क्या मां के गुस्से का गर्भस्थ शिशु पर प्रभाव पड़ता है?
घर में नई मेहमान के आने की खुशी पूरे परिवार को सुखद अनुभव का अहसास कराती है। परंतु कुछ नई जिम्मेदारियों के साथ चुनौनियां भी दंपति और परिवार के सदस्यों के बीच होती है। गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को गुस्सा आना स्वभाविक होता है । लेकिन इस गुस्सा का गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए हर गर्भवती महिला को कोशिश करनी चाहिए की गर्भास्था को दौरान गुस्से पर नियंत्रित करें और अपने शिशु के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव न पड़ने दें।
पति-पत्नी के लिए प्रेगनेंसी का दौर बहुत सारे उतार-चढ़ाव लेकर आता है। ऐसे समय में दोनो के बीच किसी झगड़े या फिर किसी तनाव के कारण गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इस समय महिलाएं शारीरिक एवं मानसिक परिवर्तन से गुजर रही होती है। ऐसे में उसे अपने पति और परिवार के सहयोग की सबसे ज्यादा आवश्यकता होती है। परिवार एवं पति के संवेदनशील न होने पर महिला के मन में तनाव आ सकता है। जिसका असर बच्चे से स्वास्थ्य पर पड़ सकता है। परंतु कभी-कभी प्रेगनेंसी के दौरान गुस्सा और निराशा दोनो होनो एक सामान्य बात है। परंतु लगातार गुस्सा एवं तवान से घतक परिणाम हो सकते हैं।
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माँ एवं गर्भ में पल रहे गर्भस्थ शिशु के बीच एक ऐसा अद्भुद जुड़ाव होता है । जिससे शिशु माँ को होने वाले सभी अनुभव एवं मनोभवों को महसूस करता है । जैसे खुशी और गुस्से को भी आसानी से महसूस कर लेता है।
प्रेगनेंसी में ज्यादा गुस्सा करने से कौन-कौन से नुकसान हो सकते है ?
यदि आप गर्भावस्था के दौरान अधिक तनाव या फिर गुस्से में रहती हैं। तो हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट बढ़ने और कई तरह के हार्मोंस के बढ़ने की वजह से ब्लड सेल्स सिकुड जाती है। ऐसे में गर्भस्थ शिशु तक भोजन और आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में ठीक से नही पहुंच पाती है। जोकि बच्चे के विकास के लिए हानिकारक साबित होता है।
प्रेगनेंसी में लंबे समय तक गुस्सा आना या फिर बहुत ही ज्यादा गुस्सा आना बहुत सारी जटिलताएं उत्पन्न कर सकता है। इसके कारण प्रसव के बाद भी कई सारे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते है। यदि आप गर्भावस्था के दौरान गुस्सा करते है तो जन्म के समय शिशु का जन्म कम हो सकता है।
प्रियम्च्योर डिलेवरी (premature delivery), शिशु में चिडचिडापन एवं डिस्प्रेशन का खतरा बढ़ जाता है। यदि आप अपने अंदर गुस्सा को बनाकर रखती हैं। तो इसके कारण आप तनाव मेें जा सकती है। क्योंकि अक्सर ऐसा महिलाओं के साथ देखा जाता है। यह तनाव आपके रिस्तों पर भी बुरा प्रभाव डाल सकता है। जिसके कारण अस्थमा, अल्सर, हाई ब्लड प्रेशर, सर दर्द एवं पाचन जैसी भी समस्या को उत्पन्न कर सकता है। जो आपकी प्रेगनेंसी को प्रभावित कर सकते है।
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गर्भवती महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान किन बातों को अपनाना चाहिए ?
सकारात्मक एवं शांत माहौल में रहना गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत अच्छा साबित होता है। गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बदलती भावनाओं को स्वयं पर हाबी नही होेने देना चाहिए। यह बात एक सर्व में साफ हो चुकी है। कि जिन बच्चों की मांओ नें गर्भावस्था अधिक तनाव से गुजरी है उन बच्चों को 30 की उम्र तक पर्सनलिटी डिस्ऑर्डर की समस्या से 10 गुना तक बढ़ जाती है।