पीसीओडी का आयुर्वेदिक इलाज

PCOD Treatment in Hindi || Poly cystic Ovary Disease || पीसीओडी का आयुर्वेदिक इलाज


PCOD TREATMENT IN HINDI: महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण होने वाली एक बीमारी है जिसके अंतर्गत महिला के अंडाशय में सिस्ट बनने लगता है और पीरियड्स अनियमित हो जाता है। इसके बहुत सारे लक्षण और कारण हो सकते हैं जिसे आज इस ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे। आजकल महिलाओं में यह समस्या बहुत सामान्य हो गयी है इसकी वजह उनकी जीवनशैली, डाइट, वंशानुगत समस्या आदि हो सकती है। यह सामान्य सी दिखने वाली समस्या अगर उचित समय पर ध्यान नहीं दिया जाये तो भविष्य में आपकी सबसे बड़ी ख़ुशी के मार्ग में बाधा बन सकती है और वह एक बाधा आपको मातृत्व सुख से वंचित कर सकता है। आशा आयुर्वेदा की इनफर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉ चंचल शर्मा की इसके बारे में क्या राय है ये देखते हैं –

PCOD “Polycystic Ovary Disease” महिलाओं में होने वाली हार्मोनल समस्या है जो गर्भधारण दिशा में रुकावट पैदा कर सकती है और आपके पीरियड्स के दिनों में आपको बहुत ज्यादा परेशान कर सकती है।  

पीसीओडी का लक्षण क्या है?

आइये जानते है की महिलाओं में पीसीओडी के लक्षण क्या होते है और ये कितने प्रकार के होते है ? 

  • बालों का अत्यधिक मात्रा में झड़ना। 
  • पीड़ित महिलाओं के वजन में अचानक से बढ़ाव और फिर वजन कम करने में परेशानी होना। 
  • शरीर में अन्य भागों पर अनचाहे बालों का उगना जैसे पीठ, चेहरा, सीना, आदि। 
  • पीरियड्स का अनियमित होना और कई बार पीरियड्स का मिस हो जाना। 
  • बिना कोई हार्ड वर्क के अत्यधिक थकान का अनुभव करना। 
  • चेहरे पर कील, मुहांसे आदि की संख्या में बढ़ोतरी। 
  • पीरियड्स के दौरान अत्यधिक ब्लीडिंग होना और दर्द का भी सामना करना। 

Polycystic Ovary Disease (PCOD) का परिक्षण:

महिलाओं में कुछ लक्षण तो ऐसे होते हैं जिससे उनको संदेह हो सकता है वो PCOD से ग्रसित हैं लेकिन डॉक्टर्स के द्वारा कुछ परिक्षण करके इसकी पुष्टि की जाती है, जो इस प्रकार हैं

ब्लड टेस्ट :

ब्लड टेस्ट के द्वारा महिला के शरीर में पाए जाने वाले उस हार्मोन की मात्रा की जांच की जाती है जिसके द्वारा एग जेनेरेट किया जाता है। 

शारीरिक परिक्षण:

डॉक्टर से द्वारा महिला के शरीर के अलग अलग भागों की जांच करके भी बीमारी का पता लगाया जा सकता है जैसे बालों के झड़ने की जांच, वजन, त्वचा आदि। 

अल्ट्रासाउंड:

डॉक्टर के द्वारा किसी भी संदेहित महिला के अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट को देखकर इस बात का पता लगाया जा सकता है की उसके ओवरी की स्थिति कैसी है और उसमे सिस्ट तो नहीं बन रहा है। 

Polycystic Ovary Disease के कारण:

इसके अनुमानित कारण कई हो सकते हैं लेकिन इसके बारे में कुछ विवाद भी है क्यूंकि मुख्य कारण का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है –

