आयुर्वेद की मदद से करें PCOS और PCOD का इलाज
PCOS और PCOD एक सामान्य स्त्री रोग है जो उन महिलाओं को परेशान करता है जो अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखती हैं। यह बीमारी 12-45 वर्ष की आयु वाली लगभग 12% महिलाओं को प्रभावित करने वाली बीमारी है। पीसीओडी के कई कारणों में हार्मोनल असंतुलन मुख्य है जिसकी वजह से महिलाओं में पीरियड्स की समस्या और गर्भधारण में परेशानी का सामना करना पड़ता है। लेकिन घबराने की बात नहीं है क्यूंकि PCOD का इलाज संभव है और इसके बाद आप गर्भधारण भी कर सकती हैं। इसके लक्षण बहुत ही स्पष्ट तौर पर दिखाई देते है बस जरुरत है समय रहते उसपर ध्यान देने की और पहचान कर अच्छे डॉक्टर से सम्पर्क करना।
महिलाओं के चेहरे पर कील मुहांसे, चेहरे और शरीर पर अनचाहे बाल का अत्यधिक बढ़ना, वजन का बढ़ना, तथा सर से बाल का झड़ना इसके मुख्य लक्षण हो सकते हैं। पीसीओडी के कारणों में अनियमित पीरियड्स, तनाव, ह्यपरटेंशन, अवसाद आदि शामिल है परन्तु इस बीमारी में आपको घबराने की जरुरत नहीं है आप आयुर्वेदिक इलाज के द्वारा बिना किसी ऑपरेशन या साइड इफेक्ट्स के सिर्फ अपने आहार, नियमित योग, प्राणायाम और दवाई के द्वारा PCOS और PCOD का इलाज कर सकते हैं। इसके बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए आशा आयुर्वेदा की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा ने कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी जिसे यहाँ आप सबके साथ साझा करेंगे:
PCOS और PCOD के कुछ कारण
PCOD को पोलिसिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर कहा जाता है। इस विकार से ग्रसित महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन यानी एण्ड्रोजन का स्तर बढ़ जाता है और अंडाशय यानी ओवरी में सिस्ट (ovary me cyst) बनने लगते हैं। PCOD के कारणों में अव्यवस्थित जीवनशैली, खानपान, शारीरिक व्यायाम की कमी आदि हो सकते हैं।
- अनुवांशिक रोग भी इसका एक प्रमुख कारण हो सकता है।
- महिलाओं के शरीर में इन्सुलिन का बढ़ता हुआ स्तर
- सिगरेट, शराब या नशीली पदार्थों का सेवन करना
- नियमित आहार में पोषक तत्वों की कमी होना
- शारीरक रूप से ज्यादा एक्टिव न होना
- तनाव या अवसाद में रहना
- देर रात तक जागना और अच्छी तरह नींद पूरी नहीं करना
PCOS और PCOD का आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:
आयुर्वेदा के अनुसार PCOS और PCOD रक्त धातु के असंतुलन के साथ साथ शरीर के 3 दोषों वात, पित्त और कफ में असंतुलन के कारण होता है। शरीर में दोष असंतुलन और विषाक्त पदार्थ के निर्माण स्वरुप ये रस रक्त धातुएं कमजोर हो जाती है। इसके कारण सिस्ट का निर्माण हो सकता है। आमतौर पर, वात दोष प्रजनन प्रणाली पर हावी होता है, और महिला प्रजनन अंग “अर्तव धातु” से बने होते हैं, जो डिंब का पोषण करते हैं।
वात दोष गर्भाशय फैलोपियन ट्यूब में कूप और डिंब की गति का प्रभारी है। उप-दोष “अपान वायु” अधोमुखी प्रवाह या मासिक धर्म प्रवाह का प्रभारी है। पित्त दोष शरीर में हार्मोन उत्पादन और संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है। कफ दोष कूप, गर्भाशय और डिंब ऊतक के विकास को पोषण देने और बढ़ावा देने का प्रभारी है। परिणामस्वरूप, स्वस्थ हार्मोन के उत्पादन और महिला प्रजनन प्रणाली के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए तीन दोषों का सामंजस्यपूर्ण संतुलन आवश्यक है।
PCOS और PCOD के लिए आयुर्वेदिक इलाज :
आयुर्वेदिक उपचार के अंतर्गत किसी भी बीमारी को जड़ से ख़त्म किया जाता है। उसके लिए पहले उसके कारणों को समझा जाता है फिर उसका इलाज करके हमेशा के लिए आपको रोग से मुक्त कर दिया जाता है। यह उपचार प्रायः व्यक्ति की क्षमता के अनुरूप किया जाता है जो सबके लिए भिन्न भिन्न हो सकता है। लेकिन आपको सलाह दी जाती है कि किसी भी थेरेपी या दवाई को ग्रहण करने से पहले किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से अवश्य संपर्क कर लें ऐसा करने से जोखिम की सम्भावना कम हो जाती है।
- शरीर में इन्सुलिन की बढ़ी हुयी मात्रा को संतुलित करना और बढे हुए वजन को भी नियंत्रित करना
- महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को मजबूती प्रदान करना
- Hormones को संतुलित करना
PCOD की दवा :
PCOD एक हार्मोनल असंतुलन की अवस्था है इसलिए इसे ठीक करने के लिए उन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है जिससे महिला के शरीर में बढे हुए एण्ड्रोजन के स्तर को कम किया जाता है। आयुर्वेदा के अनुसार इन दवाइयों के इस्तेमाल से PCOD का इलाज किया जा सकता है :
शतावरी : कैल्शियम, मैग्निसिय, फॉस्फोरस, विटामिन B 1, B 2, C तथा विटामिन E की मौजूदगी शतावरी को PCOD के इलाज के लिए एक बेहतर दवा बनाता है। इससे महिलाओं की प्रजनन क्षमता भी बढ़ती है और शरीर में इन्सुलिन का स्तर नियंत्रित रहता है।
शिलाजीत : शिलाजीत एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसमे एंटी इन्फ्लामेट्री गुण पाए जाते हैं जो महिलाओं की प्रजनन क्षमता में सुधार करता है और PCOD के प्रभावी लक्षणों को भी कम करता है। आप किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेने के बाद PCOD की इस दवा का सेवन कर सकते हैं।
हल्दी : हल्दी में पाए जाने वाले एंटी इन्फ्लामेट्री, एंटी बैक्टीरियल गुण आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर आपके अंदर PCOD के लक्षणों को कम करने में मदद करता है। यह महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भी बढ़ाता है।
प्रजनन प्रणाली से विषाक्त पदार्थों को हटाकर और गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे विभिन्न अंगों को मजबूत बनाकर अंदरूनी कारण का इलाज करने के लिए पंचकर्म उपचार की सलाह दी जाती है। यह पंचकर्म उपचार शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में भी सहायता करता है।
- वामन: वमन एक सफाई और विषहरण पंचकर्म है जिसमें वमन (उल्टी) को प्रेरित करके विषाक्त पदार्थों को व्यवस्थित और योजनाबद्ध तरीके से निकालना शामिल है। आमतौर पर सर्वोत्तम परिणामों के लिए वसंत ऋतु के दौरान इसे किया जाता है। वमन हार्मोन को संतुलित करने में मदद करता है, प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है और वजन घटाने में मदद करता है। पीसीओएस के दीर्घकालिक सफल प्रबंधन के लिए यह महत्वपूर्ण है।
- विरेचन: विरेचन एक और विषहरण पंचकर्म है जिसमें विरेचन (मल त्याग में वृद्धि) करके विषाक्त पदार्थों को निकालना शामिल है। पतझड़ के मौसम के दौरान अनुशंसित, विरेचन मोटापे, अनियमित या भारी मासिक धर्म, हार्मोनल असंतुलन, त्वचा रंजकता और पीसीओएस द्वारा उत्पन्न अन्य लक्षणों में बेहद प्रभावी है।
- बस्ती: बस्ती में विभिन्न आयुर्वेदिक औषधीय घी, तेल और कषाय या जड़ी-बूटियों के काढ़े शामिल हैं जिन्हें हर महिला की विशिष्ट स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जाता है। बस्ती प्रजनन प्रणाली को पोषण देती है और साथ ही इसे डिटॉक्सीफाई भी करती है। इसलिए, यह पीसीओएस में सबसे अधिक अनुशंसित उपचारों में से एक है।
- उत्तरबस्ती: उत्तरबस्ती (वस्ति) स्त्री रोग संबंधी स्थितियों के लिए एक अत्यधिक प्रभावी उपचार है। पीसीओएस के मामले में, उत्तरबस्ती डिम्बग्रंथि अल्सर के विघटन, आर्तव वाह स्रोत को साफ करने, खराब अपान वायु को शांत करने और कूपिक परिपक्वता को बढ़ाने में सहायता करता है।
- प्रजनन मालिश: इसके अंतर्गत पेट के निचले हिस्से की मालिश की जाती है इससे पेल्विक क्षेत्र में ब्लड सर्कुलेशन में भी मदद मिलती है और गर्भाशय की प्राकृतिक कार्य प्रणाली को व्यवस्थित ढंग से चलाने में मदद करता है।
इस तरह आप देख सकते हैं की आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा प्रकृतिक रूप से PCOS और PCOD का इलाज संभव है और इसमें ज्यादा जोखिम भी नहीं है क्यूंकि पेशेंट की अंदरूनी समस्या की पहचान करने के बाद ही कोई भी थेरेपी या उपचार शुरू की जाती है। यहाँ आपको एक सलाह दी जाती है की कोई भी निर्णय लेने से पूर्व एक बार किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से जरूर संपर्क कर लें और आगे की सारी प्रक्रिया उनकी देखभाल के अंदर ही करें।
- इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।