मेल इनफर्टिलिटी: कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार – Male Infertility Treatment in Hindi
कई बार ऐसा होता है कि लाख कोशिशों के बाद भी दंपत्ति को खुशखबरी नहीं दे पाते है। बच्चे को संसार में लाने के लिए महिला और पुरुष की प्रजनन क्षमता अच्छी होनी चाहिए तभी एक बच्चे को जन्म दिया जाता है। जिस प्रकार महिलाओं को प्रजनन संबंधी समस्याएं होती है ठीक उसी प्रकार पुरुषों में भी प्रजनन की समस्याएं हो सकती है। किसी भी पुरुष के लिए पिता बनने में असमर्थ होने को मेल इनफर्टिलिटी कहा जाता है।
इंफर्टिलिटी एक ऐसी समस्या है जिसमें दंपत्ति एक साल से प्रयास के बाद भी गर्भधारण करने में असमर्थ होता है। 90 प्रतिशत के करीब पुरुषों में इनफर्टिलिटी का कारण कम शुक्राणु बनना और खराब क्वालिटी है। इसके अलावा और भी कई अन्य पुरुष बांझपन के लक्षणों के संकेत हो सकते है। आज इस आर्टिकल में हम मेल इनफर्टिलिटी के लक्षण, कारण और मेल इनफर्टिलिटी का आयुर्वेदिक इलाज के बारे में बात करेंगे।
मेल इनफर्टिलिटी- Male Infertility in Hindi
पुरुष बाँझपन की समस्या तब होती है जब वह किसी महिला को गर्भधारण करने में असमर्थ होता है, उस स्थिति को पुरुष निःसंतानता या मेल इनफर्टिलिटी भी कहा जाता है। मेल इनफर्टिलिटी के कई कारण हो सकते हैं जिसके जो उन्हें पिता बनने से रोकते है।
अगर किसी पुरुष के एक साल तक संबंध के प्रयास के बाद भी महिला गर्भवती नहीं कर पाता है, तो इसका मतलब साफ है कि उस पुरुष को बांझपन की समस्या है। गर्भधारण ना होने का कारण पुरुषों में 30 से 50 प्रतिशत वीर्य की गुणवत्ता है जोकि WHO द्वारा परिभाषित मानकों से कम है। मोटापा या अधिक वजन होना, नियमित व्यायाम की कमी, तनाव, धूम्रपान या शराब का सेवन कुछ ऐसे कारण हैं जो बच्चे पैदा करने की उम्र के आधे पुरुषों के माता-पिता होने की संभावना को कम कर रहे हैं।
मेल इनफर्टिलिटी के कारण- Male Infertility ke Karan
मेल इनफर्टिलिटी के कारण पर ध्यान देकर कुछ सावधानियां बरती जाएं तो बांझपन के खतरे को काफी हद तक कम या खत्म किया जा सकता है। गर्भधारण ना कर पाने में पुरुष में कई प्रजनन समस्याओं में शामिल हैं-
- पुरुष में कामोत्तेजना एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें दिमाग, हार्मोन, भावनाएं, नर्व, मासपेशियां और रक्त कोशिकाएं का बहुत अहम काम रहता हैं।
- न्यूरोजिकल डिसऑडर के कारण भी यह समस्या हो सकती है। लिंग को संदेश भेजने वाली नर्व में स्ट्रोक, मधुमेह या अन्य कारणों से खराब होना।
- मनोवैज्ञानिक अवस्थाएं के कारण शामिल है जैसे कि तानव, डिपरेशन और दिमाग में ही उत्तेजना की कमी आना।
- पुरुष बाँझपन की समस्या में हार्मोन की कमी के कारण भी हो सकता है।
- रीड़ की हड्डी या पेल्विस ऐरिया में चोट लगना है। इनमें चोट लगने से स्तंभन को उत्तेजित करने वाली नस कट सकती है।
- खराब दिनचर्या से भी पुरुषों में नपुंसकता के कारण देखा गया है।
- शीध्रपतन की बात करें तो पुरुषों में शीघ्रपतन तब होता है जब सेक्स के दौरान वीर्य शरीर से जल्दी स्खलन (Ejaculation) हो जाता है। शीघ्रपतन एक सामान्य यौन शिकायत है। ये समस्या 3 में से 1 व्यक्ति को कभी न कभी जिंदगी में होता है। शीघ्रपतन को स्खलन को रोकने में असमर्थता या संभोग के दौरान एक मिनट से भी कम समय में स्खलन के रूप में परिभाषित किया गया है।
- हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) या पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary Gland) में एक समस्या होना, जो मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में टेस्टिकल्स को टेस्टोस्टेरोन और शुक्राणु बनाने के लिए संकेत देते हैं।
- टेस्टिकल रोग और शुक्राणु ट्रांसपोर्ट डिसऑडर भी पुरुष निसंतानता का कारण बन सकता है।
- वेरिकोसेल पुरुष में निसंतानता के मुख्य रुप से कारण है। यह एक गंभीर स्थिति है जिससे पीड़ित पुरुष के अंडकोष की नसों में सूजन आ जाती है। जिससे स्पर्म के उत्पादन और गुणवत्ता को बुरी तरह से प्रभावित करता है।
- नपुंसकता को आज के समय में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन कहा जाता है। यह समस्या प्राइवेट पार्ट में पर्याप्त तनाव न आने या पर्याप्त तनाव आने के बाद भी सही तरीके से सहवास न कर पाने को नपुंसकता कहा जा सकता है। या यूं कह लो की पुरुष के लिंग में उत्तेजना पाने या उत्तेजना बनाएं रखने में असर्मथ होता है।