  • अनियमित पीरियड्स: जब किसी महिला का पीरियड्स अनियमित हो जाता है जैसे एक महीने के बाद २ महीने तक आये ही न या एक ही महीने में २ या उससे ज्यादा बार आ जाये तो यह pcod का एक कारण हो सकता है।  
  • उन्हेअल्थी लाइफस्टाइल: भागदौड़ भरी इस ज़िन्दगी में लोगों के पास इतना समय नहीं होता है की वो अपने शरीर और भोजन का ख्याल रखें हर इंसान उपभोक्तावादी होता जा रहा है जो केवल भौतिक सुख का ख्याल रखता है और इन सबका दुष्प्रभाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के ऊपर देखा जा सकता है उन्ही में से एक यह भी है। 
  • अनुवांशिक कारण : कुछ महिलाओं में यह समस्या उनके परिवार में चलती रही जेनेटिक बीमारी के रूप में आ सकती है। अगर उनके परिवार में महिलाओं में इसकी हिस्ट्री रही है तो सम्भावना होती है की वो भी PCOD से ग्रसित होंगी। 
  • एण्ड्रोजन लेवल का बढ़ना 
  • वजन का अचानक से बढ़ना 

Polycystic Ovary Disease (PCOD) ट्रीटमेंट:

यह कुछ ऐसी बीमारियां हैं जिसका पूर्णतः इलाज तो संभव नहीं है लेकिन उसके लक्षणों को देखते हुए फिर उसका ट्रीटमेंट किया जाता है। उपचार के तरीके बहुत सारे हो सकते हैं जैसे दवाई, सर्जरी, जीवनशैली में बदलाव, आयुर्वेदिक और घरेलू उपचार इन सबके माध्यम से PCOD के लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। 

पीसीओडी का इलाज क्या है? पीसीओडी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

आयुर्वेदिक उपचार के अंतर्गत किसी भी बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जाता है। उसके लिए पहले उसके कारणों को समझा जाता है फिर उसका इलाज करके हमेशा के लिए आपको रोग से मुक्त कर दिया जाता है। यह उपचार प्रायः व्यक्ति की क्षमता के अनुरूप किया जाता है जो सबके लिए भिन्न-भिन्न हो सकता है। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि किसी भी थेरेपी या दवाई को ग्रहण करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से अवश्य संपर्क कर लें ऐसा करने से जोखिम की सम्भावना कम हो जाती है। 

  • शरीर में इन्सुलिन की बढ़ी हुयी मात्रा को संतुलित करना और बढे हुए वजन को भी नियंत्रित करना 
  • महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को मजबूती प्रदान करना 
  • होर्मोनेस को संतुलित करना 

प्रजनन प्रणाली से विषाक्त पदार्थों को हटाकर और गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे विभिन्न अंगों को मजबूत बनाकर अंदरूनी कारण का इलाज करने के लिए पंचकर्म उपचार की सलाह दी जाती है। यह  पंचकर्म उपचार शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में भी सहायता करता है।

आहार में परिवर्तन के द्वारा उपचार: 
  • यदि आप नियमित रूप से ताजे मौसमी फलों और सब्जियों का सेवन करते हैं तो आप ऐसी बीमारी से बच सकते हैं क्यूंकि इनमे शुगर लेवल कम होता है जो इन्सुलिन को नियंत्रित रखता हैं। 
  • प्रोटीन को अपने आहार में इनक्लूड करें और बढ़ते हुए वजन को भी नियंत्रित रखने का प्रयास करें। 
  • अपने दिनचर्या में नियमित व्यायाम योगा आदि के लिए कम से कम 20 मिनट का समय निकालें। 
  • सॉफ्ट ड्रिंक, मैदा सूजी, प्रोसेस्ड फ़ूड, शराब, सिगरेट या अन्य किसी भी नशीले पदार्थ से परहेज करें। 

इस प्रकार आप देख सकते हैं की कुछ छोटी छोटी डेली हैबिट्स के बदलाव के द्वारा भी आप अपने स्वास्थ्य का ख्याल रख सकते हैं लेकिन सबसे ज्याद अजरुरी है संयम। हर चीज में नियंत्रण बनाये रखना तभी आप सामान्य दिखने वाली इस समस्या को विकराल होने से रोक सकते हैं।