जननांग को प्रभावति करती है तो महिलाओं को बांझपन जैसी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
टीबी को आमबोल चाल की भाषा में बहरुपिया (छलिया रोग) भी कहते है। टीबी को बहुरुपिया इसलिए कहा जाता है कि इसके शुरुआती लक्षम आसानी से पता नही चल पाते है और जब यह खतरनाक रुप धारण कर लेता है तब इस बीमारी की पहचान होती है। अधिकांश महिलाएं एवं पुरुष इस बीमारी को कैंसर तक समझ बैठते है।
टीबी के कई प्रकार होते है और उन्हीं में से एक है पेल्विक टीबी ( ट्यूबरक्लोसिस) जिसे जननांग की टीबी कहते है। जननांग की टीबी महिला एवं पुरुष दोनों में हो सकती है। यह यह दोनों के प्रजनन तंत्र को प्रभावित कर सकती है। आंकड़ो के आधार पर आशा आयुर्वेदा की संचालक डॉ चंचल शर्मा कहती है कि भारत में लगभग 20 – 40 वर्ष की आयु की 18 प्रतिशत महिलाएं जननांग टीबी की वजह से बांझपन का शिकार होती है। टीबी की गिरिप्त में आने के बाद 90 प्रतिशत महिलाओं के गर्भाशय से जुड़े फैलोपियन ट्यूब में टीबी की समस्या होती है। डॉ चंचल शर्मा टीबी के संबंध में आगे बताती है और कहती है कि टीबी माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु के कारण होती है। यह सबसे पहले फेफड़ो को ही प्रभावित करती है इसके बाद यदि इससे निकलने वाले जीवाणु किसी माध्यम से शरीर से निचले भाग अर्थात प्रजनन अंगों में पहुंच जाते है तो वहां पर अपना प्रभाव दिखाने लगते है।
यूूट्रस में टीबी के लक्षण – Symptoms of TB In Uterus
गर्भाशय में टीबी के कुछ ऐसे संकेत है जो इशारा करते है कि महिला के गर्भाशय में टीबी है। यदि किसी महिला को हल्का बुखार, सिर में दर्द , पेट के निचले भाग में दर्द, योनि से सफेद पानी का स्त्राव, माहवारी समय पर न आना ऐसे किसी भी प्रकार के लक्षण महसूस होते है तो यह लक्षण गर्भाशय की टीबी के ओर संकेत करते है।
किसी महिला को इस तरह की स्वास्थय समस्या हो रही है तो समय पर किसी अच्छी स्त्री रोग डॉक्टर को दिखा कर समस्या से जल्दी निजात पाया जा सकता है।
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यूूट्रस में टीबी की जांच – TB Test in uterus
यदि किसी महिला को गर्भाशय की टीबी के लक्षण महसूस होते है तो इसके लिए बहुत सारे टेस्ट है जिसके आधार पर यूट्रस में टीबी की पुष्टि की जा सकती है।
- छाती का एक्स-रे
- पेल्विक अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग
- ग्रीवा स्मीयर टेस्ट
- मासिक धर्म रक्त परीक्षण
गर्भाशय में टीबी के रोकथाम
आयुर्वेद में गर्भाशय की टीबी का सुनिश्चित और पूर्ण उपचार उपलब्ध है। आयुर्वेदिक इलाज के माध्यम से गर्भाशय की टीबी को शरीर के प्रजजन भाग को खराब होने से रोका जाता है। आयुर्वेदिक उपचार बांझपन की दर को कम करके प्रजनन क्षमता में वृद्धि करता है और प्रजजन अंगों की देखभाल में अच्छी भूमिका निभाता है।
गर्भाशय से पीड़ित लोगों पर पूरी सहानभूति रखनी चाहिए उनसे ऐसा व्यवहार बिल्कुल भी न करें जो उनके मानसिक तनाव का कारण बनें। गर्भाशय की टीबी से प्रभावित साथी के साथ से साथ असुरक्षित संबंध न बनाएं। क्योंकि ऐसा करने पर आपके संक्रमित होने की संभावना हो सकती है।
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