प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) की पूरी जानकारी- पीरियड्स क्या होता है? पीरियड्स क्यों होते हैं?
हर लड़की को किशोरावस्था के दौरान उसके शरीर में कई बदलाव नजर आते हैं। उस दौरान किशोरियों इस बात से अनजान होती है कि पीरियड्स क्या होता है? पीरियड्स क्यों होते हैं? मासिक धर्म यानी पीरियड्स महिलाओं में होने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसके बारे में हर लड़की और महिला जानना जरुरी है। पीरियड्स के शुरू होना का मतलब है कि यौवनावस्था का शुरू होना है।
कहते है कि यौन अवस्था के शुरू होते ही लड़कियों के जननांग (Reproductive organ) का विकास शुरू हो जाता है। इसका मतलब है कि यौवनावस्था के शुरु होते ही हर महीने आपके ओवरी से एग बन के गर्भाशय नाल से रिलीज़ होता है। पीरियड्स आपके यूटेरस के अंदर से रक्त और ऊतक, वजाइना के द्वारा बाहर निकल जाते हैं। यह आमतौर पर महीने में एक बार होता है।
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आमतौर पर हर महीने एक लड़की और महिला को 3 से 7 दिन तक रहने वाले Periods का अनुभव अलग-अलग हो सकता है। कुछ लड़की और महिलाओं में पीरियड्स आने के एक-दो हफ्ते पहले से ही इसके संकेत दिखने लग जाते हैं। जिसे पीएमएस (PMS) या प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (Premenstrual Syndrome) यानी ‘पूर्व-मासिक धर्म सिंड्रोम’ कहते हैं। इस स्थिति में कुछ महिलाओं में लक्षण इतने गंभीर होते हैं कि उनके लिए अपने दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों करना मुश्किल हो जाता है। आज इस आर्टिकल में हम बात करेंगे की PMS क्या है? और pms ka ilaj कैसे होता है।
प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम- Premenstrual syndrome in Hindi
पीएमएस, मासिक धर्म के दौरान होने वोले हर्मोन परिवर्तनों के कारण होता है। ज्यादातर महिलाओं को पीरियड्स शुरु होने से पहले कुछ लक्षण महसूस होते है जैसे की मासिक धर्म के समय पेट में दर्द होना, मल्टी या थकान रहना, पीठ में दर्द इत्यादि जिन्हें प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम कहा जाता है। आमतौर पर प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम आपके मासिक चक्र में ओव्यूलेशन पूरा होने के बाद और मासिक धर्म की शुरुवात में होता है। पीएमएस की समस्या में शारीरिक, मनोवैज्ञानिक से लेकर व्यवहार पर भी इसका असर दिख सकता है।
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पीएमएस के लक्षण- PMS ke Lakshan
अब सवाल आता है कि PMS के लक्षण क्या हैं? जिससे एक महिला और लड़की का दिनचर्या को काफी प्रभावित कर सकता है। पीएमएस होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं-
- हर समय चिंता बने रहना
- बेचैनी या अकेलापन सा महसूस होना
- असामान्य गुस्सा आना और चिड़चिड़ापन रहना
- लगातार भूख में परिवर्तन हो सकता है
- अचानक से ज्यादा मीठा खाने की इच्छा होना
- समय-समय पर स्वाद में परिवर्तन हो सकता है
- नींद के पैटर्न में बदलाव आ सकता है
- मूड खराब बने रहना
- खुद का लगातार बेकाबू होना
- रोने का दिल करना
- हर थोड़े समय में मूड बदलना
- विश्वास में कमी आना
- सेक्स ड्राइव में कमी होना
- किसी भी चीज़ को याद रखने में कठिनाई
- ब्लोटिंग की समस्या रहना
- शरीर में ऐंठन होना
- गले में खराश रहना
- स्तनों में सूजन रहना
- मुहांसे की समस्या होना
- अचानक से कब्ज की दिक्कत होना
- माहवारी होने तक दस्त की समस्या होना
- लगातार सिर दर्द बने रहता है
- पीठ और मांसपेशियों में दर्द रहना
- प्रकाश के प्रति असामान्य संवेदनशीलता
- रक्तचाप में वृद्धि हो सकती है
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पीएमएस के कारण- PMS ke Karan
अभी तक सटीक रुप से यह पता नहीं चल पाया है कि PMS किन कारणों से होता है? आज तक डॉक्टर ये भी पता नहीं कर पाए है कि ये लक्षण कुछ महिलाओं में ज्यादा और कुछ महिलाओं में ना के बराबर क्यों होते है। फिर भी इन निम्न कारणों से प्री मेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने के पीछे का कारण माना जाता है-
- हर्मोन में लगातर परिवर्तण होना। कई एक्सपर्टस का मानना है कि पीएमएस की समस्या एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हर्मोन में लगतार बदलते स्तर की प्रतिक्रिया में होता है। इन दोनों हर्मोन के उतार-चढ़ाव के चलते तेजी से अपने चरम पर पहुंच जाते है और तेजी के साथ घटना शुरु हो जाते है। जिसके कारण शरीर में अचानक से हुए बदलाव के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है।
