बच्चेदानी में गांठ या रसौली भी बन सकती है माँ बनने में परेशानी
प्रजनन उम्र की महिलाों में आज की खराब जीवनशैली के चलते कुछ न कुछ परेशानी जरुर देखने को मिल रही है। बच्चेदानी में गांठ या फिर रसौली भी प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़ी एक समस्या है, जो महिलाओं में Infertility की समस्या खड़ी हो सकती है। अधिकांश महिलाएं तो इसको कैंसर तक समझ बैठती है परंतु यह ऐसा बिल्कुल भी नही है। परंतु हां 1 प्रतिशत से कम केशों में देखने को मिल भी सकता है।
कितनी महिलाएं बच्चेदानी में गांठ या रसौली का सामना कर रही हैंं ?
इस बारें में बात की जाए तो करीब 20 से 80 प्रतिशत महिलाओं में 50 या फिर उसके आसपास की उम्र में रसौली होने की अधिक संभावना देखने को मिलती है। 25 से 30 फीसदी महिलाओं में 30 प्रतिशत तक बच्चेदानी में गांठ के लक्षण दिखाई देते है। इन दोनों आंकड़ो के आधार पर यह साफ-साफ दिखाई दे रहा है , कि बच्चेदानी में रसौली की समस्या प्रजनन उम्र की महिलाओं को होतीहै।
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बच्चेदानी में गांठ के लक्षण
महिलाओं के गर्भाशय में जब गांठ बन जाती है तो साफ तौर पर उसके लक्षण नही दिखाई देते है। फिर भी कुछ महिलाओं को कुछ ऐसे अहसास होते है जो गर्भाशय में गांठ की ओर इशारा करते है।
- माहवारी के समय में अधिक ब्लीडिंग की समस्या ।
- पीरियड्स में अधिक तेज दर्द का सामना करना।
- पीरियड्स के आने से पहले स्पॉटिंग होना।
- पीरियड्स समय से न आने या फिर देर तक पीरियड्स रहना।
- संभोग के दौरान अधिक पीड़ा होना ।
- इनफर्टिलिटी, कब्ज, मिसकैरेज होना ।
- प्रीटर्म लेवर और बार-बार पेशाब आने की परेशानी बनी रहना।
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क्या प्रेगनेंसी के दौरान भी रसौली हो सकती है ?
जी हाँ,
कुछ मामलों में यह भी देखने को मिलता है। कि जब कोई महिला गर्भवती होती है । पर एक अच्छी बात यह है कि उस दौरान रसौली का आकर बहुत ही कम बढ़ता है। क्योंकि रसौली को जितना बढ़ना होता है वह गर्भावस्था की पहली तिमीही के दौरान वृद्धि कर लेती है। और एक बात यह भी है कि एस्ट्रोजन का इफैक्ट यदि रसौली पर पड़ा तो इसके बढ़ने के चांस हो सकते है।
एक रिपोर्ट में यह बात भी निकल कर सामने आई है कि 80 प्रतिशत महिलाओं की रसौली गर्भावस्था के दौरान कम हो जाती है। यानि कि इस प्रेगनेंसी के 4 से 9 महीने तक सिकुड जाती है पर जड़ से समाप्त नही होती है।
बच्चेदानी में गांठ होने के साथ क्या प्रेगनेंसी होना संभव है –
गर्भाशय में गांठ होने पर भी महिलाएं स्वाभविक रुप से गर्भधारण कर सकती है। परंतु कंसीव करने में और गर्भधारण करने के बाद भी कई तरह की परेशानियाँ होती है। रसौली एक ऐसी बीमारी है, जो महिलाओं की फर्टिलिटी को बुरी तरह से प्रभावित करती है। जिससे माँ बनने की संभावनाएं बहुत ज्यादा कम हो जाती है। रसौली को कैविटी के तौर पर देखा जाता है, जो गर्भाशय सम्बन्धी (uterine ) विकारों को बढ़ावा देती है। जब यह रसौली केविटी के रुप में प्रजनन क्षेत्र में फैल जाती है,तो इनफर्टिलिटी से जुड़ी कई सारी बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।
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बच्चेदानी की रसौली को आयुर्वेदिक इलाज से ठीक किया जा सकता है –
ऐसे भी बहुत सारे केस देखने को मिलते है, जिसमें महिलाएं बच्चेदानी में रसौली के साथ माँ बनी है। परंतु इसका इलाज थोडा सा जटिल (Complicated) है। क्योंकि इससे प्रजनन अंगों (reproductive organs) को नुकसान हो सकता है। ऐसे में बिना किसी सर्जरी के आयुर्वेदिक दवाओं के द्वारा बच्चेदानी की रसौली को ठीक किया जाता है। यह आयुर्वेदिक औषधि एवं काढ़े रसौली के दर्द का निवारण करके गांठ को कम करने का काम करती है।