- ओलिगोस्पर्मिया प्रकार की पुरुष प्रजनन संबंधी समस्या है जिसमें वीर्य में गतिशीतला में कमी पायी जाती है। इसके कारण वीर्य महिला के अंडे तक पहुंचने में असमर्थ होता और और निःसंतानता का कारण बनता है।
- पुरुष के गुप्तांगों में संक्रमण होने पर बांझपन का खतरा बढ़ सकता है। कुछ संक्रमण ऐसे होते हैं जो शुक्राणु के निर्माण में बाधा पैदा करते हैं और शुक्राणु की नली को बंद कर देते हैं। जैसे की क्लैमाइडिया और गोनोरिया संचारित संक्रमण के कारण शुक्राणु की कमी ऐ सकती है।
इसमें उम्र भी एक अहम भूमिका निभा सकती है। शुक्राणु की गति बढ़ाने की क्षमता और संख्या उम्र के साथ घटती जाती है, जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है, खासकर 50 वर्ष की आयु के बाद ऐसा होता है।
मेल इनफर्टिलिटी के लक्षण- Male Infertility ke Lakshan
पुरुष बांझपन का सबसे मुख्य लक्षण एक या उससे अधिक समय तक नियमित रूप से यौन संबंध बनाने के बाद भी महिला को गर्भवती करने में असक्षम होना है। इसके अलावा, मेल इनफर्टिलिटी के निम्न लक्षण हो सकते हैं:-
- यौन इच्छा में कमी आना
- स्खलन के दौरान दिक्कत होना
- स्खलन के दौरान कम मात्रा में स्पर्म निकलना
- बार-बार सांस से संबंधित संक्रमण होना
- चेहरे और शरीर पर बालों का कम होना
- क्रोमोसोमल या हार्मोनल असंतुलन होना
- सामान्य रूप से स्पर्म की संख्या कम होना
- इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या होना
- अंडकोष के आसपास के हिस्से में गांठ होना
- वृषण यानी टेस्टिस में दर्द और सूजन की शिकायत होना
- आसामान्य रूप से छाती का बढ़ना यानी गाइनेकोमैस्टिया होना
- सामान्य से शुक्राणुओं की संख्या का कम होना या शुक्राणु के साथ अन्य समस्याएं।
- वृषण (Testicular), प्रोस्टेट (Prostate) या यौन समस्याओं का इतिहास।
- कैंसर का इलाज चल रहा हो।
- छोटे अंडकोष (testicles) या अंडकोष में सूजन।
- आपके परिवार में अन्य लोगों को बांझपन की समस्या हो।
- यौन रोग (स्तंभन दोष या कम कामेच्छा आदि)।
- असामान्य तरीके से छाती का बढ़ना जिसे ज्ञ्नेकोमास्टिया (Gynecomastia) कहा जाता है।
मेल इनफर्टिलिटी का आयुर्वेदिक इलाज- Male Infertility Ka Ayurvedic Ilaj
किसी भी वजह से अगर फर्टिलिटी के इलाज में सफलता नहीं मिलती तो मन दुखी हो जाता है। आयुर्वेद में मेल इनफर्टिलिटी नेचुरल ट्रीटमेंट मौजूद है। आयुर्वेद में हर्बल औषधियां से पुरुष के वीर्य में सुधार करके उनके प्रजनन क्षमता को बढ़ाती हैं। आयुर्वेदिक इलाज पुरुष निःसंतानता को दूर करने में किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नही होता है।
आयुर्वेद की प्राचीन पंचकर्म चिकित्सा पद्धति जिसमें वमन कर्म, विरेचन कर्म, बस्ती कर्म, नस्यम कर्म तथा रक्त मोक्षण के द्वारा बहुत ही कम समय में पुरुष वीर्य से संबंधित विकार से निजात पा लेते है। पंचकर्म की उत्तर बस्ती पद्धति से वीर्य संबंधित विकार को दूर करने के लिए सबसे अच्छी थेरेपी मानी जाती है।
आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति सबसे पहले तो पुरुष के शरीर में होने वाले विकारों को शांत करने के लिए उपाय करता है। जिससे बीमारी से बहुत ही जल्द राहत मिल जाती है और रोग को जड़ से खत्म करता है जिससे दूसरा रोग होने की संभावना बिल्कुल ही कम हो जाती है।
इसके साथ ही खान-पान पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। वहीं स्मोकिंग और ड्रिकिंग से भी दूर रहना जरूरी है। और इनफर्टिलिटी में योग भी बहुत लाभकारी होता है। इसके लिए योग चिकित्स्क कई आसनों का सुझाव भी देते हैं।
इस लेख की जानकारी हमें डॉक्टर चंचल शर्मा द्वारा दी गई है। इस विषय से जुड़ी या अन्य कम शुक्राणु या स्पर्म बनना, असामान्य स्पर्म बनना या शीघ्रपतन, एंडोक्राइन डिसऑर्डर्स, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन उपचार पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं। हमारे डॉक्टर चंचल की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाए या हमसे +91 9811773770 संपर्क करें।