- धूम्रपान के आदि बनना
- अच्छी नींद की कमी
- लगातार शराब या अन्य नशीले उत्पादों का सेवन करना
- ज्यादा वसा युक्त आहार का सेवन करना
- ज्यादा कैफीन का सेवन करना
- चीनी और नमक का ज्यादा सेवन करना
- नियमित शारीरिक गतिविधि में कमी
- ज्यादा डिब्बाबंद आहार का सेवन करना
- मांसाहार का सामान्य से ज्यादा सेवन
- लंबे समय तक भूखे रहना, जिससे शरीर में जरूरी पौषक तत्वों की कमी हो सकती है।
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पीएमएस का आयुर्वेदिक उपचार- PMS ka Ayurvedic Treatment
आयुर्वेद के अनुसार जिन महिलाओं के शरीर में त्रिदोष अर्थात वात दोष, पित्त दोष और कप दोष की मात्रा अत्यधिक हो जाती है तो उनको पीएमएस की समस्या हो सकती है या मासिक धर्म अनियमित हो सकते है। इसलिए आज हम पीएमएस के आयुर्वेदिक उपाय (PMS ayurvedic treatment) के बारे में बात करेंगे की इसके बहुत जल्दी अपना असर नहीं दिखाते, लेकिन ये निश्चित रूप से आपके वात को नियंत्रण में रखने के लिए अच्छा हैं। गर्भाशय के स्वास्थ को बरकरार रखने के लिए आयुर्वेदिक नुस्खे बहुत फायदेमंद होते हैं। इन निम्नलिखित में आयुर्वेदिक नुस्खे शामिल हैं-
- पीरियड्स के दिनों के लिए सौंफ एक प्रभावी जड़ी-बूटी है। यह मासिक धर्म की ऐंठन से छुटकारा दिलाती है। सौंफ को एक गिलास पानी में उबालकर छान लें और इस पानी को नियमित रूप से पीएं। इसके सेवन से आपको पेट में दर्द और ऐंठन में छुटकारा मिलेगा।
- मासिक धर्म के दो सप्ताह पहले बीज का सेवन करें। पहले 7 दिनों के लिए 1चम्मच अलसी और कद्दू के बीज और उसके बाद कुछ दिनों के लिए सूरजमुखी और तिल के बीजों का सेवन करें। इससे पीरियड्स के दौरान होने वाला दर्द कम होगा।
- गाय के घी, जैतून का तेल से स्वस्थ वसा प्राप्त होता है। जो आपके चयापचय और आपके हार्मोन को संतुलित रखने का काम करते हैं।
- मीठे फल ठंडी प्रकृति के होते है तो इनका सेवन कर ध्यान रहे की मीठे फल ही खाए इसकी बजाएं खाद्य पदार्थ नहीं लेना।
- आप ऐसी स्थिति में दिन में एक बार धनिया का पानी पिएं जरूर पिएं। धनिया प्रकृति में शांत करने वाला होता है। यह आपकी आंत को शांत करता है जिसमें लगभग 75% हार्मोन का उत्पादन होता है।
- विटामिन डी, विटामिन बी-6, फॉलिक एसिड, कैल्शियम और मैग्नेशियम का सेवन करें।
- प्रतिदिन 30 मिनट के लिए श्वास-प्रश्वास पर ध्यान दें। माना जाता है कि पीएमएस के लिए जिम्मेदार तनाव हार्मोन को कम करने का यह सबसे अच्छा तरीका है। साथ ही शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
- इसके लिए आप प्रतिदिन कम-से-कम 40 मिनट सुबह या शाम को टहल सकते हैं या दौड़ सकते हैं।
- आप चाहे तो साइकिल चला सकते हैं या फिर नृत्य भी कर सकती हैं। ध्यान रहें थकाऊ व्यायाम से शरीर में वात बढ़ जाता है जिससे पीएमएस और पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द हो सकता है। ऐसे में हल्के विकल्पों को चुनें।
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PMS से कैसे बचाव करें- PMS se Kaise Bachav Karen
वास्तविक में पीएमएस का कोई इलाज नहीं है, तो ऐसे में PMS से कैसे बचा जाए। एक्सपर्टस के मुताबिक हमारे कुछ सावधानी बरतने से समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। इन निम्नलिखित में PMS से बचाव करने के उपाय शामिल हैं-
- पीएमएस के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी जरुर पीएं। इससे आपके पेट फूलने की समस्या कम होगी।
- इस दौरान संतुलित आहार लें। साथ ही मौसमी फल और सब्ज़ियों का सेवन करें।
- चाय-कॉफी, सिगरेट, शक्कर, नमक और कैफीनयुक्त ड्रिंक्स से बिल्कुल परहेज करेँ।
- 8 घंटे की नींद जरुर लें।
- खट्टे और फर्मेंटेड फूड्स (Fermented Foods) का सेवन करने से बचें। खट्टे और तले हुए फूड्स प्रकृति में गर्म होते हैं जो सूजन को ट्रिगर करते हैं। इसलिए पीरियड्स से कम से कम 2 हफ्ते पहले इनसे बचा जाना चाहिए।
- मीठे खाद्य पदार्थ लेने से बचें क्योंकि प्रोसेस्ड चीनी से तैयार किए जाने वाले पदार्थों को खाने से वजन बढ़ने के साथ ही सूजन की स्थिति भी पैदा होने लगती है। इसलिए आपको पीरियड्स से 10 दिन पहले ही मीठा खाना छोड़ देना चाहिए।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य पीसीओएस, ट्यूब ब्लॉकेज, हाइड्रोसालपिनक्स उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।
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